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Jabalpur: देखने में छोटे लगे, निशाना बैठाते सटीक! 11 वर्षीय सोहित ने तीरंदाजी में तोड़ा नेशनल रिकॉर्ड

Jabalpur News: सोहित की इस सफलता ने यह दिखा दिया है कि सच्ची मेहनत और लगन के आगे कोई भी मुश्किल टिक नहीं सकती. जबलपुर और देश को उनके जैसे चमकते सितारों पर गर्व है. अब सोहित की नजरें 2028 लॉस एंजेलेस ओलंपिक पर टिकी हैं, जहां कंपाउंड आर्चरी पहली बार ओलंपिक में शामिल होगी. उनका सपना-भारत के लिए ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतना.

Jabalpur: देखने में छोटे लगे, निशाना बैठाते सटीक! 11 वर्षीय सोहित ने तीरंदाजी में तोड़ा नेशनल रिकॉर्ड
Jabalpur News: 11 वर्षीय सोहित कुमार ने तीरंदाजी में बनाया रिकॉर्ड

Jabalpur News: जबलपुर से गौरवांवित करने वाली ख़बर सामने आयी है. मध्य प्रदेश के होनहार तीरंदाज सोहित कुमार ने अपनी मेहनत, जुनून और ज़ज्बे से पूरे देश का सिर ऊंचा कर दिया है. आंध्र प्रदेश के गुंटूर में आयोजित अंडर-15 राष्ट्रीय तीरंदाजी चैम्पियनशिप में सोहित ने 710/720 का बेहतरीन स्कोर कर न सिर्फ़ स्वर्ण पदक जीता, बल्कि इस श्रेणी का राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिया. सोहित की कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है. सिर्फ 11 साल की उम्र में उन्होंने साबित कर दिया कि सपने उम्र नहीं देखते, बस हौसला चाहिए. जबलपुर स्थित एमपी स्टेट आर्चरी अकादमी में ट्रेनिंग ले रहे सोहित ने तीरंदाजी की शुरुआत महज 10 साल की उम्र में की थी. उनके कोच रिचपाल सिंह ने उनकी प्रतिभा को तराशा और आज नतीजा सबके सामने है.

ऐसा रहा सफर

सोहित का सफर आसान नहीं रहा. उनके पिता एक दिव्यांग सब्जी विक्रेता है. ऐसे में पिता ने सीमित संसाधनों के बावजूद बेटे के सपनों की उड़ान पर कोई आंच नहीं आने दी. आज जब सोहित ने राष्ट्रीय मंच पर इतिहास रच दिया है, तो यह जीत सिर्फ़ उनकी नहीं, बल्कि हर उस पिता की है जो अपनी परिस्थितियों से लड़ते हुए बच्चों के सपनों में जान फूंकते हैं.

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यह कोई पहली बार नहीं है जब सोहित ने अपना जलवा दिखाया हो. 2024 के SGFI स्कूल नेशनल गेम्स (गुजरात) में भी उन्होंने स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतकर सबका ध्यान खींचा था. उत्तराखंड में हुए ओपन नेशनल टूर्नामेंट में भी सोहित ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया.

अब सोहित की नजरें 2028 लॉस एंजेलेस ओलंपिक पर टिकी हैं, जहां कंपाउंड आर्चरी पहली बार ओलंपिक में शामिल होगी. उनका सपना-भारत के लिए ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतना. सोहित की इस सफलता ने यह दिखा दिया है कि सच्ची मेहनत और लगन के आगे कोई भी मुश्किल टिक नहीं सकती. जबलपुर और देश को उनके जैसे चमकते सितारों पर गर्व है. "छोटे शहरों से बड़े सपनों तक की उड़ान, सोहित कुमार की कहानी हर युवा के लिए एक मिसाल है."

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