Diwakar Muktibodh
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रमेश बैस : अब आगे क्या ?
- Tuesday July 30, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
रायपुर से सात बार सांसद रहे रमेश बैस अब महाराष्ट्र के राज्यपाल के कार्यभार से भी मुक्त हो गए हैं. एक दीर्घ और शानदार राजनीतिक करियर रखने वाले रमेश बैस का सियासी भविष्य क्या होगा...77 साल के हो चुके बैसे क्या फिर से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होंगे या फिर पार्टी उन्हें कोई नई जिम्मेदारी देगी?
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नया अध्यक्ष कौन? भूपेश बघेल?
- Thursday June 27, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
बघेल 2014 से 2019 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे. उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस ने संगठन के स्तर पर जो एकता व मजबूती दिखाई, उसका नतीजा यह रहा कि लगातार तीन चुनाव हारने के बाद पार्टी 2018 का विधान सभा चुनाव प्रचंड बहुमत से जीत गई हालांकि वह जीत की इस लय को वह कायम नहीं रख पाई.
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बृजमोहन के लिए अंगूर फिलहाल खट्टे
- Thursday June 13, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
आठ बार के विधायक, प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री व लोकसभा चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले बृजमोहन को 72 मंत्रियों की जंबो लिस्ट में शामिल कर लिया जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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लोकसभा चुनाव : छत्तीसगढ़ में फिर वही कहानी
- Friday June 7, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
विधान सभा चुनाव में विशाल बहुमत के साथ मिली सत्ता को गंवाने के बाद भी कांग्रेस ने स्वयं को दुरूस्त करने के लिए ठोस उपाय नहीं किए. हार से सबक नहीं लिया.परिणामस्वरूप लोकसभा चुनाव में उसकी एक सीट और कम हो गई.अब अगले पांच-छह महीनों में होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव, उसे पुनः उठने का मौका देंगे बशर्ते वह आम लोगों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराए.
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रायपुर लोकसभा सीट: बृजमोहन अग्रवाल सांसद तो बन जाएंगे पर अंगूर खट्टे ही रहेंगे?
- Tuesday May 14, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ की प्रदेश सरकार में मंत्री पद छोड़कर कौन व्यक्ति सांसद बनना चाहेगा ? लेकिन पार्टी अनुशासन से बंधे बृजमोहन की यह मजबूरी है. बहरहाल पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में उनकी भूमिका क्या रहेगी, यह संगठन तय करेगा. संगठन का मतलब है - मोदी-शाह की जोड़ी और इस जोड़ी के तेवर कैसे हैं , यह बृजमोहन से अधिक कौन जान सकता है?
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छत्तीसगढ़ बीजेपी के लिए 2019 की तरह ये चुनाव आसान नहीं है, जानिए कहां-कहां फंसा है पेंच?
- Thursday May 2, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए यह चुनाव 2019 के चुनाव की तरह आसान नहीं है. कांग्रेस को एक से अधिक सीटों का लाभ मिल सकता है.कांग्रेस ने अपनी समूची ताकत दोनों सीटों को बचाने और कुछ नया हासिल करने में लगा रखी है. मोदी-शाह के धुआंधार प्रचार के बावजूद उसे उम्मीद है कि वह इस बार बेहतर प्रदर्शन करेगी. जानिए किस सीट पर क्या समीकरण बैठ रहा है?
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छोटे राज्य का बड़ा चुनाव
- Wednesday April 24, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ में चुनावी घमासान को देखते हुए सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि जो कोई जीतेगा, हार-जीत का अंतर मामूली रहेगा. अलबता यदि कांग्रेस दो से अधिक सीटें जीत पाती हैं तो यह एक उपलब्धि होगी और यदि भाजपा के सभी प्रत्याशी जीत दर्ज करते हैं तो यह विशुद्ध रूप से केवल मोदी-गारंटी की जीत होगी, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की. मोदी-शाह के छत्तीसगढ़ मिशन की.
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बस्तर : जो जीतेगा वो सिकंदर
- Tuesday April 2, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट पर क्या इस बार भी कडे़ मुकाबले की उम्मीद की जा सकती है ? पिछले चुनाव में यह सीट कांग्रेस ने महज 38 हजार 982 वोटों से जीती थी किंतु यह जीत इसलिए भी मायने रखती थी क्योंकि 2019 के चुनाव के समय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जलवा चरम पर था. उनकी लहर के बावजूद कांग्रेस ने बस्तर व कोरबा सीट जीतकर यह सिद्ध कर दिया था कि कोई भी लहर कितनी भी तेज गति से क्यों न चल रही हो, प्रत्येक पेड़ को जड़ से उखाड़कर बहा ले जाना संभव नहीं है.
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छत्तीसगढ़ की कोरबा लोकसभा सीट पर सरोज पांडे और ज्योत्सना महंत के बीच जोरदार मुकाबले के हैं आसार
- Thursday March 28, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ चुनाव प्रचार अभियान में जुटी भाजपा के लिए कम से कम आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस के चक्रव्यूह को तोड़ना आसान नहीं होगा. कांग्रेस ने सभी सीटों पर ऐसे नेताओं को टिकट दी है जिनकी जमीनी पकड़ मजबूत है तथा वे मोदी की गारंटी के नाम पर भाजपा के संकल्प को ध्वस्त कर सकते हैं. प्रदेश की राजनांदगांव लोकसभा सीट के बाद दूसरी हाई-प्रोफाइल सीट है - कोरबा. यहां सरोज पांडे और ज्योत्सना महंत की प्रतिष्ठा दांव पर हैं.
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भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा दांव पर
- Wednesday March 20, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा देश का ध्यान आकर्षित करने वाली सीट है राजनांदगांव लोकसभा जहां कांग्रेस ने पूर्व मुख्य मंत्री भूपेश बघेल को चुनाव मैदान में उतारा है. इस बार कांग्रेस न केवल भाजपा के सभी 11 सीटें जीतने के लक्ष्य को ध्वस्त करना चाहती है वरन इतिहास के उस अध्याय पर भी पूर्णविराम लगाना चाहती है जो वर्ष 2000 में नया छत्तीसगढ़ बनने के बाद भाजपा के नाम दर्ज है. भाजपा ने पिछले चार चुनावों में कांग्रेस को कभी एक या दो सीटों से आगे नहीं बढ़ने दिया.
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छत्तीसगढ़: कड़े मुकाबले में भाजपा
- Friday March 15, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
Lok Sabha elections 2024: इससे पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 11 में से 10, दूसरे में भी 10, तीसरे में 9 और चौथे 8 सीटें जीती थीं. हालांकि इस बार छत्तीसगढ़ में जीत हासिल करने की जिम्मेदारी साय सरकार की कंधों पर है.
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बृजमोहन ही क्यों ?
- Friday March 8, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ एवं लोकप्रिय नेता बृजमोहन अग्रवाल को राज्य की राजनीति से बाहर करते हुए दिल्ली ले जाने का निर्णय घोषित कर दिया है. केन्द्रीय चुनाव समिति ने दो मार्च को जारी अपनी पहली सूची में जिन 195 उम्मीदवारों के नाम जाहिर किए थे, उनमें छत्तीसगढ़ की 11 सीटें भी शामिल हैं. बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया गया है.
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इस रेस में कांग्रेस कहां
- Monday March 4, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
वर्ष 2018 के विधान सभा चुनाव में बुरी हार के बाद भाजपा जिस तरह हौसला खो चुकी थी लगभग वैसी ही स्थिति में कांग्रेस 2023 का चुनाव हारने के बाद नज़र आ रही है. भाजपा मात्र 15 विधायकों तक सिमटने के बाद हार के सदमे से उबर नहीं पाई थी लिहाजा लगभग चार वर्षों तक निष्क्रिय बनी रही. इसकी तुलना में 2023 के चुनाव के परिणाम कांगेस के लिए अप्रत्याशित व कल्पना से परे थे. फिर भी उसकी वह पराजय ऐसी नहीं थी कि हौसला पस्त हो जाए.
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आपका अच्छा गांव : सुंदर सपना या हकीकत?
- Saturday February 24, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
क्या यह मान लिया जाए कि छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या अंतिम सांसे गिन रही है? राज्य की नयी नवेली भाजपा सरकार ने इसके खात्मे के लिए जिस गंभीरता का परिचय दिया तथा अभियान शुरू किया है, उसे देखते हुए यह मान लेने में कोई हर्ज नहीं कि इस राष्ट्रीय समस्या जो अब छत्तीसगढ़ तक सिमट गई है, का अंत निकट है. अगर ऐसा हुआ तो डबल इंजिन सरकार की यह बड़ी उपलब्धि होगी और बस्तर की उस गरीब व निरीह आदिवासी जनता को न्याय मिल पाएगा
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रमेश बैस : अब आगे क्या ?
- Tuesday July 30, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
रायपुर से सात बार सांसद रहे रमेश बैस अब महाराष्ट्र के राज्यपाल के कार्यभार से भी मुक्त हो गए हैं. एक दीर्घ और शानदार राजनीतिक करियर रखने वाले रमेश बैस का सियासी भविष्य क्या होगा...77 साल के हो चुके बैसे क्या फिर से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होंगे या फिर पार्टी उन्हें कोई नई जिम्मेदारी देगी?
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नया अध्यक्ष कौन? भूपेश बघेल?
- Thursday June 27, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
बघेल 2014 से 2019 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे. उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस ने संगठन के स्तर पर जो एकता व मजबूती दिखाई, उसका नतीजा यह रहा कि लगातार तीन चुनाव हारने के बाद पार्टी 2018 का विधान सभा चुनाव प्रचंड बहुमत से जीत गई हालांकि वह जीत की इस लय को वह कायम नहीं रख पाई.
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बृजमोहन के लिए अंगूर फिलहाल खट्टे
- Thursday June 13, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
आठ बार के विधायक, प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री व लोकसभा चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले बृजमोहन को 72 मंत्रियों की जंबो लिस्ट में शामिल कर लिया जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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लोकसभा चुनाव : छत्तीसगढ़ में फिर वही कहानी
- Friday June 7, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
विधान सभा चुनाव में विशाल बहुमत के साथ मिली सत्ता को गंवाने के बाद भी कांग्रेस ने स्वयं को दुरूस्त करने के लिए ठोस उपाय नहीं किए. हार से सबक नहीं लिया.परिणामस्वरूप लोकसभा चुनाव में उसकी एक सीट और कम हो गई.अब अगले पांच-छह महीनों में होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव, उसे पुनः उठने का मौका देंगे बशर्ते वह आम लोगों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराए.
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रायपुर लोकसभा सीट: बृजमोहन अग्रवाल सांसद तो बन जाएंगे पर अंगूर खट्टे ही रहेंगे?
- Tuesday May 14, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ की प्रदेश सरकार में मंत्री पद छोड़कर कौन व्यक्ति सांसद बनना चाहेगा ? लेकिन पार्टी अनुशासन से बंधे बृजमोहन की यह मजबूरी है. बहरहाल पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में उनकी भूमिका क्या रहेगी, यह संगठन तय करेगा. संगठन का मतलब है - मोदी-शाह की जोड़ी और इस जोड़ी के तेवर कैसे हैं , यह बृजमोहन से अधिक कौन जान सकता है?
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छत्तीसगढ़ बीजेपी के लिए 2019 की तरह ये चुनाव आसान नहीं है, जानिए कहां-कहां फंसा है पेंच?
- Thursday May 2, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए यह चुनाव 2019 के चुनाव की तरह आसान नहीं है. कांग्रेस को एक से अधिक सीटों का लाभ मिल सकता है.कांग्रेस ने अपनी समूची ताकत दोनों सीटों को बचाने और कुछ नया हासिल करने में लगा रखी है. मोदी-शाह के धुआंधार प्रचार के बावजूद उसे उम्मीद है कि वह इस बार बेहतर प्रदर्शन करेगी. जानिए किस सीट पर क्या समीकरण बैठ रहा है?
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छोटे राज्य का बड़ा चुनाव
- Wednesday April 24, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ में चुनावी घमासान को देखते हुए सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि जो कोई जीतेगा, हार-जीत का अंतर मामूली रहेगा. अलबता यदि कांग्रेस दो से अधिक सीटें जीत पाती हैं तो यह एक उपलब्धि होगी और यदि भाजपा के सभी प्रत्याशी जीत दर्ज करते हैं तो यह विशुद्ध रूप से केवल मोदी-गारंटी की जीत होगी, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की. मोदी-शाह के छत्तीसगढ़ मिशन की.
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बस्तर : जो जीतेगा वो सिकंदर
- Tuesday April 2, 2024
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छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट पर क्या इस बार भी कडे़ मुकाबले की उम्मीद की जा सकती है ? पिछले चुनाव में यह सीट कांग्रेस ने महज 38 हजार 982 वोटों से जीती थी किंतु यह जीत इसलिए भी मायने रखती थी क्योंकि 2019 के चुनाव के समय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जलवा चरम पर था. उनकी लहर के बावजूद कांग्रेस ने बस्तर व कोरबा सीट जीतकर यह सिद्ध कर दिया था कि कोई भी लहर कितनी भी तेज गति से क्यों न चल रही हो, प्रत्येक पेड़ को जड़ से उखाड़कर बहा ले जाना संभव नहीं है.
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छत्तीसगढ़ की कोरबा लोकसभा सीट पर सरोज पांडे और ज्योत्सना महंत के बीच जोरदार मुकाबले के हैं आसार
- Thursday March 28, 2024
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छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ चुनाव प्रचार अभियान में जुटी भाजपा के लिए कम से कम आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस के चक्रव्यूह को तोड़ना आसान नहीं होगा. कांग्रेस ने सभी सीटों पर ऐसे नेताओं को टिकट दी है जिनकी जमीनी पकड़ मजबूत है तथा वे मोदी की गारंटी के नाम पर भाजपा के संकल्प को ध्वस्त कर सकते हैं. प्रदेश की राजनांदगांव लोकसभा सीट के बाद दूसरी हाई-प्रोफाइल सीट है - कोरबा. यहां सरोज पांडे और ज्योत्सना महंत की प्रतिष्ठा दांव पर हैं.
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भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा दांव पर
- Wednesday March 20, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा देश का ध्यान आकर्षित करने वाली सीट है राजनांदगांव लोकसभा जहां कांग्रेस ने पूर्व मुख्य मंत्री भूपेश बघेल को चुनाव मैदान में उतारा है. इस बार कांग्रेस न केवल भाजपा के सभी 11 सीटें जीतने के लक्ष्य को ध्वस्त करना चाहती है वरन इतिहास के उस अध्याय पर भी पूर्णविराम लगाना चाहती है जो वर्ष 2000 में नया छत्तीसगढ़ बनने के बाद भाजपा के नाम दर्ज है. भाजपा ने पिछले चार चुनावों में कांग्रेस को कभी एक या दो सीटों से आगे नहीं बढ़ने दिया.
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छत्तीसगढ़: कड़े मुकाबले में भाजपा
- Friday March 15, 2024
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Lok Sabha elections 2024: इससे पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 11 में से 10, दूसरे में भी 10, तीसरे में 9 और चौथे 8 सीटें जीती थीं. हालांकि इस बार छत्तीसगढ़ में जीत हासिल करने की जिम्मेदारी साय सरकार की कंधों पर है.
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बृजमोहन ही क्यों ?
- Friday March 8, 2024
- दिवाकर मुक्तिबोध
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ एवं लोकप्रिय नेता बृजमोहन अग्रवाल को राज्य की राजनीति से बाहर करते हुए दिल्ली ले जाने का निर्णय घोषित कर दिया है. केन्द्रीय चुनाव समिति ने दो मार्च को जारी अपनी पहली सूची में जिन 195 उम्मीदवारों के नाम जाहिर किए थे, उनमें छत्तीसगढ़ की 11 सीटें भी शामिल हैं. बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया गया है.
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इस रेस में कांग्रेस कहां
- Monday March 4, 2024
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वर्ष 2018 के विधान सभा चुनाव में बुरी हार के बाद भाजपा जिस तरह हौसला खो चुकी थी लगभग वैसी ही स्थिति में कांग्रेस 2023 का चुनाव हारने के बाद नज़र आ रही है. भाजपा मात्र 15 विधायकों तक सिमटने के बाद हार के सदमे से उबर नहीं पाई थी लिहाजा लगभग चार वर्षों तक निष्क्रिय बनी रही. इसकी तुलना में 2023 के चुनाव के परिणाम कांगेस के लिए अप्रत्याशित व कल्पना से परे थे. फिर भी उसकी वह पराजय ऐसी नहीं थी कि हौसला पस्त हो जाए.
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आपका अच्छा गांव : सुंदर सपना या हकीकत?
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क्या यह मान लिया जाए कि छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या अंतिम सांसे गिन रही है? राज्य की नयी नवेली भाजपा सरकार ने इसके खात्मे के लिए जिस गंभीरता का परिचय दिया तथा अभियान शुरू किया है, उसे देखते हुए यह मान लेने में कोई हर्ज नहीं कि इस राष्ट्रीय समस्या जो अब छत्तीसगढ़ तक सिमट गई है, का अंत निकट है. अगर ऐसा हुआ तो डबल इंजिन सरकार की यह बड़ी उपलब्धि होगी और बस्तर की उस गरीब व निरीह आदिवासी जनता को न्याय मिल पाएगा
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