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This Article is From Dec 07, 2023

जबलपुर कैंट विधानसभा: पिता ईश्वरदास रोहाणी के बाद अशोक ने भी लगाई जीत की हैट्रिक, वजह क्या है?

जबलपुर कैंट विधानसभा क्षेत्र में साल 1993 से ही बीजेपी का ही परचम लहरा रहा है.इस बार भी अशोक रोहाणी ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक चौकसे चिंटूको 30 हजार 45 मतों से शिकस्त दी है. अहम ये है कि पिछली बार अशोक रोहाणी को 56 फीसदी से ज्यादा मत मिले थे और इस बार यह बढ़कर 59.6 प्रतिशत हो गया. इस जीत की वजह क्या है?

जबलपुर कैंट विधानसभा: पिता ईश्वरदास रोहाणी के बाद अशोक ने भी लगाई जीत की हैट्रिक, वजह क्या है?

Jabalpur Cantt Assembly: जबलपुर कैंट विधानसभा क्षेत्र में साल 1993 से ही बीजेपी का ही परचम लहरा रहा है.इस बार भी अशोक रोहाणी (Ashok Rohani) ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक चौकसे चिंटू (Abhishek Chaukse Chintu) को 30 हजार 45 मतों से शिकस्त दी है. अहम ये है कि पिछली बार अशोक रोहाणी को 56 फीसदी से ज्यादा मत मिले थे और इस बार यह बढ़कर 59.6 प्रतिशत हो गया. वैसे शुरुआत से ही कैंट विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला एकतरफा ही नजर आ रहा था. इसकी वजह ये है कि क्षेत्र की जनता से जुड़ाव और लोगों के दुख दर्द में साथ खड़े रहने की अपने पिता की विरासत को अशोक रोहाणी ने बखूबी सहेजा है. 

पार्षद से की थी राजनीति की शुरुआत

बात साल 2005 की है उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी (Ishwardas Rohani) ने नगर निगम चुनावों से अपने बड़े बेटे अशोक का राजनीति में पदार्पण कराया. सिविल लाइन वार्ड से प्रत्याशी बनाकर अशोक के पूरे चुनाव का प्रबंधन खुद पिता ईश्वरदास रोहाणी ने संभाला था. पार्षद का चुनाव जीतकर अशोक मेयर सुशीला सिंह की काउंसिल में मेंबर भी बने, हालांकि बाद में व्यापारिक व्यस्तता के चलते उन्होंने एमआईसी छोड़ दी थी. इसके बाद साल 2013 में विधानसभा प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी थी. प्रत्याशी नाम निर्देशन पत्र दाखिल करने की तैयारी कर रहे थे। मुहूर्त निकलवाया जा चुका था, रैलियां सड़कों पर निकल चुकी थीं कि तभी एक बुरी खबर ने रोहाणी परिवार ही नहीं पूरे विधानसभा को झकझोर कर रख दिया था.  

पिता के निधन के अगले दिन ही कूदे चुनाव में

5 नवंबर 2013 की सुबह मॉर्निंग वॉक से लौटे विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी अचानक बेसुध हो गए. उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां से उनकी मौत की खबर आई. ईश्वरदास रोहाणी कैंट विधानसभा से बीजेपी की ओर से उम्मीदवार भी घोषित हो चुके थे. देर शाम उनका अंतिम संस्कार हुआ और अगले ही दिन अशोक को पार्टी ने प्रत्याशी घोषित कर दिया. पिता की मौत का शोक आंखों में लिए अशोक ने चुनाव प्रचार भी किया और विधायकी का अपना पहला चुनाव ही वे प्रचंड मतों से जीत लिया.उस चुनाव में उनके सामने चमन श्रीवास्तव कांग्रेस के प्रत्याशी थे. हालांकि कहा यह भी जा रहा था कि यह चुनाव उन्होंने पब्लिक सिम्पैथी में जीता था. बात कुछ भी हो लेकिन ये सच है कि इस जीत के बाद अशोक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है और न ही कांग्रेस को इस सीट पर उनका मुकाबला करने लायक कोई बड़ा उम्मीदवार ही मिला.

चुनावी इतिहास

कैंट विधानसभा की सीट पर साल 1993 से बीजेपी अजेय रही है. 1993 से 2013 तक यहां ईश्वरदास रोहाणी विधायक रहे. वहीं 2013 के चुनाव में अशोक रोहाणी ने कांग्रेस के चमन श्रीवास्तव को शिकस्त दी. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में अशोक रोहाणी ने कांग्रेस प्रत्याशी आलोक मिश्रा को धूल चटाई थी. 

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