
Farmers in Trouble in Satna: कृषि प्रधान कहे जाने वाले देश में किसानों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सरकार किसानों की आय बढ़ाने और जीरो प्रतिशत ब्याज पर कर्ज (Farmers Loan) देने का दावा करती आई है. लेकिन, सैकड़ों किसान शासन की इस व्यवस्था के भंवर जाल में कुछ ऐसे फंस चुके हैं, जिनका बचकर निकलना मुश्किल हो गया है. सतना जिले (Satna) के करीब आधा दर्जन गांव के किसान सहकारी बैंक (Cooperative Bank) से कर्ज लेकर घुट रहे हैं. उनकी पीड़ा सुनने के बाद भी समस्या का निदान होता दिखाई नहीं दे रहा है.
अधिकारी पिछले दो साल से जांच के नाम पर सिर्फ लीपा-पोती और लेटलतीफी करते दिखाई दे रहे हैं. यही कारण है कि किसानों द्वारा कर्ज की राशि जमा किए जाने के बाद भी उनके सिर पर ऋण का बोझ बना हुआ है. यह मामला नागौद विकासखंड की सेवा सहकारी समिति दुरेहा का है. जहां के समिति प्रबंधक को विभाग ने समिति से हटाकर दूसरे को चार्ज दे दिया, लेकिन वे रिकार्ड अभी तक नहीं प्राप्त किए. जिनके जरिए ये किसान कर्ज मुक्त हो सकें.
सैकड़ों किसान परेशान
इस मामले में केंद्रीय सहकारी बैंक केवल पत्राचार की औपचारिकता कर रहा है. जिससे किसान आगे कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं. बताया जाता है कि सेवा सहकारी समिति के तत्कालीन प्रबंधक मुलायम सिंह के द्वारा अपने क्षेत्र के कलावल, पांसी, दुरेहा, कपुरी, जोगिया और उमरहाई गांव के सैकड़ों किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण स्वीकृत किया गया. इन किसानों ने जब समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेची तब किसानों से उनके ऋण की कटौती कर ली गई. कुछ किसानों ने नकद भी पैसा जमा किया. मगर, सहकारी बैंक के रिकार्ड में समिति प्रबंधक ने पैसा दर्ज नहीं किया. ऐसे में तमाम किसानों पर सरकारी रिकार्ड में कर्ज यथावत दर्ज है. वहीं किसान समिति प्रबंधक के द्वारा दी गई जमा की रसीद लेकर तमाम स्तर पर शिकायतें दर्ज करा रहे हैं.
सिर्फ पत्राचार तक सिमटी कार्रवाई
सेवा सहकारी समिति दुरेहा के किसानों से हुई धांधली के मामले में सहकारी बैंक उपलब्ध रिकार्ड के आधार पर कोई भी एक्शन नहीं ले पा रही है. जब भी यह मामला तूल पकड़ता है तो जांच के नाम पर पत्र आगे बढ़ा दिया जाता है. एक बार फिर प्रकरण को लेकर दंडात्मक कार्रवाई करने उपायुक्त सहकारिता और प्रशासक सेवा सहकारी समिति दुरेहा को पत्र भेजा है. इससे पहले दो बार नागौद शाखा के द्वारा चेतावनी समिति प्रबंधक को भी पत्र जारी किया जा चुका है. ज्ञात हो कि दुरेहा का पूर्व प्रबंधक प्रकरण में पोल खुलने के डर से समिति का प्रभार भी नहीं सौंप रहा है.
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