
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने एनडीटीवी के विशेष कार्यक्रम छत्तीसगढ़ कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया. NDTV के छत्तीसगढ़ कॉन्क्लेव में CM भूपेश बघेल ने सरकारों द्वारा मुफ्त चीजें बांटने के मसले पर कहा कि राज्य की संपदा में जनता का भी हिस्सा होता है. केन्द्र सरकार तो महंगाई बढ़ाने पर तुली हुई है तो हमें तो राहत देनी ही होगी.
एंकर संकेत उपाध्याय ने मुख्यमंत्री से पूछा कि जब हम शिक्षा और स्वास्थ्य की बात कर रहे थे तो आपने मुफ्त शब्द का कई बार इस्तेमाल किया. राजनीतिक रूप ये ये चर्चा क विषय भी बना हुआ है कि जनकल्याण के लिए क्या चीज मुफ्त हो और क्या चीज है जो जनकल्याण पर दी जा रही है तो वो रेवड़ी हो चले. मैं आपसे ये परिभाषा जानना चाहता हूं कि CM भूपेश बघेल की परिभाषा क्या है. क्या चीज जनकल्याण की होती है. क्या चीज रेवड़ी होती है?
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CM भूपेश बघेल ने जवाब देते हुए कहा कि सीधी सी बात है ये है कि राज्य की संपदा में जनता का अधिकार है. आज यदि हम बात करते हैं कि राज्य की प्रति व्यक्ति औसत आय कितनी है, तो एक लाख 23 हजार है. लेकिन क्या सच में 1 लाख 23 हजार है हर व्यकित का आय है. यदि कुछ बड़े उद्योगपति को हटा दें तो आय कितनी घट जाएगी. ये संपदा है जो राजकोष है. उसका वितरण ऐसे करें जिससे इसका लाभ सभी को हो चाहे वो किसान हो, चाहे मजदूर हो, चाहे बेरोजगार नौजवान हो, चाहे शिक्षा के क्षेत्र में हो, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो.
उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत घटी हुई है और यहां पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ते जा रहे हैं. जब घटाने की बात होती है तो कहते हैं आप वैट कम कर दो. जब आप बांटते हो तो रेवड़ी नहीं है. जब दूसरे बांटे तो रेवड़ी है. ये तो दोहरा मापदंड है.
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एक व्यापारी वर्ग सम्मेलन हुआ उसमें मुझसे पूछा गया कि आप तो गरीबों के लिए 35 किलो चावल दे रहे हैं, 400 यूनिट तक की बिजली बिल आधा दे रहे हैं, किसानों की आपने ऋण माफी कर दी, मजदूरों को पेंशन 7 हजार रुपये दे रहे हैं वार्षिक, मजदूरों के लिए, गांव के लिए, किसानों के लिए आपने किया, हमारे लिए आपने क्या किया?..मैंने व्यापारियों से कहा कि आपके जो ग्राहक हैं मैंने उनकी जेब में पैसा डालने का काम कर दिया है.
उसका फायदा ये हुआ कि कोरोना काल में देश में मंदी का असर रहा था. छत्तीसगढ़ में मंदी का असर नहीं रहा. ये फर्क रहा क्योंकि मजदूरों और किसानों की जेब में पैसा था.