सीहोर का ऑल सेंट्स चर्च रोशनी, रंग और विश्वास के संगम में नहाकर दुल्हन की तरह सजा खड़ा है. पुराने इंदौर-भोपाल हाईवे के किनारे स्थित यह ऐतिहासिक चर्च इन दिनों दूधिया सफेद और रंगीन रोशनी में जगमगा रहा है. जैसे ही शाम ढलती है, पूरा परिसर स्वर्गिक आभा से भर उठता है और देखने वालों का मन श्रद्धा से भर जाता है. यह वही चर्च है जिसे एशिया का दूसरा सबसे सुंदर चर्च कहा जाता है, जिसकी भव्यता और स्थापत्य कला आज भी दुनिया को चकित करती है.
27 साल में रची गई आस्था की इमारत
इस ऐतिहासिक चर्च का निर्माण वर्ष 1834 में अंग्रेजी हुकूमत के पहले पॉलिटिकल एजेंट जेडब्ल्यू ओसबार्न ने अपने दिवंगत भाई की स्मृति में करवाया था. इसे बनाने में पूरे 27 वर्ष लगे. वह दौर जब ईंट, पत्थर और विश्वास से इतिहास रचा जाता था. सीवन नदी के शांत किनारे खड़ा यह चर्च भोपाल रियासत का पहला चर्च बना और वर्ष 1860 में यहां पहली बार प्रार्थना आयोजित हुई. तभी से यह स्थल मसीही समाज की आस्था का पवित्र केंद्र बना हुआ है.
स्कॉटलैंड की तर्ज पर बनी वास्तुकला
ऑल सेंट्स चर्च की वास्तुकला स्कॉटलैंड में बने चर्च से प्रेरित है. इसकी दीवारें लाल पत्थरों से बनी हैं और उन पर की गई नक्काशी उसी शैली की है जैसी स्कॉटलैंड में देखने को मिलती है. इसके चारों ओर लगाए गए बांसों के झुरमुट इस धरोहर को और अधिक प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करते हैं. हर पत्थर, हर मेहराब और हर खिड़की अपने भीतर 150 वर्षों का इतिहास समेटे खड़ी है.
क्रिसमस पर जगमगाया विश्वास
क्रिसमस पर्व पर इस चर्च में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित होती हैं. देश-प्रदेश से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और प्रभु यीशु के जन्म का उत्सव प्रेम, शांति और सेवा के संदेश के साथ मनाते हैं. इस अवसर पर चर्च परिसर में सजावट, रोशनी, क्रिसमस ट्री, प्रार्थनाओं की गूंज और घंटियों की मधुर ध्वनि ऐसा वातावरण रचती है मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो.
इतिहास का जीवंत साक्ष्य
मसीह समाज के वरिष्ठ सदस्य रविंद्र सनी मसीह बताते हैं कि ऑल सेंट्स चर्च केवल ईंट-पत्थर की इमारत नहीं बल्कि इतिहास, संस्कृति और विश्वास का जीवंत दस्तावेज है. यह चर्च भोपाल रियासत के दौर से लेकर आज तक समाज को एक सूत्र में बांधता आया है और आज भी नई पीढ़ी को प्रेम, अनुशासन और आस्था की सीख देता है.
सीहोर की पहचान बनी विरासत
आज ऑल सेंट्स चर्च केवल धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह सीहोर की पहचान बन चुका है. इसकी भव्यता देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं. क्रिसमस की यह सजावट न केवल मसीही समाज बल्कि पूरे शहर के लिए उत्सव का संदेश है. यह बताती है कि परंपराएं जीवित हैं, आस्था मजबूत है और सीहोर की यह ऐतिहासिक धरोहर सदियों तक लोगों के दिलों में रोशनी बिखेरती रहेगी.
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