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Mandsaur Goli Kand : सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर सरकार की अनुपस्थित क्यों? फिर उठा पांच किसानों की मौत का मुद्दा

Mandsaur goli Kand hearing in Supreme : मध्य प्रदेश में मंदसौर गोली कांड को लेकर हमेशा से कांग्रेस बीजेपी सरकार की घेराबंदी करती रही है. इस गोलीकांड के जख्म हर साल जून माह में हरे हो जाते हैं. वहीं, ताजा अपडेट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में मंदसौर गोलीकांड की सुनवाई पर सरकार अनुपस्थित रही है. इसके बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.

Mandsaur Goli Kand  : सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर सरकार की अनुपस्थित क्यों? फिर उठा पांच किसानों की मौत का मुद्दा
मंदसौर गोली कांड में मारे गए किसानों के चित्र.

Mandsaur goli Kand Update :  सुप्रीम कोर्ट में मंदसौर गोलीकांड की सुनवाई पर राज्य शासन, गृह विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग और विधानसभा सचिवालय की ओर से कोई भी एडवोकेट उपस्थित नहीं हुआ. पूर्व विधायक पारस सकलेचा की पिटीशन पर सुनवाई करते हुए माननीय रजिस्ट्रार ने प्रकरण को न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए. पारस सकलेचा की ओर से एडवोकेट सर्वम  रीतम खरे ने बहस की.

मंदसौर में 6 जून 2017 को आंदोलनरत किसानों पर पुलिस द्वारा गोलीचालने से पांच किसानों की मृत्यु हुई थी. गोलीकांड की जांच के लिए राज्य शासन ने 12 जून 2017 को जैन आयोग का गठन किया. जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट 13 जून 2018 को राज्य शासन को पेश कर दी थी. राज्य शासन द्वारा उस रिपोर्ट को विधानसभा में नहीं रखा गया, जबकि जांच आयोग अधिनियम की धारा 3(4) के तहत 6 माह में आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई कर उसे विधानसभा में रखा जाना चाहिए था.

जैन आयोग की रिपोर्ट क्या है?

पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने मंदसौर गोली कांड में जैन आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में रखने के लिए सरकार को आदेश देने के लिए माननीय उच्च न्यायालय इंदौर में पिटीशन दाखिल की, जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने इस आधार पर खारिज किया की घटना को लंबा समय हो गया.

नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा

अतः रिपोर्ट विधानसभा में रखने का कोई औचित्य नहीं है. माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पारस सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दाखिल की, जिस पर राज्य शासन को और अन्य सभी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में आज दिनांक तक किसी के भी ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया. 15 मई को तारीख पर कोई भी ऐडवोकेट उपस्थित नहीं हुआ. इस पर माननीय रजिस्ट्रार ने प्रकरण को सुनवाई के लिए न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए.

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