Madhya Pradesh Rape Case : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेप पीड़ित एक नाबालिग को गर्भपात की अनुमति दे दी है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एकलपीठ के उस निर्णय को पलट दिया, जिसमें गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई थी. भोपाल की 15 साल की रेप पीड़िता ने एकलपीठ के फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी और अब उसे गर्भपात की अनुमति मिल गई है.
हाईकोर्ट ने आदेश में ये कहा
एकल पीठ ने FIR को संदिग्ध मानते हुए याचिका खारिज कर दी थी. डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि एकल पीठ की ओर से FIR को संदिग्ध बताने की टिप्पणी को हटा दिया जाए, क्योंकि यह टिप्पणी बिना किसी तथ्यात्मक प्रमाण के की गई थी. हाईकोर्ट ने भोपाल के जिला एवं सत्र न्यायालय को निर्देश दिया कि वह अस्पताल में भर्ती नाबालिग पीड़िता को गर्भपात की जटिलताओं के बारे में समझाने के लिए महिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक टीम गठित करे. कोर्ट में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, अस्पताल में भर्ती पीड़िता की मानसिक आयु 6.5 साल है. बच्ची के माता-पिता अलग-अलग रहते हैं और उसका पालन-पोषण 60 साल की दादी कर रही हैं.
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना नजीर
मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, भ्रूण 28 सप्ताह और पांच दिन का है, जबकि एमटीपी अधिनियम के तहत 24 सप्ताह से अधिक का भ्रूण होने पर गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती. युगल पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि परिस्थितियों के आधार पर भी गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है. सर्वोच्च न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की को 30 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति प्रदान की थी. आदेश के अनुसार, यदि बच्चा जीवित पैदा होता है, तो सरकार उसका पालन करेगी. गर्भपात के दौरान जान के जोखिम के बारे में पीड़िता के परिजनों को सूचित किया जाए. विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम के मार्गदर्शन में गर्भपात किया जाए और भ्रूण का नमूना DNA परीक्षण के लिए सुरक्षित रखा जाए.