MP Employment News: बेरोजगारी मुद्दे पर मध्यप्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Assembly)में सरकार द्वारा ही पेश आंकड़ों से कई सवाल उठते हैं. मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि 2023 की तुलना में मई 2024 तक 9,90,935 बेरोजगारों की संख्या कम हो गई है. सरकार दावा करती है कि पिछले साल 35 लाख 73 हजार बेरोजगार थे, जबकि इस साल मई 2024 की स्थिति में यह संख्या घटकर 25 लाख 82 हजार हो गई है. जबकि ताजा आर्थिक सर्वे में ये आंकड़ा 33 लाख से कुछ ज्यादा है.कांग्रेस विधायक बाला बच्चन (Bala Bachchan) ने 1 जुलाई 2021 से अब तक रोजगार मेलों के माध्यम से दिए गए प्रस्ताव पत्रों की जिलावार जानकारी मांगी थी. इसी जानकारी पर सवाल खड़े हुए हैं.
सरकार का दावा: तीन साल में 2.32 लाख को रोजगार के प्रस्ताव
सरकार ने जवाब में बताया कि पिछले तीन वर्षों में 2.32 लाख युवाओं को रोजगार के प्रस्ताव दिए गए हैं, 1 जुलाई 2021 से 31 मार्च 2022 तक 1,11,351 युवाओं को, वर्ष 2022-23 में 68,098 और वर्ष 2023-24 में 52,846 प्रस्ताव पत्र दिए गए. हालांकि, वर्ष 2024-25 में 31 मई तक किसी भी बेरोजगार को कोई प्रस्ताव पत्र नहीं दिया गया है.
सवाल उठाता है: 7.58 लाख बेरोजगार कहां गए?
सरकार के दावों के बावजूद, एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि वे 7.58 लाख बेरोजगार कहां गए जो पिछले एक साल में घटे हैं. सरकार के दावे और वास्तविकता के बीच इस अंतर को समझना महत्वपूर्ण है. सवाल ये भी है कि क्या जिनके नाम हटे हैं उन्हें वाकई में रोजगार मिल गया है या फिर उन्होंने बेरोजगारी की सूची से अपना नाम हटवा लिया है.
मुद्दा बेरोज़गारी - कांग्रेस बनाम बीजेपी
राज्य कौशल विकास एवं रोजगार राज्यमंत्री गौतम टेटवाल ने कहा कि जो लोग रोजगार के लिए पंजीकृत हैं, वे बेरोज़गार नहीं हैं. पंजीकरण की अवधि तीन साल की होती है, जिसके बाद उन्हें फिर से पंजीकरण कराना पड़ता है जिन लोगों को रोजगार मिल जाता है, उनका पंजीकरण हट जाता है, जिसके कारण आंकड़े कम-ज्यादा होते रहते हैं.
कांग्रेस के पास आरोप लगाने के अलावा कुछ नहीं बचा है और वे बिना तथ्यों के आरोप लगा रहे हैं उनके समय में सिर्फ़ 3,000 लोगों को रोजगार मिला था जबकि वर्तमान सरकार के समय में 25,000 लोगों को प्लेसमेंट मिला है.
जुमलों की है सरकार: कांग्रेस
दूसरी ओर, कांग्रेस विधायक आर के दोगने ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार जुमलों की सरकार है, जो केवल गुमराह करने के लिए आंकड़े प्रस्तुत करती है. सरकार का दावा है कि 2 लाख लोगों को रोजगार दिया गया, लेकिन बाकी कहां गए?
कुल मिलाकर बेरोजगारी पर सत्ता और विपक्ष के अपने-अपने तर्क हैं, जहां एक ओर सरकार अपने आंकड़ों के साथ अपनी उपलब्धियों को गिनाती है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष उन पर आरोप लगाकर उनकी नीतियों को चुनौती देता है. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वास्तविकता में इन दावों और आरोपों का कितना असर पड़ता है और बेरोजगारी के समस्या का समाधान कैसे होता है.
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