Deupty Collector Kavita Yadav: मौजूदा दौर में इंटरनेट दिनचर्या का हिस्सा है, लोगों के सवालों का जवाब बन चुकी है. कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो घंटों इंटरनेट पर समय भी बर्बाद करते हैं. टीकमगढ़ की एक बेटी ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए इंटरनेट को बेस बनाया और उन लोगों के लिए आज प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं, जो इंटरनेट पर सिर्फ समय बर्बाद करते हैं.
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टीकमगढ़ की बेटी ने पहली बार में ही एमपीपीएससी परीक्षा क्रैक किया
टीकमगढ़ जिले के एक छोटे से गांव देवीनगर की रहने वाली कविता यादव पहली बार में ही एमपीपीएससी परीक्षा क्रैक कर लिया. पहले प्रयास में ही डिफ्टी कलेक्टर बन चुकी कविता यादव ने किसी कोचिंग सेंटर का सहारा नहीं लिया. यूट्यूब पर मौजूद परीक्षा सामग्री और सेल्फ स्टडी को आधार बनाकर कविता ने आसमान छू लिया.
यूट्यूब और सेल्फ स्टडी से डिप्टी कलेक्टर पद पर चयनित हुईं कविता
एक सरकारी शिक्षक करन सिंह यादव की बेटी 5 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं. कविता ने प्राथमिक स्तर की पढ़ाई बलदेवगढ़ से की, जबकि 12वीं तक की टीकमगढ़ जिले से पूरी की. ग्रेजुएशन के लिए इंदौर गई कविता ने सिविल सेवा की तैयारी शुरू की और इंटरनेट और सेल्फ स्टडी की मदद से अफसर बन गईं.
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डिप्टी कलेक्टर बनकर कविता यादव ने जिले का नाम किया रोशन
एमपीपीसीएस परीक्षा 2022 के अंतिम परिणाम में 9वीं रैंक हासिल कर डिप्टी कलेक्टर बनीं कविता यादव ने अपनी सफलता से टीकमगढ़ का नाम रोशन कर दिया है. अपने पहले प्रयास में सिविल सेवक बनीं कविता ने इंटरनेट और सेल्फ स्टडी पर फोकस किया. यूट्यूब पर मौजूद परीक्षा सामग्री की मदद से कविता को पहले प्रयास में ही सफलता मिल गई.
कविता ने MPPSC परीक्षा में 9वीं रैंक लाकर 882 अंक हासिल किया
कविता यादव ने अपनी सफलता के लिए पिता करण सिंह यादव हौंसले को याद किया. कविता ने बताया कि पिता ने हिम्मत बढ़ाया, जिससे वो पहली बार में वो सिविल सेवक बनने में सफल हुईं. एमपीपीएससी परीक्षा 2022 में 9वीं रैंक लाकर 882 अंक हासिल करने वाली कविता ने उन सभी को प्रेरित किया है, जो साधनों का हवाला देकर हारकर बैठ जाते हैं.
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बगैर कोचिंग और सुविधाओं के परचम लहराने में कामयाब हुईं कविता यादव
गौरतलब है टीकमगढ़ जिले की 7 बेटियां एमपीपीएससी परीक्षा 2022 के अंतिम रिजल्ट में कोई एसपी और डीसीपी जैसों पर चयनित हुई हैं. जिले की जिन सात बेटियों ने सिविल सेवा में चयनित होकर नाम रोशन किया है, उनमें कविता यादव की यात्रा सबसे अधिक प्रेरक हैं, जिन्होंने बगैर कोचिंग और सुविधाओं के परचम लहराने में कामयाब हुईं.
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