Saurabh Sharma News: कभी भारत को ‘सोने की चिड़िया' कहा जाता था, और लगता है कि वो चिड़िया कम से कम देश के दिल मध्यप्रदेश में तो वापस आ ही गई है. तभी तो मुमकिन है कि पिछले साल दिसंबर में भोपाल के बाहरी इलाके में खड़ी एक लावारिस कार से जो 52 किलो सोना और करोड़ों की नकदी मिली है उसका कोई मालिक अब तक सामने नहीं आया है. लोग तो अब कहने लगे हैं कि काश अनक्लेम्ड लॉटरी टिकट भी ऐसे ही मिलते. फिलहाल तो हम यही कह सकते हैं कि ‘शोले' और ‘धूम' को भूल जाइए क्योंकि मध्यप्रदेश में ‘कौन बनेगा गोल्डपति' का गेम चल रहा है!
दरअसल करीब दो महीने पहले भोपाल में 19-20 दिसंबर की रात इनकम टैक्स विभाग ने एक लावारिस इनोवा कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश बरामद किया. इसके बाद मामला लोकायुक्त, फिर ईडी, फिर इनकम टैक्स, और अब डीआरआई के पास पहुंच गया है. अब ऐसा लगता है कि ये केस सरकारी विभागों के लिए ‘पार्सल द पासिंग' गेम बन गया है. अब सवाल ये उठता है कि क्या भोपाल अचानक अमीरों के भूलने की राजधानी बन गया है?या फिर किसी ने त्याग का नया रिकॉर्ड बना दिया है?
ये माल चेतन का नहीं है: वकील
अब आते हैं इस कहानी के ‘मुख्य पात्र' – सौरभ शर्मा पर. कभी करोड़ों में खेलने वाले ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का ये पूर्व कांस्टेबल आज अपने साथी चेतन गौर और शरद जायसवाल के साथ न्यायिक हिरासत में है. 17 फरवरी तक जेल की सलाखें ही इनका नया पता हैं. मजे की बात ये है कि जिसकी कार है उसे भी इतना सोना अपना होने से इंकार है. जब हमने इस बारे में चेतन गौर के वकील से सवाल पूछा तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया- चेतन के पास कार का रजिस्ट्रेशन जरुर है लेकिन माल उसका नहीं है. चेतन ने इस मामले में पहले ही सबकुछ साफ कर दिया है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा भारत पहले ही से सोने की चिड़िया है. अगर सोना मिल रहा है तो कहीं न कहीं से खरीदा ही गया होगा.
सलाखों के पीछे हो रही है खातिरदारी?
आपको बता दें कि हिरासत में सौरभ के साथियों को ‘स्पेशल इन्वेस्टिगेशन पैकेज', मिलने की चर्चा खूब हो रही है.बताया जा रहा है कि उनके लिए लोकायुक्त कार्यालय के किचन में खाना बन रहा है. जिसे सौरभ एंड टीम को खिलाने से पहले अफसर खुद टेस्ट करते हैं, ताकि कहीं कोई ‘गोल्डन' ट्विस्ट न आ जाए. वैसे ऐसा भी नहीं है कि सौरभ शर्मा और उसकी टीम पर एक्शन नहीं हो रहा है. थोड़ी गंभीरता से देखें तो इस केस में अब तक नीचे बताई गईं चीजें हो चुकी हैं.
ध्वस्त हो रहा है सौरभ का सुनहरा साम्राज्य
- अब तक 50 से ज्यादा बेनामी प्रॉपर्टी का खुलासा हुआ है
- 30 से अधिक लोगों को नोटिस भेजा गया है
- भोपाल,इंदौर,जबलपुर,ग्वालियर तक फैली है संपत्ति
- इन सभी संपत्तियों की जांच शुरू हो चुकी है
- कई प्रॉपर्टी रिश्तेदारों के नाम पर, रजिस्ट्री सौरभ के पास
छापों में मिले कागज़ात बताते हैं कि कई प्रॉपर्टी उनके रिश्तेदारों के नाम पर थीं, लेकिन असली रजिस्ट्रियां सौरभ शर्मा के पास ही थीं.कुछ संपत्तियों की पॉवर ऑफ अटॉर्नी भी दूसरों के नाम कराई गई थी. यानी, भाई साहब सिर्फ सोना नहीं, बल्कि प्रॉपर्टी गेम में भी उस्ताद निकले हैं. बहरहाल आयकर, ईडी और लोकायुक्त जब गोल्डन कार का पता नहीं लगा सके तो अब DRI पहेली को सुलझाने में जुट गई है. सवाल ये है कि क्या ये सोना विदेश से तस्करी करके लाया गया था? या फिर ये देश के सबसे बड़े ‘लॉस्ट एंड फाउंड' केस का हिस्सा है?" खैर हम तो आपको यही कहेंगे कि अगर भोपाल में आपको कोई सड़क किनारे किसी गाड़ी को चेक करता दिखे, तो चौंकिए मत... शायद वो भी अपनी ‘गोल्डन इनोवा' खोज रहा हो या कोई इंसान अपनी कार में कुछ ढूंढते हुए दिखे, तो हो सकता है कि वह 52 किलो सोने का ‘भूला हुआ मालिक' हो.
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