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PM Awas Yojna: छत्तीसगढ़ में तैयार होने से पहले ही गिरने लगे पीएम आवास योजना के घर, जानें-क्यों हुआ ऐसा ?

PM Awas Yojana News: देश के हर गरीब परिवार को छत मुहैया कराने के इरादे से पीएम आवास योजना की शुरुआत की थी. इसी कड़ी में  दुर्ग ज़िले के सरस्वती नगर में गरीबों के लिए 522 घर पीएम आवास योजना के तहत बनाए जा रहे हैं, लेकिन लोगों के बसने से पहले ही ये घर खंडहर में तब्दील हो रहे हैं.

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PM Awas Yojna: छत्तीसगढ़ में तैयार होने से पहले ही गिरने लगे पीएम आवास योजना के घर, जानें-क्यों हुआ ऐसा ?

PM Awas Yojana in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के दुर्ग (Durg) जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana ) का जमकर मज़ाक बनाया जा रहा. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए बनाए गए घर आवंटन से पहले ही खंडहर हो गया है. इस बात की जानकारी जिला प्रशासन और निगम प्रशासन को होने के बाद भी आंखें मूंदकर बैठना और भी चिंता जनक है.

देश के हर गरीब परिवार को छत मुहैया कराने के इरादे से पीएम आवास योजना की शुरुआत की थी. इसी कड़ी में  दुर्ग ज़िले के सरस्वती नगर में गरीबों के लिए 522 घर पीएम आवास योजना के तहत बनाए जा रहे हैं, लेकिन लोगों के बसने से पहले ही ये घर खंडहर में तब्दील हो रहे हैं.

खिड़की दरवाजे चुरा ले गए चोर

2019 में आवास बनना शुरू हुआ था और 2022 तक बन कर तैयार हो गए थे. इसके बाद रखरखाव के अभाव में सभी 522 मकान की खिड़कियों और दरवाजों के लोहे के एंगल, पाइप और यहां तक कि जमीन में लगा टाइल्स भी असामाजिक तत्व उखाड़ ले गए. आलम यह है कि यहां 90 फीसदी से अधिक घरों के दरवाजे-खिड़कियों की चोरी हो गई है.

खंडहर बना असामाजिक तत्वों का अड्डा

हालात ये है कि ये खंडहर अब असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है. सरस्वती नगर के स्थानीय निवासी दीपक सिन्हा ने बताया कि पीएम आवास योजना के तहत बन रहे मकानों में असामाजिक तत्वों का अड्डा रहता है. वो लगातार यहां चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं. इसके बावजूद दुर्ग नगर निगम के अधिकारी और जिम्मेदार ठेकेदार इस ओर झांकने तक नहीं आते हैं.

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30 करोड़ रुपये का है प्रोजेक्ट

वहीं, दुर्ग निगम आयुक्त लोकेश चंद्राकर ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान अभी निगम को हैंडओवर नहीं हुआ है और न ही अभी तक निर्माणाधीन एजेंसी का पेमेंट पूरा हुआ है, जबकि 30 करोड़ रुपये में से अब तक लगभग 24 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है. अब न ठेकेदार को चिंता है न ही निगम प्रशासन को, इस बीच जनता के लगभग 24 करोड़ रुपये से बनाए गए घर खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं. 

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