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This Article is From Oct 07, 2023

फ्रीबीज़ पर SC सख्त, भारी भरकम कर्ज लेकर मुफ्त घोषणाएं क्यों कर रही MP-राजस्थान सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 6 अक्टूबर को फ्रीबीज मुद्दे पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, चुनाव आयोग, राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.

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फ्रीबीज़ पर SC सख्त, भारी भरकम कर्ज लेकर मुफ्त घोषणाएं क्यों कर रही MP-राजस्थान सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फ्रीबीज पर लगी जनहित याचिकाओं की सुनवाई की. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनावों (Assembly Elections 2023) की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है. चुनावों की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी. यानी उसके साथ ही ऐसी सरकारी घोषणाओं (Election Freebies) पर रोक लग जाएगी, जिनसे मतदाताओं को लुभाया जा सके. यही कारण है कि इन चुनावी राज्यों में फिलहाल सरकार की ओर से घोषणाओं की झड़ी लगी हुई है. चुनावों को ध्यान में रख कर रेवड़ियों की बरसात हो रही है. केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें... एक के बाद एक कई लोकलुभावन फैसले और घोषणाएं कर रही हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को एक ऐसी ही याचिका पर केंद्र सरकार, चुनाव आयोग, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. 

कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने नई जनहित याचिका को पहले से चल रही अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है. सभी मामलों की सुनवाई अब एकसाथ होगी. फ्रीबीज मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुआई में तीन सदस्यीय बेंच ने अगस्त 2022 में शुरू की थी.

दरअसल, फ्रीबीज मुद्दे पर अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर की है. जिस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI D Y Chandrachud), जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि हाईकोर्ट में याचिका नहीं लगाने पर भी सवाल किया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ये भी निर्देश दिया कि पार्टियों को दिए मेमो में मध्य प्रदेश के सीएम ऑफिस के नाम की जगह राज्य सरकार लिखें. साथ ही राज्य सरकार को मुख्य सचिव के जरिए रिप्रजेंट करें. 

मध्य प्रदेश में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण देना हो या फिर राजस्थान में सरकारी बसों में महिलाओं को यात्रा करने पर किराए में 90 प्रतिशत छूट... इन चुनावी राज्यों की सरकारों ने ऐसे वादों को पूरा करने के लिए बेतहाशा कर्ज लिया है और शायद अगली सरकार पर कर्ज का बड़ा बोझ छोड़ कर जाएं.

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मोदी सरकार ने किए ये ऐलान

- केंद्र सरकार ने उज्जवला योजना के तहत सिलेंडर 100 रुपये और सस्ता कर दिया. कुछ दिनों पहले ही यह 200 रुपये सस्ता किया गया था. यानी अभी तक कुल 300 रुपये की छूट मिल चुकी है. अब यह 600 रुपये का पड़ेगा. एमपी में बीजेपी सरकार ने 500 रुपये में सिलेंडर देने की बात कही है. जबकि कांग्रेस ने कहा कि अगर एमपी में सरकार बनती है, तो वह 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देगी. 

- इसके साथ ही मोदी सरकार ने गरीब और निम्न मध्य वर्ग को शहरों में घर खरीदने के लिए ब्याज सब्सिडी देने का ऐलान किया है. यह 60 हजार करोड़ रुपये की योजना होगी. इसके तहत 50 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज में छूट मिलेगी.
यह छूट 3-6 प्रतिशत तक होगी. यह प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत मौजूदा सब्सिडी योजना से अलग होगी और इसकी जगह लेगी. प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से इस योजना की घोषणा की थी.

- केंद्र सरकार ने किसानों के लिए भी ऐलान किए हैं. किसान सम्मान निधि योजना के तहत अभी 8.5 करोड़ से अधिक किसानों को हर चार महीने में दो हजार रुपये मिलते हैं. साल भर में 6 हजार रुपये सीधे बैंक खातों में दिए जाते हैं. इसे बढ़ा कर 8 हजार किया जा सकता है. हालांकि संभव है कि यह घोषणा लोकसभा चुनावों से पहले हो.

रेवड़ियां बांटने में राज्य सरकारें भी पीछे नहीं हैं. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कई घोषणाएं की गई हैं:-

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कर्ज में डूबे चुनावी राज्यों की हालत

- मध्य प्रदेश पर 4 लाख करोड़ रुपये से ऊपर कर्ज.
- आठ दिनों के भीतर ही एमपी सरकार ने चौथी बार कर्ज लिया.
- RBI के मुताबिक राजस्थान का कर्ज बढ़कर 5.37 लाख करोड़ पर पहुंचा.
- राजस्थान ने इस तिमाही में 12 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया.
- पंजाब के बाद राजस्थान कर्ज में डूबा देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य.

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