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बचपन में बीमारी से पिता को खोया, फिर ठाना डॉक्टर ही बनना है... हैदराबाद की वर्षा की MD एनेस्थीसिया परीक्षा में चौथी रैंक

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर की छात्रा डॉ. टी वर्षा ने मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी की एमडी एनेस्थीसिया परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया है.

बचपन में बीमारी से पिता को खोया, फिर ठाना डॉक्टर ही बनना है... हैदराबाद की वर्षा की MD एनेस्थीसिया परीक्षा में चौथी रैंक
MD Anesthesia Exam Result: डॉ. टी वर्षा ने चौथा स्थान हासिल किया.

मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी की एमडी एनेस्थीसिया परीक्षा में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज बीएमसी सागर की छात्रा डॉ. टी वर्षा ने चतुर्थ स्थान हासिल किया है. डॉ. वर्षा मूल रूप से तेलंगाना की रहने वाली हैं, वे जब पांच साल की थीं तब ही उनके पिता का बीमारी से निधन हो गया था. मां ने उन्हें अपनी दम पर बड़ा किया. पिता के निधन के बाद वर्षा ने डॉक्टर बनने की ठान ली थी. उनकी सफलता की कहानी इसी संघर्ष और संकल्प की झलक दिखती है.  

MD Anesthesia Exam में चौथा स्थान हासिल करने वाली डॉ. टी वर्षा मूल रूप से तेलंगाना के हैदराबाद जिले की रहने वाली हैं. डॉ. वर्षा जब पांच साल की थीं, तब उन्होंने बीमारी के चलते अपने पिता को खो दिया था. इसके बाद उनकी मां बी. कविता ने अकेले ही पूरे परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी संभाली. डॉ. वर्षा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक सरकारी स्कूल से पूरी की है.

मां के साथ डॉ. वर्षा.

मां के साथ डॉ. वर्षा.

डॉक्टर बनने का संकल्प लिया 

अपने डॉक्टर बनने के पीछे की कहानी बताते हुए वर्षा कहती हैं कि जब उन्हें पता चला कि जिस बीमारी से उनके पिता की मौत हुई, उसके इलाज के अभाव में कई लोग अपनी जान गंवाते हैं, इसके बाद मैंने डॉक्टर बनने का संकल्प लिया. उनका कहना है कि वे भविष्य में वे गरीब और असहाय लोगों की सेवा करेंगी. 

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रोजाना दो घंटे मेडिटेशन

MD Anesthesia Exam में चौथा स्थान हासिल करने को लेकर डॉ. वर्षा ने बताया कि पढ़ाई के दौरान मोबाइल से दूरी बनाए रखी और पूरे फोकस के साथ लगी रही. साथ ही वे रोजाना दो घंटे मेडिटेशन करती थीं, इससे मानसिक एकाग्रता रही और आत्मविश्वास भी मिला. 

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बुंदेलखंड ने मुझे अपनाया 

तेलंगाना से आकर बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने को लेकर डॉ. वर्षा ने कहा कि शुरुआत के दिनों में सबसे बड़ी समस्या यहां कि भाषा और स्थानीय बोली समझने में उन्हें हुई. लेकिन, कॉलेज शिक्षकों और साथियों के सहयोग से धीरे-धीरे सब ठीक हो गया. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड ने मुझे अपनाया है, सागर का अनुभव बेहद अच्छा रहा, यह हमेशा याद रहेगा. 

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