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MP Politics: "दिग्विजय सिंह भाजपा में आना का रास्ता ढूंढ रहे", विधायक का दावा- हाईकमान जानता है 

भाजपा विधायक पन्नालाल शाक्य ने दिग्विजय सिंह की बयानबाजी को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह पार्टी में आने का रास्ता ढूंढ रहे हैं. इसलिए वे RSS और BJP की विचारधारा से प्रभावित हो रहे हैं.

MP Politics: "दिग्विजय सिंह भाजपा में आना का रास्ता ढूंढ रहे", विधायक का दावा- हाईकमान जानता है 
Digvijaya Singh

देश की राजधानी दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की CWC बैठक से पहले दिग्विजय सिंह के बयान ने सियासत गर्मा दी है. दिग्विजय सिंह ने RSS और BJP में अनुशासन की तारीफ करते हुए पीएम मोदी की एक तस्वीर शेयर की थी. इसके बाद भाजपा कैलाश विजयवर्गीय ने उनकी तुलना सरदार पटेल से कर दी थी. 

वहीं, अब गुना से भाजपा विधायक पन्नालाल शाक्य ने दिग्विजय सिंह की बयानबाजी को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह पार्टी में आने का रास्ता ढूंढ रहे हैं. इसलिए वे RSS और BJP की विचारधारा से प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे किसके संपर्क में हैं, यह ऊपरवाले यानी हाईकमान ही जानता है. वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, इसलिए उनके विषय में ज्यादा क्या ही कहा जाए.

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गौचर भूमि के बारे में क्यों कुछ नहीं बोलते.

विधायक पन्नालाल शाक्य ने दिग्विजय सिंह के मंदिर माफी की जमीन पर रोक लगाने वाले बयान पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह के शासनकाल में जमीनों का बंदरबांट हुआ था. मंदिर माफी की कितनी जमीन बची है, पहले उसकी तलाश कर ली जाए. उन्होंने कहा कि मंदिर माफी की जमीन बचाने के नाम पर दिग्विजय सिंह केवल राजनीतिक कर रहे हैं. वे जो भी बोलते हैं सिर्फ वोटबैंक को ध्यान में रखकर बोलते हैं. यदि उन्हें मंदिर माफी की जमीन की इतनी चिंता है तो वे चरनोई यानी गौचर भूमि के बारे में क्यों कुछ नहीं बोलते.

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दिग्विजय सिंह के शासनकाल में सरकारी जमीनें बांट दी गईं

भाजपा विधायक ने कहा कि गायों के लिए आरक्षित चरनोई जमीन पर माफियाओं ने कब्जा जमा लिया है. उन्होंने कहा कि मंदिरों के रखरखाव के लिए अंग्रेजी शासन में जमीनें दी गई थीं और मुगल शासन में मवेशियों के लिए चरनोई भूमि आरक्षित की गई थी. लेकिन, दिग्विजय सिंह के शासनकाल में तो लगभग सभी सरकारी जमीनें ही बांट दी गईं. उन्होंने कहा कि अब गाय कहां खड़ी होगी. अगर, गाय वोट दे रहीं होती तो शायद जमीनें बच जातीं, लेकिन गाय तो मूक है, वह बोल नहीं सकती. 

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