Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ में ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा PMLA (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका (PIL) दायर की गई थी, लेकिन अब भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) ने इस याचिका को वापस ले लिया है.
क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के कुछ सेक्शन की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Senior Advocate Mukul Rohatgi) और समीर सौंढी ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में जल्द सुनवाई की गुहार भी लगाई थी.
भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी याचिका ये आरोप लगाया था कि गैर-बीजेपी शासित राज्यों (Non BJP Ruled States) की सरकारों के सामान्य कामकाज को 'बाधित करने', 'डराने' और 'परेशान' करने के लिए केन्द्रीय जांच एजेंसियों (Central Investigation Agencies) का दुरुपयोग किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें : 'महाकाल' की नगरी उज्जैन शर्मसार: 12 वर्षीय अर्धनग्न रेप पीड़िता लगाती रही गुहार,नहीं आया कोई मददगार
सरकार ने इस पर उठाया सवाल
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से PMLA कानून की कुछ धाराओं की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सूट में धारा 17 (खोज और जब्ती), 50 (समन, दस्तावेजों को पेश करने और सबूत देने आदि के बारे में अधिकारियों की शक्तियां), 63 (गलत सूचना या सूचना देने में विफलता आदि के लिए सजा) और धारा 71 ( ओवराइडिंग प्रभाव) के बारे में संवैधानिक सवाल उठाया गया है और इसे संविधान के विपरीत बताया गया है.
कोर्ट ने पिछले साल दिया था झटका
पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए यानी प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए प्रवर्तन निदेशालय यानी यानी ईडी के कई अधिकारों की पुष्टि की थी. प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से दर्ज केस में फंसे लोगों को झटका देते हुए कोर्ट ने पीएमएलए कानून के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय(ED) के सभी अधिकारों को बरकरार रखा था.
MP के विधायक की अर्जी पर कोर्ट ने विचार करने को दी थी मंजूरी
इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश से विधायक गोविंद सिंह की अर्जी पर पीएमएलए की धारा 17, 50, 63 और 71 को दी गई चुनौती वाली याचिका पर विचार करने को अपनी मंज़ूरी दे दी थी.