
EOW Action News: इंदौर शहर (Indore City) में जमीन के जादूगरों ने शहर में पदस्थ वरिष्ठ पंजीयक के साथ मिलकर सरकार को 13 करोड़ 32 लाख रुपये का चूना लगा दिया था. इस मामले में ईओडब्ल्यू (EOW) की इंदौर शाखा यानी आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को मिली शिकायत के बाद अब पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसमें इंदौर शहर के वरिष्ठ पंजीयक सहित बिल्डरों को भी आरोपी बनाया गया है.
दरअसल, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इंदौर को एक गोपनीय शिकायत मिली थी, जिसमें इंदौर शहर के बिल्डरों की ओर से जिला पंजीयक विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर जमीन की मूल कीमत में हेर फेर कर रजिस्ट्री करने का आरोप लगाया गया था. अब इसी के आधार पर ईओडब्ल्यू की टीम जांच कर रही थी.
ऐसे हुआ खेला
जांच के दौरान यह सामने आया कि जिस जमीन की रजिस्ट्री पचास हजार रुपये घन मीटर के हिसाब से की जानी थी, उस जमीन की रजिस्ट्री का मूल्य बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए बदल दिया गया और जमीन की रजिस्ट्री 14,200 रुपये के हिसाब से की गई है. इस मामले में कुल रजिस्ट्री अठारह करोड़ पचास लाख रुपये मूल्य की होनी थी, जो मात्र पांच करोड़ के आसपास की राशि में कर दी गई और कुल मिलाकर 13 करोड़ 32 लाख रुपये की स्टाम्प ड्यूटी चोरी की गई है. इस मामले में ईओडब्ल्यू ने पाया कि वरिष्ठ जिला पंजीयक, उप पंजीयक ने टाउनशिप का नाम हटाकर मांगलिया सड़क किया और फिर कम दरों पर रजिस्ट्री करा ली.
इन अफसरों ने किया गड़बड़झाला
इस मिलीभगत में वरिष्ठ जिला पंजीयक अमरेश नायडू, उप पंजीयक संजय सिंह की भूमिका प्रमुख रूप से सामने आई है. वहीं, टाउनशिप विकसित करने वाले विवेक चुघ, सेवन हाइट्स के कुमार जैन, महेंद्र कुमार जैन के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है. इस मामले में ईओडब्ल्यू के एसपी रामेश्वर सिंह यादव के निर्देशन में मामले की जांच की गई. जांच में पता चला कि डीएलएफ गार्डन सिटी टाउनशिप की गाइडलाइन 50,800 रुपये है, लेकिन अफसरों ने कॉलोनाइजर के साथ मिलकर टाउनशिप का नाम हटाया और मांगलिया सड़क की दरों के हिसाब से रजिस्ट्री कर दी. मांगलिया रोड की गाइडलाइन 14,200 रुपये प्रति वर्गमीटर कर दी.
'संपदा टू प्वाइंट जीरो' भी फेल
ईओडब्ल्यू इंदौर शाखा के एसपी रामेश्वर सिंह यादव ने बताया कि शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू की टीम ने भौतिक सत्यापन किया. मांगलिया सड़क और टाउनशिप के बीच का अंतर समझा. इसके बाद पंजीयन कार्यालय में दोनों जगह की रजिस्ट्री के नमूनों की जांच की. टाउनशिप का नाम हटाकर कम दरों में रजिस्ट्री के सबूत मिलने के बाद केस दर्ज किया गया.
इस मामले में बड़ी बात यह भी सामने आई कि एक अप्रैल 2025 को संपदा टू प्वाइंट जीरो लॉन्च हुई थी, उस वक्त अफसरों ने इसके जीरो एरर होने का दावा किया था. गाइडलाइन में किसी भी तरह की चोरी नहीं होने की बात कही थी, लेकिन इस मामले ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है. रजिस्ट्री के अधिवक्ताओं ने उसी समय प्रेजेंटेशन दिया था कि सर्विस प्रोवाइडर इसमें भी सेंध लगा सकते हैं, अब इस मामले में यही हुआ. टाउनशिप के फोटो लगाने के बजाय मांगलिया रोड की खाली जमीनों के फोटो लगाकर कम कीमत पर रजिस्ट्री करवा दी गई. गाइडलाइन की एक विसंगति यह भी है कि कई जगह प्राइम लोकेशन की दरें काफी ज्यादा है, लेकिन उनके ठीक पीछे बस्ती, अवैध बसाहट, संकरी सड़कें हैं. उनकी गाइडलाइन भी प्राइम लोकेशन के हिसाब से होती है.