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Ayushman से इलाज, सरकारी अस्पतालों में "दलालों" का जाल! CMHO और डीन ने ऐसा एक्शन लेने का किया ऐलान

Ayushman Bharat Yojana: प्रदेश के निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आया है. सरकारी अस्पतालों से निजी अस्पताल तक दलालों की पहुंच है. सरकारी सिस्टम की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है.

Ayushman से इलाज, सरकारी अस्पतालों में "दलालों" का जाल! CMHO और डीन ने ऐसा एक्शन लेने का किया ऐलान

Ayushman Bharat Yojana Fraud: मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पताल (Government Hospitals) इन दिनों परेशान हैं. वजह निजी अस्पतालों (Private Hospitals) के लिए काम करने वाले एजेंट हैं, जिन पर सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड (Ayushman Card) धारकों को बहला फुसला कर निजी अस्पताल में दाखिल कराने और मोटा मुनाफा कमाने का आरोप है. सवालों के घेरे में सरकारी अस्पतालों का लचर सिस्टम भी है. वहीं आयुष्मान भारत निरामय मध्यप्रदेश के अधिकारियों ने कहा है कि फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने वालों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

ये मामले बयां कर रहे हैं फर्जीवाड़े की कहानी

केस 1 : अरुण कुमार अपने परिजन का हमीदिया अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे, तो निजी अस्पतालों के दलालों ने घेर लिया. निजी अस्पताल में दाखिल कराने के लिए दबाव बनाने लगे. दलालों से इनकी बहस भी हुई.

केस 2 : सरकारी महकमे में काम करने वाले अशोक पांडे भी सरकारी अस्पताल पहुंचे तो निजी अस्पताल के दलालों ने संपर्क किया और आयुष्मान कार्ड  के आधार पर इलाज कराने की बात करने लगे.

केस 3 : राजीव तिवारी अपने परिजनों का पर्चा बनवाने के लिए लाइन में लगे तो दलाल आ गए, कोई कहने लगा आयुष्मान का कार्ड बनवा देंगे, किसी ने निजी अस्पताल में इलाज करवा देंगे का लालच देना शुरू कर दिया.

सरकारी जांच से ही पता लगा है कि निजी अस्पताल, अस्पताल के कुछ लोग और 108 एंबुलेंस के ड्राइवरों के जरिये पूरा खेल चल रहा हैं.

इस मामले में हमीदिया अस्पताल की डीन सुनीत टंडन बताती हैं कि एक रैकेट हमने पकड़ा है, जो निजी अस्पताल और कुछ हमारे स्टाफ की मिलीभगत से चल रहा है. इसमें मरीजों सरकारी अस्पताल से निजी अस्पताल बहला फुसला कर के जाते हैं हमने मामले में जांच के लिए कमेटी बनाई है मामला पुलिस को सौंप है.

अफसर क्या कह रहे हैं?

सरकारी अस्पताल सांठगांठ की बात कर तो रहा है, लेकिन स्थानीय थाने में एक शिकायती आवेदन तक नहीं दिया गया है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग भी सवालों के घेरे में हैं. भोपाल के सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी का कहना है कि सरकार का मकसद आयुष्मान योजना के माध्यम से बेहतर इलाज करने का है, कुछ लोग इसे अपने मुनाफे का सौदा मान बैठे हैं सरकारी अस्पताल में दलाल छोड़ और एंबुलेंस के माध्यम से मरीजों को यहां से वहां करते हैं अब ऐसे अस्पतालों का लाइसेंस भी निरस्त करना पड़ेगा तो करेंगे.

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