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भ्रष्टाचार की इंतहा: करोड़ों रु. खर्च फिर भी पानी बना सपना, सालों बाद सिर्फ कागजों में ही सिंचाई..

MP News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उमरिया (Umaria) जिले में आज भी कई कुछ गांव के किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच पाया है. खेतों में पानी पहुंचना इनके लिए सपने जैसा है.दरअसल  धनवाही देवदंडी धोरक्षत्र नदी डायवर्सन परियोजना के तहत दर्जनभर से अधिक गांवों सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन आज भी ये लक्ष्य अधूरा है..

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भ्रष्टाचार की इंतहा: करोड़ों रु. खर्च फिर भी पानी बना सपना, सालों बाद सिर्फ कागजों में ही सिंचाई..
यहां 10 साल बाद भी कागजों में हो रही सिंचाई, हैंडओवर के पहले गेट में लीकेज !

Madhya Pradesh Hindi News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उमरिया (Umaria) जिले के कई किसानों को आज भी सिंचाई (Irrigation) के लिए पानी का इंतजार करना पड़ रहा है, सरकार एक तरफ खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए नई-नई योजनाओं को ला रही है. वहीं, करोड़ों रुपये की लागत से चल रही सिंचाई परियोजनाएं आज भी अधूरी हैं,  इस पूरे मामले में निर्माण एजेंसी और विभाग की लचरता भी बड़ा कारण है, जिसके कारण किसानों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा. जिनके जिम्मे इन योजनाओं का क्रियान्वयन कर आम जनता को लाभ दिलवाना था, वो कागजों में परियोजना को दौड़ा रहे हैं. करोड़ों रुपए का भुगतान करवा चुके हैं. दूसरी तरफ किसानों की माली हालत जस की तस बनी हुई है. खेतों में पानी का पहुंचना कई किसानों के लिए आज भी किसी सपने से कम नहीं है..

इन गांवों तक परियोजना का पानी नहीं पहुंच रहा

करोड़ों रुपये की सिंचाई परियोजना में 10 साल बाद भी कागजों में हो रही सिंचाई.

करोड़ों रुपये की सिंचाई परियोजना में 10 साल बाद भी कागजों में हो रही सिंचाई.

आपको बता दें कि यह पूरा मामला नौरोजाबाद के नजदीक धनवाही देवदंडी धोरक्षत्र नदी डायवर्सन परियोजना का है. जल संसाधन विभाग ने तकरीबन 13 करोड़ रुपये की लागत से घोरक्षत्र का पानी एक दर्जन से अधिक गांव के खेतों तक पहुंचाने के लिए साल 2013 से इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी. बावजूद इसके घटिया काम व मॉनीटरिंग के अभाव में करीब 10 साल बीतने के बाद भी शत-प्रतिशत गांव तक परियोजना का पानी नहीं पहुंच रहा. कहीं, गेट में लीकेज की शिकायत है, तो कहीं नहर का काम ही अधूरा पड़ा है.

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परियोजना विभाग के हैंडओवर ही नहीं हुई क्यों?

इसे पूरे मामले में जल संसाधन विभाग की भूमिका कटघरे में है, जाहिर है उन्हे यह काम तीन साल में पूर्ण कर खेतों में परियोजना का पानी पहुंचाना था. बावजूद इसके मॉनिटरिंग न होने के कारण 10 साल हो गए, अभी तक परियोजना विभाग के हैंडओवर ही नहीं हुई. जबकि अधूरे कार्य का ही विभाग ने भुगतान कर दिया गया है. अब देखना है कि कृषि प्रधान उमरिया जिले में किसानों के साथ ही हो रहे अन्याय को प्रदेश की सरकार कितनी गंभीरता से लेती है.

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