Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गुरुपाल सिंह अहलूवालिया की एकलपीठ ने मुगल सम्राट शाहजहां की बहू के मकबरे को लेकर महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. इसके तहत साफ किया है कि बुरहानपुर (Burhanpur) में स्थित तीन ऐतिहासिक इमारतें वक्फ बोर्ड की संपत्ति का हिस्सा नहीं हो सकती हैं. इन तीन इमारतों में से एक बेगम बिलकिस का मकबरा भी है. इस संपत्ति के संबंध में गलत अधिसूचना जारी की गई.
ये है मामला
दरअसल एएसआई ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.जिसके जरिए कहा गया था कि साल 2013 में एमपी वक्फ बोर्ड ने एक आदेश जारी कर इन साइटों को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था. जबकि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत इन्हें प्राचीन और संरक्षित स्मारक की श्रेणी में रखा गया था.लिहाजा इन्हें वक्फ बोर्ड इन्हें संपत्ति नहीं माना जा सकता है.
वक्फ बोर्ड की अधिसूचना विवादित संपत्ति पर केंद्र सरकार का स्वामित्व नहीं छीनेगी. साल 1904 प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम के तहत ये स्मारक विधिवत अधिसूचित है.
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इन तीन इमारतों को लेकर विवाद
एएसआई की ओर से कहा गया है कि शाह शुजा स्मारक, नादिर शाह का मकबरा और बुरहानपुर के किले में स्थित बीबी साहिबा की मस्जिद भी प्राचीन और संरक्षित स्मारक हैं. शाह शुजा स्मारक मुगल सम्राट शाहजहां के बेटे शाह शुजा की पत्नी बेगम बिलकिस की कब्र है. बेगम बिलकिस की बेटी के जन्म देते समय मौत हो गई थी, जिसे बुरहानपुर में दफनाया गया था.
इस पर दूसरे पक्ष की तरफ से जवाब दिया गया कि जब सीईओ ने संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दिया था तो उनके पास इसे खाली कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.
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