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This Article is From Mar 28, 2024

छत्तीसगढ़ की कोरबा लोकसभा सीट पर सरोज पांडे और ज्योत्सना महंत के बीच जोरदार मुकाबले के हैं आसार

Diwakar Muktibodh
  • विचार,
  • Updated:
    मार्च 28, 2024 15:24 pm IST
    • Published On मार्च 28, 2024 15:24 pm IST
    • Last Updated On मार्च 28, 2024 15:24 pm IST

छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ चुनाव प्रचार अभियान में जुटी भाजपा के लिए कम से कम आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस के चक्रव्यूह को तोड़ना आसान नहीं होगा. कांग्रेस ने सभी सीटों पर ऐसे नेताओं को टिकट दी है जिनकी जमीनी पकड़ मजबूत है तथा वे मोदी की गारंटी के नाम पर भाजपा के संकल्प को ध्वस्त कर सकते हैं. प्रदेश की राजनांदगांव लोकसभा सीट के बाद दूसरी हाई-प्रोफाइल सीट है - कोरबा. राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव लड़ रहे हैं तो कोरबा में भाजपा की सरोज पांडे की प्रतिष्ठा दांव पर हैं.सरोज पांडे छत्तीसगढ़ से भाजपा का राष्ट्रीय चेहरा है. पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव रहने के अलावा वे महिला मोर्चे की राष्ट्रीय अध्यक्ष,राज्यसभा सदस्य, लोकसभा सदस्य,विधायक व एक दशक तक दुर्ग की मेयर रह चुकी हैं. दुर्ग संसदीय क्षेत्र से  2009-2014 का चुनाव जीतने के बाद उन्हें 2018 में राज्यसभा में भेजा गया था. चूंकि इस क्षेत्र से मौजूदा सांसद विजय बघेल को पुनः टिकिट दी गई है लिहाज़ा पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सरोज पांडे को उस कोरबा को जीतने का लक्ष्य दिया गया है जो नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत का क्षेत्र हैं और जहां से उनकी पत्नी ज्योत्स्ना महंत वर्तमान सांसद हैं. यानी सरोज पांडे को यहां पति-पत्नी दोनों की संयुक्त लोकप्रियता का मुकाबला करना होगा जो मोदी की गारंटी के सघन प्रचार के बावजूद कतई आसान नहीं है.

कोरबा लोकसभा सामान्य वर्ग की सीट है. इसका संसदीय इतिहास चुनाव परिणाम की दृष्टि से मिला-जुला रहा है. 2008 में अस्तित्व में आई यह सीट दो बार कांग्रेस व एक दफे भाजपा ने जीती   हैं. पिछला चुनाव ज्योत्स्ना महंत ने भाजपा के ज्योतिनंद दुबे को 26 हजार 369 वोटों के अंतर से हराया था. लेकिन तब इन दोनों पार्टियों को नोटा के अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के साथ वोट शेयर करने पड़े थे.

2019 के चुनाव में नोटा में 19305 वोट , गोंगपा 37417 व बसपा के खाते में 15880 वोट पड़े थे. एक निर्दलीय लखन लाल देवांगन के 13695 के वोटों को जोड़ लें तो यह संख्या 86, 297 हो जाती है. इसे कांग्रेस की जीत की मार्जिन कम रहने का एक बड़ा कारण मान सकते हैं.  इस बार गोंगपा ने अपने विधायक तुलेशवर हीरासिंह मरकाम के स्थान पर श्यामसिंह मरकाम को टिकिट दी है. बसपा ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं. कोरबा लोकसभा के अंतर्गत 8 विधान सभा क्षेत्र हैं जिसमें से चार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षितहैं- मरवाही एसटी, मनेंदरगढ, बैंकुठपुर, पाली-तानाखार एसटी, कटघोरा, कोरबा, भरतपुर-सोनहट एसटी तथा रामपुर एसटी. अनुसूचित जाति व जनजाति बाहुल्य इस लोकसभा क्षेत्र की 6 सीटों पर भाजपा का कब्जा है,  एक सीट कांग्रेस की व एक सीट  गोंगपा की है. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 2023 के विधान सभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र से कुल 1 लाख 48 हजार 159 वोट प्राप्त किए थे. इसे देखते हुए गोंगपा दोनों बड़ी पार्टियों का समीकरण बिगाड़ने का सामर्थ्य रखती है.

सरोज पांडे के लिए बेहतर स्थिति इस विश्वास पर आधारित है कि पार्टी के 6 विधायक अपने वोटों को बिखेरने नहीं देंगे किंतु मुश्किल इस वजह से है कि यह क्षेत्र उनके लिए नया है हालांकि पिछले एक डेढ़ साल से वे टिकिट मिलने की आस के साथ इस इलाके पर ध्यान देती रही हैं.

लेकिन स्थानीय निकटता का जितना लाभ ज्योत्स्ना महंत को मिलता रहा, उतना सरोज पांडे को मिलेगा, इसमें संशय है. बस उनके पास एक ही गारंटी है , मोदी की गारटी. इसके मुकाबले में कांग्रेस के संकल्प पत्र में करीब बीस बड़े वायदे हैं जिसमें सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा गया है. कांग्रेस ने सत्ता में आने पर महिलाओं को एक लाख  रूपये वार्षिक मानदेय देने का भी वायदा किया है. हालांकि दोनों दलों के घोषणापत्र अभी आधिकारिक रूप से जाहिर नहीं हुए हैं. किन्तु वे चर्चाओं में हैं.

2019 का चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बनीं ज्योत्स्ना महंत विज्ञान के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त विदुषी महिला हैं  जिनका राजनीतिक इतिहास अत्यल्प है. लेकिन कोरबा लोकसभा व आसपास के अन्य क्षेत्रों में दशकों से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में निरंतन कार्य करने से समूचे क्षेत्र में उनकी विशिष्ट छवि बनी हुई है.

यद्यपि उनकी एक पहचान कांग्रेस के वरिष्ठ एवं लोकप्रिय नेता चरणदास महंत की पत्नी के रूप में भी है लेकिन राजनीति में प्रवेश के बाद बीते पांच वर्षो के दौरान उन्होंने अपनी सरलता, विनम्रता और कर्मठता के जरिए अपनी पृथक छवि बनाई है. छत्तीसगढ़ में महंत बिसाहूदास परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने वाले चरणदास महंत के साथ अब वे भी एक राजनीतिक स्तम्भ के रूप में है. 2024 के चुनाव में उन्हें बड़ा लाभ ग्रामीण जनता के बीच लगातार उपस्थिति, उनके दुख-सुख में सहभागिता तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए गए  कामकाज को मिल सकता है. 

कोरबा लोकसभा क्षेत्र में नामांकन पत्र के दाखिले की शुरुआत 12 अप्रैल से होगी.  नामांकन की अंतिम तिथि 19 अप्रैल व नाम वापसी की 22 अप्रैल. मतदान 7 अप्रैल को होगा. यहां करीब पंद्रह लाख मतदाताओं में महिलाओं की तुलना में पुरूष मतदाताओं की संख्या अधिक है. पिछले चुनाव में कोरबा निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 75 प्रतिशत मतदान हुआ था जो एक कीर्तिमान है. मुद्दों की बात करें तो छत्तीसगढ़ की नयी भाजपा सरकार मोदी गारंटी के तहत विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान जनता से किए गए कुछ महत्वपूर्ण वायदों को पूर्ण कर दिए जाने का बखान कर रही है. यानी छत्तीसगढ़ के लोकसभा  चुनाव में  भाजपा के राष्ट्रीय नहीं प्रादेशिक मुद्दे अधिक प्रभावी रहेंगे.   भाजपा महतारी वंदन जैसी योजनाओं के साथ ही भगवान राम के नाम पर देश में कथित तौर पर चल रही हिंदुत्व की लहर से मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेगी.बहरहाल मतदान की मंजिल अभी दूर है. तब तक कैसी स्थितियां बनेंगी, अभी कहना मुश्किल है किंतु टक्कर कांटे की होगी,ठीक पिछले चुनाव जैसी,ऐसा अवश्य कहा जा सकता है.

दिवाकर मुक्तिबोध छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार हैं और राज्य की राजनीति की गहरी समझ रखते है.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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