18वीं लोकसभा के लिए हो रहा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) अपना आधा से ज्यादा सफर पूरा कर लिया है. तीसरे चरण में 7 मई को 11 राज्यों की 93 सीटों पर मतदान पूरा होने के साथ ही 543 सदस्यों की लोकसभा की 283 सीटों के लिए वोटिंग का काम पूरा हो गया. लोकसभा में बहुमत के लिए 272 सदस्यों की जरूरत होती है और 283 सीटों पर मतदान हो चुका है. अब बाकी चार चरणों में 260 सीटों पर वोट डाले जाने हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि तीन चरण के मतदान के बाद किस पार्टी का पलड़ा भारी है और लगातार घटते मतदान प्रतिशत के क्या मायने हैं?
तीन चरणों में कितने रहा मतदान
सबसे अधिक वोटिंग असम में 75 प्रतिशत और सबसे कम मतदान महाराष्ट्र में 53.7 प्रतिशत रहा. वहीं अन्य राज्यों की बात करें तो वहां भी मतदान प्रतिशत में कमी आयी है. 2019 के मुकाबले इस बार दादरा और नागर हवेली में 11.9 फीसदी, असम में 10.2 फीसदी, महाराष्ट्र में 10.2 फीसदी, गुजरात में 8.7 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 7.8 फीसदी, बिहार में 4.9 फीसदी, मध्य प्रदेश में 4.2 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 4.0 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 3.9 फीसदी, कर्नाटक में 2.5 फीसदी और गोवा में 2.2 फीसदी मतदान घटा है.
असम के धुबरी में सबसे ज्यादा 79.7% मतदान
तीसरे चरण में सबसे अधिक मतदान असम के धुबरी लोकसभा सीट पर हुआ है. यहां 79.7 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. वहीं गुजरात की अमरेली सीट पर सिर्फ 46.1 प्रतिशत लोगों ने वोट के लिए घर से बाहर निकले.
अभी तक के आंकड़ों के हिसाब से इन तीन चरणों में जो सबसे बड़ी बात देखने को मिली, वो ये कि मतदान का प्रतिशत इन तीनों ही चरणों में 2019 के मुकाबले कम ही रहा है. 2019 में लगातार बढ़ते चरण के साथ मतदान का प्रतिशत गिरता गया और इस बार भी कम ही है.
तीसरे चरण के मतदान के बाद 10 अहम सवाल :
1. लगातार तीसरे दौर में मतदान प्रतिशत के घटने के क्या मायने हैं?
2. क्या कम मतदान के बावजूद BJP अपना अच्छा स्कोर कायम रख पाएगी?
3. बंगाल में मतदान प्रतिशत क्यों घटा?
4. कर्नाटक में 'प्रज्ज्वल' विवाद का मतदान पर कितना असर?
5. महाराष्ट्र में बारामती में चाचा या भतीजा?
6. क्या यूपी के यादवलैंड में बचेगी मुलायम परिवार की प्रतिष्ठा?
7. MP में कम मतदान के मायने क्या?
8. क्या बीजेपी का मुकाबला कर पाएगी कांग्रेस?
9. तीसरे चरण की वोटिंग, किसके लिए खतरे की घंटी?
10. तीन चरण का चुनाव देख क्या समझ आ रहा है?
क्या कहते हैं चुनाव विश्लेषक
तीन चरण के चुनाव के बाद तीन चुनाव विश्लेषक संजय कुमार, नीरजा चौधरी और संदीप शास्त्री ने इस आधे से ज़्यादा चुनाव का पूरा विश्लेषण किया.
इधर, चुनाव विश्लेषक प्रो. संजय कुमार कहते हैं कि चुनाव सभी के लिए महत्वपूर्ण होना चाहिए, लेकिन वोट प्रतिशत में गिरावट ये बता रहा है कि अब चुनाव में लोगों की दिलचस्पी घट रही है. गर्मी या उदासीनता के अलावा भी इसके कई कारण हो सकते हैं. तीन चरणों में जहां महाराष्ट्र में बेहद कम लोगों ने वोट किया, वहीं असम और पश्चिम बंगाल में अब भी बड़ी तादाद में मतदताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, लेकिन ओवरऑल वोटर्स में उदासीनता साफ दिखाई दे रहा है.
संजय कुमार कहते हैं कि इस बार का चुनाव किसी राष्ट्रीय मुद्दे पर नहीं, बल्कि लोकल मुद्दों पर होता दिख रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी आगे कहते हैं कि ऐसा भी नहीं है कि बीजेपी के लिए लोग वोट नहीं कर रहे हैं, लेकिन पिछले दो चुनावों की तरह इस बार नहीं है.
चुनाव एकतरफा नहीं, लड़ता दिख रहा है विपक्ष
चुनाव विश्लेषकों ने कहा कि जैसा सोचा जा रहा था, वैसा एकतरफा चुनाव बिल्कुल नहीं है. विपक्ष भी लड़ता दिख रहा है. वहीं कई जगह लोगों के असंतोष भी सामने आ रहे हैं. बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे कई टक्कर वाले राज्य में मुकाबला काफी नजदीकी हो गया है. इस बार चुनाव में आरक्षण और संविधान भी बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है. आगे के चरणों में मुसलमान को आरक्षण सहित कई और भी मद्दे चुनाव में चर्चा के केंद्र में होंगे.