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This Article is From Nov 07, 2023

अनहोनी के डर से इस गांव में एक हफ्ते पहले ही मना ली जाती है दिवाली, जानें अनोखी परंपरा के पीछे की वजह

खुशियों का त्योहार दिवाली पूरे देश में 12 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन घर-घर जगमगाते हुए दीये जलाए जाते हैं और देवी लक्ष्मी व भगवान गणेश की पूजा (Laxmi-Ganesh Pooja) की जाती है लेकिन छत्तीसगढ़ के धमतरी (Dhamtari) जिले में दिवाली एक सप्ताह पहले ही मना ली जाती है.

अनहोनी के डर से इस गांव में एक हफ्ते पहले ही मना ली जाती है दिवाली, जानें अनोखी परंपरा के पीछे की वजह
अनहोनी के डर से इस गांव में एक हफ्ते पहले ही मना ली जाती है दिवाली

भारत में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं. उन्हीं में से सबसे बड़ा त्योहार दिवाली (Diwali), हर किसी का प्रिय है जिसे लोग बड़े उत्साह और धूम-धाम से मनाते हैं. दीवाली के त्योहार को अब कुछ ही समय बाकी है. दीवाली को मनाने की अलग-अलग परंपराएं भी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) में एक ऐसा गांव है जहां दिवाली का त्योहार एक हफ्ते पहले ही मना लिया जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह...

खुशियों का त्योहार दिवाली पूरे देश में 12 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन घर-घर जगमगाते हुए दीये जलाए जाते हैं और देवी लक्ष्मी व भगवान गणेश की पूजा (Laxmi-Ganesh Pooja) की जाती है लेकिन छत्तीसगढ़ के धमतरी (Dhamtari) जिले में दिवाली एक सप्ताह पहले ही मना ली जाती है.

एक सप्ताह पहले ही त्योहार मनाने की परंपरा

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में सबसे अनोखी दिवाली मनाई जाती है. ये परंपरा आपको कहीं और देखने नहीं मिलेगी. इस गांव में बहुत अनोखे अंदाज़ में दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. एक सप्ताह पहले ही त्योहार मनाने की परंपरा पिछले 5 दशकों से यहां चली आ रही है. न सिर्फ दिवाली बल्कि होली और हरेली पोला त्योहार भी यहां एक हफ्ते पहले ही मनाया जाता है.

इसीलिए मनाते हैं सप्ताह भर पहले

सेमरा गांव में एक सप्ताह पहले दीपावली मनाने की कहानी ऐसी है कि गांव में सिदार देव हैं, जिन्होंने गांव को एक बड़ी परेशानी से मुक्त किया था. इसके बाद गांव के पुजारी को सपना आया जिसके अनुसार सिदार देव ने गांव में कभी भी आपदा या कोई परेशानी नहीं आने का आश्वासन दिया और कहा लेकिन आप लोगों को सबसे पहले मेरी पूजा करनी होगी. यही कारण है कि हर साल सात दिन पहले ही दिवाली का त्योहार सेमरा गांव में मना लिया जाता है.

खुशी खुशी त्योहार मनाते हैं गांव वाले

कई लोग इस परंपरा को अंधविश्वास या अंध श्रद्धा मानते हैं लेकिन गांव वाले इस परंपरा की लकीर को कभी नहीं तोड़ना चाहते. गांव वालों का कहना है कि ऐसा करने पर कोई न कोई अनहोनी हो जाती है और इस परंपरा का पालन कर ग्रामीण काफी खुश भी रहते हैं.

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