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पैरोल पर छूट कर बाहुबली अंदाज में गांव पहुंचा डबल मर्डर का दोषी, वायरल वीडियो पर होगा एक्शन

ग्वालियर में सेन्ट्रल  जेल से पैरोल पर छूटे एक सज़ायाफ्ता अपराधी विजय शर्मा का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. वीडियो में विजय अपने हथियारबंद साथियों के साथ गांव में घूमता नजर आ रहा है. यह वीडियो  उटीला थाना क्षेत्र के गुरी गांव का बताया जा रहा है.

पैरोल पर छूट कर बाहुबली अंदाज में गांव पहुंचा डबल मर्डर का दोषी, वायरल वीडियो पर होगा एक्शन

Gwalior Crime News: ग्वालियर में सेन्ट्रल  जेल से पैरोल पर छूटे एक सज़ायाफ्ता अपराधी विजय शर्मा का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. वीडियो में विजय अपने हथियारबंद साथियों के साथ गांव में घूमता नजर आ रहा है. यह वीडियो  उटीला थाना क्षेत्र के गुरी गांव का बताया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक गांव के ही एक युवक ने मोबाइल से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर इसे शेयर कर दिया था. इसमें विजय शर्मा अपने 5-6 हथियारबंद साथियों के साथ बाहुबली अंदाज में घूमता नजर आ रहा है. 

बाहुबली अंदाज में रंगबाजी दिखाने गांव आया था

बताया गया हैं कि  विजय शर्मा दोहरे हत्याकांड का मुजरिम  है और उसे आजीवन कारावास की सजा हुई है. इसी के तहत वो वह सेन्ट्रल जेल में बंद है.वह कुछ दिनों से पैरोल पर जेल से बाहर है. गुरुवार दोपहर को वह अपने बाहुबली अंदाज़ मे रंगबाजी दिखाने गांव में गया था. इसी दौरान गांव के एक युवक ने मोबाइल से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. इस वीडियो में विजय शर्मा आधा दर्जन से अधिक साथियों के साथ दिख रहा है. सभी के पास हथियार हैं. वीडियो वायरल होने पर जिले के पुलिस महकमे के आला अधिकारियों को भी खबर लगी. जिसके बाद थाना प्रभारी को वीडियो की जांच करने और नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए. पुलिस का कहना है कि वीडियो से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अपराधी विजय शर्मा पैरोल का दुरुपयोग कर इलाके में दहशत फैलाने की कोशिश कर रहा है.  

रेगुलर पैरोल के नियम क्या हैं?

रेगुलर पैरोल उन ही अपराधियों को मिलती है. जो कम से कम एक साल की सजा काट चुका होता है. और इसके लिए कैदी का व्यवहार अच्छा होना जरूरी है. अगर उसने पहले जमानत ली है. तो उस दौरान कोई क्राइम न किया हो.रेगुलर पैरोल ज्यादा समय के लिए होती है. इसमें कैदी को 30 दिन यानी पूरे एक महीने के लिए रिहा किया जाता है. हालांकि रिक्वेस्ट के आधार पर इसे अधिकतम 90 दिन यानी तीन महीनों तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. लेकिन बेहद शेष परिस्थितियों में ही ऐसा होता है.पैरोल के लिए जेल अधिकारियों को आवेदन देना होता है. अगर इस आवेदन को खारिज कर दिया जाता है. तो ऐसे में अपराधी इसके लिए कोर्ट में अपील कर सकता है. कोर्ट चाहे तो जेल अधिकारियों की रिक्वेस्ट कैंसिल करने बावजूद पैरोल की अनुमति दे सकता है.
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