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Success Story: न हार मानी, न हालात से डरी… किसान की बेटी Yamini Maurya ने चीन में लहराया भारत का परचम

Yamini Maurya Success Story: यामिनी मौर्य की कहानी काफी संघर्षों भरी रही हैं. उन्होंने बचपन से ही काफी संघर्ष किया है. दरअसल, यामिनी के पिता एक छोटे किसान हैं. ऐसे में यामिनी को आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा. हालांकि इसके बावजूद वो पीछे मुड़कर कभी नहीं देखी और आगे बढ़ती गई.

Success Story: न हार मानी, न हालात से डरी… किसान की बेटी Yamini Maurya ने चीन में लहराया भारत का परचम

Yamini Maurya Success Story: दृढ़ संकल्प और लगन हो तो मंजिल की राह सुगम हो जाती है. कुछ ऐसी ही कहानी है मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर (Sagar) की यामिनी मौर्य (Yamini Maurya) की... यामिनी ने एशियन जूडो चैंपियनशिप (Asian Judo Championship) में स्वर्ण पदक जीतकर (won Gold medal) अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का तिरंगा लहराया है. इन्होंने आर्थिक चुनौतियां और बाधाओं को मात देकर यहां तक पहुंची है. वो परिवार के सहयोग और अपने मजबूत हौसले से यह मंजिल पाई है. 

यामिनी मौर्य की कहानी काफी संघर्षों भरी रही हैं. उन्होंने बचपन से ही काफी संघर्ष किया है. दरअसल, यामिनी के पिता एक छोटे किसान हैं. ऐसे में यामिनी को आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा. हालांकि इसके बावजूद वो पीछे मुड़कर कभी नहीं देखी और आगे बढ़ती गई.

संघर्षों से भरा रहा यामिनी का सफर

यामिनी की इस ऐतिहासिक उपलब्धि से मध्य प्रदेश सहित पूरे देश का गौरव बढ़ा है. बता दें कि सादगीपूर्ण किसान परिवार से आने वाली यामिनी का सफर संघर्षों से भरा रहा. दरअसल, बचपन से ही सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने खेल के प्रति अपनी लगन को बरकरार रखा. वहीं सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते हुए यामिनी ने कभी भी अपने हालात को अपने सपनों पर हावी नहीं होने दिया. छोटी उम्र से ही वो जूडो में आगे बढ़ने के लिए कठोर मेहनत करती रहीं और आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने साबित कर दिया कि कठिनाइयां चाहे कितनी भी हों, हौसले मजबूत हों तो मंजिल मिल ही जाती है.

यामिनी ने शानदार अंदाज में जीते चार मुकाबले

इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में कुल 18 देशों ने हिस्सा लिया था. यामिनी ने बेहतरीन फॉर्म दिखाते हुए अपने सभी चार मुकाबले शानदार अंदाज में जीते. निर्णायक फाइनल मुकाबले में कोरिया की टॉप रैंकिंग खिलाड़ी से भिड़ते हुए यामिनी ने पूरी मजबूती और आत्मविश्वास के साथ जीत दर्ज की और गोल्ड मेडल अपने नाम किया.

परिवार में खुशी का माहौल

57 किलोग्राम वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए यामिनी ने शुरुआत से लेकर फाइनल तक लगातार आक्रामक और रणनीतिक खेल पेश किया. उनकी जीत के बाद भारत का तिरंगा हॉन्गकॉन्ग में शान से लहराया, जिसे देख भारतीय दल और दर्शकों में उत्साह की लहर दौड़ गई.

परिवार का कहना है कि यामिनी ने अपनी मेहनत, अनुशासन और समर्पण से वह मुकाम हासिल किया है, जिसकी हर खिलाड़ी कामना करता है.

आर्थिक चुनौतियों के बावजूद किसान की बेटी ये हासिल की ये मुकाम

सागर के सदर क्षेत्र की रहने वाली यामिनी ने अपनी स्कूली शिक्षा इमानुएल स्कूल से की. इसके बाद उन्होंने डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. यामिनी के पिता हरिओम मौर्य एक छोटे किसान हैं. हालांकि उन्होंने आर्थिक चुनौतियों के बावजूद बेटी के सपनों को पूरा करने में कभी पीछे नहीं हटे.

यामिनी की विजय से सागर जिले में खुशी की लहर है. खेल प्रेमियों, प्रशिक्षकों और जिले के नागरिकों ने यामिनी को सागर की शान बताते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है. लोग उम्मीद जता रहे हैं कि आने वाले समय में यामिनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को और भी कई स्वर्ण पदक दिलाएंगी और देश का नाम रोशन करती रहेंगी.

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