Kohinoor हीरा का नाम किसने कोहिनूर रखा, जानिए इसका मतलब

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कोहिनूर कभी प्राचीन भारत की शान था. 

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ये बेशकीमती हीरा कभी भारत के पास था, लेकिन अब इंग्लैंड के कब्जे में है.

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इस कोहिनूर का अपना इतिहास है और इसका सफर भी काफी लंबा रहा है.

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इंग्लैंड तक पहुंचने से पहले यह कई राजाओं- बाबर, शाहजहां, मोहम्मद शाह रंगीला, महाराजा रणजीत सिंह आदि... के पास रहा

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ये सबसे पहले काकतीय राजवंश के महाराजा प्रताप रुद्र के पास था.

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लेकिन दक्षिण भारत के विजय के बाद यह हीरा अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक कफूर के पास गया और फिर खिलजी को भेंट कर दिया गया.

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बाद में ये बेशकीमती हीरा मुगलों तक पहुंचा और शाहजहां ने इसे मयूर सिंहासन में जड़वाया था.

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जब तक ये मुगलों और भारतीय शासकों के पास रहा, तब इसका नाम कोहिनूर नहीं था. हालांकि उस समय इसका नाम क्या था, इसका जिक्र नहीं मिलता.

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ऐसे में यहां जानते हैं कि किसने इस बेशकीमती हीरा को 'कोहिनूर' नाम रखा और इसका अर्थ यानी मतलब क्या होता है?

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1739 में नादिरशाह ने मुगल सम्राट मुहम्मद शाह के शासनकाल में भारत पर आक्रमण किया.

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इस दौरान उसने आगरा और दिल्ली में लूटपाट की और वो बेशकीमती हीरा और मयूर सिंहासन को भी साथ ले गया.

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जिसके बाद नादिरशाह ने इस बेशकीमती हीरा को कोहिनूर नाम दिया.

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जिसका अर्थ होता है- 'प्रकाश का पर्वत' यानी 'रोशनी का पर्वत'... 'Mountain of Light'

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बाद में ये हीरा सिख सम्राट महाराजा रणजीत सिंह के पास गया.

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अंत में कोहिनूर हीरा अंग्रजों के हाथ आया और अभी भी ये इंग्लैंड के पास ही है.

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