MP News : बालाघाट (Balaghat) जिले की 100 साल पुरानी नैरोगेज ट्रेन (Nerogage Train) का इंजन बालाघाट के पुरातत्व शोध संग्रहालय (Archaeological Research Museum) में पहुंच गया है. 24 नवंबर को प्लेटफार्म को पूरी तरह से तैयार कर छह साल से खड़ी बोगी से इंजन को जोड़ दिया जाएगा. इसके साथ ही पुरातत्व प्रेमियों और जिलेवासियों का धरोहर जक्शन का सपना पूरा होगा.
धरोहर बनाने की हो रही थी मांग
बालाघाट जिले में नैरोगेज ट्रेन (Nerogage Train) का काफी पुराना इतिहास रहा है. गोंदिया, बालाघाट से जबलपुर के लिए जिलेवासी इसी ट्रेन में सफर किया करते थे. कम स्पीड में चलने के कारण इस नेरोगेज ट्रेन को जिलेवासी छुक-छुक ट्रेन के नाम से भी जानते हैं. जिले के ग्रामीण अंचलों के स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थी भी इसी ट्रेन से जिला मुख्यालय पहुंचते थे. इस कारण इस ट्रेन से उनकी बचपन की यादें और भावनाएं भी जुड़ी हुई हैं. नागपुर से इसे मंगाया गया है.
इस तरह किए गए प्रयास
संग्रहालय अध्यक्ष डॉक्टर गहरवार ने बताया कि नैरोगेज की बोगी की स्थापना को लेकर काफी प्रयास किए गए. साल 2017 में तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव के समय रेलवे (Indian Railway) ने संग्रहालय को नैरोगेज की बोगी 98 हजार 242 रुपए में प्रदान की थी. जिसे जन सहयोग से राशि एकत्रित कर संग्रहालय में स्थापित भी किया जा चुका है. इसके बाद से ही इंजन को भी संग्रहालय में लाए जाने के प्रयास किए जा रहे थे. वर्तमान कलेक्टर डॉक्टर गिरीश कुमार मिश्रा ने इस विषय में विशेष रूचि दिखाई. नैरोगेज ट्रेन का इंजन संग्रहालय में पहुंच चुका है. जिसे कलेक्टर डॉ मिश्रा के मार्गदर्शन में स्थापित किया जा रहा है.
सेल्फी लेने का दिनभर चला दौर
लंबा पड़ाव पार कर बालाघाट पहुंचे इंजन को देखने और सेल्फी लेने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी. संग्रहालय अध्यक्ष डॉ वीरेन्द्र सिंह गहरवार, सुभाष गुप्ता, श्याम सिंह ठाकुर, सचिन, समीर गहरवार ने इंजन को लाने के अनुभव साझा किए. वहीं मौके पर पहुंचे पर्यटन प्रबंधक एमके यादव, अजय सिंह ठाकुर, सचिन कृष्णनन, विजय सूर्यवंशी, हर्ष बैस, बाबूलाल गोमासे, और अन्य पुरातत्व प्रेमियों ने नेरोगेज से जुड़े अपने अनुभव साझा किए.
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