
Unemployment in MP: मध्यप्रदेश में OBC की आबादी 50 फीसदी से अधिक है, लेकिन ओबीसी वर्ग 27% आरक्षण के पेंच में उलझ गया है.यही आरक्षण युवाओं की गले की फांस बनता जा रहा है.दरअसल मध्यप्रदेश में हो रही भर्ती परीक्षाओं में 87:13 का फॉर्मूला लागू है, इसके तहत 87% रिजल्ट जारी हो रहे हैं जबकि 13% रिजल्ट होल्ड पर हैं आलम ये है कि कई युवा सरकारी नौकरी की राह देखते-देखते ओवर एज हो चुके हैं तो कुछ ने पढ़ाई ही छोड़ दी है.
इस हालात को कुछ लोग यूं भी बयां कर रहे हैं- लोकतंत्र में वादे फ़ौरन होते हैं, काम धीरे-धीरे — बिल्कुल वैसे ही जैसे पुराने ज़माने में चिट्ठी जाती थी और जवाब पोते के हाथ आता था..बहरहाल NDTV ने कई ऐसे अभ्यर्थियों से मिलकर उनके मामले को समझने की कोशिश की जिससे तस्वीर पूरी तरह साफ हो सके...हमने जिम्मेदारों से सवाल भी पूछे हैं लेकिन आगे बढ़ने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर 87:13 के फॉर्मूले की फांस क्या है?

केस-1: रिजल्ट का इंतजार करते-करते हुए 50 साल के हो गए
अब आप तकनीकि पहलू को समझ चुके होंगे तो अब इस फॉर्मूले के इफेक्ट को भी जान लीजिए. सबसे पहले बात ग्वालियर के रहने वाले वीरेंद्र सिंह. वे अब 50 साल के हो चुके हैं लेकिन इस उम्र में भी उन्हें 2019 के MPPSC की परीक्षा के रिजल्ट का इंतज़ार है. उन्होंने 2023 में मेन्स क्वालिफाई किया औऱ इंटरव्यू भी दिया था पर रिजल्ट नहीं आया. वीरेंद्र उन छात्रों में शामिल हैं जिनका रिजल्ट 87:13 के फॉर्मूले के फेर में उलझा है. वे अब ओवरएज हो चुके हैं. कहते हैं कि बच्चे और पत्नी पूछती है कि रिजल्ट कब आएगा तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता.

केस-2: पुलिस भर्ती का दो साल से हो रहा है इंतजार
पुलिस में भर्ती होने का सपना लेकर हरदा से भोपाल आईं नभी गुर्जर का भी कुछ ऐसा ही हाल है. उन्होंने साल 2023 में कॉन्स्टेबल भर्ती की परीक्षा दी. 2025 में बड़ी मुश्किल से रिजल्ट आया तो वो भी 13 % होल्ड में चला गया. 2022 की भर्ती में 27% आरक्षण के साथ रिजल्ट जारी हुआ था, इस बार फ़ाइनल रिजल्ट नहीं मिला. उनके पिता किसान हैं और 10 से 12 हज़ार रुपये हर महीने पढ़ाई पर खर्च हो रहे हैं. घर वाले अब उनकी शादी करना चाहते हैं लेकिन उनके पास कोई जवाब नहीं है.

केस-3: 2023 में ही परीक्षा दी, रिजल्ट नहीं आया
राजगढ़ के रहने वाले हेमंत राठौर भी 2019 से एमपी पुलिस की तैयारी कर रहे हैं.2023 में MP पुलिस की परीक्षा में शामिल हुए लेकिन लिखित परीक्षा में होल्ड का रिजल्ट आया है.हेमंत को फिजिकल में 87 नंबर मिले थे लिहाजा उन्हें अच्छे रिजल्ट की उम्मीद है. वे बताते हैं कि हमें फिजिकल से ज्यादा मेंटल प्रेशर है. अब सही से पढ़ाई भी नहीं कर पा रहा हूं. सरकार का रुख भी साफ नहीं है.
केस-4: अब मजबूरी में ट्यूशन पढ़ा रहे हैं
दतिया जिले के रहने वाले धर्मेंद्र सिंह वनरक्षक की तैयारी में जुटे थे. बमुश्किल 2022 में वैकेंसी आई, एक साल बाद 2023 में परीक्षा हुई,2024 में फिजिकल हुआ लेकिन उनका रिजल्ट अभी तक नहीं आया. उनके साथ पढ़ने वाले बाकी साथी 6 महीने पहले ज्वाइन कर चुके हैं पर धर्मेंद्र का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है. उन्होंने वनरक्षक के साथ जेल प्रहरी की परीक्षा भी दी लेकिन उसका रिजल्ट भी नहीं मिला. अब मजबूरन घर चलाने के लिये अनाथ आश्रम में ट्यूशन देने लगे हैं. वे कहते हैं कि अब हम दूसरी परीक्षाओं के लिए भी ओवरएज हो रहे हैं और शादी के लिए भी. सरकार पता नहीं क्यों रिजल्ट जारी नहीं कर रही है?
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं, जुलाई 2024 में विधानसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की ये स्थिति है.

HC लेकर SC तक कोई रोक नहीं: वकील
दरअसल मध्यप्रदेश की सियासत में कहा जाता है कि OBC समुदाय जिसके साथ रहेगा सत्ता की चाबी उसके पास रहेगी. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों पिछड़ा वर्ग का हितैषी बनने की कोशिश करती हैं. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी इस वर्ग का खास दबदबा रहा है, तभी तो बीजेपी के चारों मुख्यमंत्री उमा भारती, शिवराज सिंह चौहान, बाबू लाल गौर और मोहन यादव इसी वर्ग से निकले हैं. इसके बावजूद OBC आरक्षण का मुद्दा सुलझने की बजाय उलझता चला गया है. वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर बताते हैं कि मध्य प्रदेश की 27% आरक्षण को लेकर कोई स्टे नहीं है. ना तो सुप्रीम कोर्ट का और ना ही हाईकोर्ट का. सुप्रीम कोर्ट में जो मामले ट्रांसफर हुए हैं वह केवल एक पार्टिकुलर बिंदु के लिए ट्रांसफर हुए हैं, की रिजर्वेशन 27% होगा क्या 50%.
सरकार विपक्ष को भी गुमराह कर रही है: अरुण यादव
अब विपक्ष का आरोप है सरकार गुमराह कर रही है, और सरकार कहती है — हम तो OBC के साथ हैं. पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव कहते हैं- 2019 में हमारी सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने का काम किया लेकिन मौजूदा सरकार बार-बार मामले को घूमा रही है. मध्य प्रदेश में 56 फीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग की है लिहाजा उन्हें उनका हक मिलना ही चाहिए. जब हम ये मुद्दा उठाते हैं कि सरकार कहती है कि हम कोर्ट से सलाह ले रहे हैं.
ओबीसी को 27% आरक्षण देने के स्टैंड पर कायम हैं: मुख्यमंत्री
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ऐसे आरोपों को सिरे नकारते हैं. वे कहते हैं कि हमारी सरकार का रुख साफ है. हम ओबीसी को 27℅ आरक्षण देने के स्टैंड पर हम कायम हैं. पूर्ववर्ती सरकार में ओबीसी आयोग की जो रिपोर्ट आई थी उसके परीक्षण के साथ साथ ओबीसी आरक्षण को लेकर जितनी भी याचिका लगी है उन सब से हम संवाद कर रहे हैं. कुल मिलाकर नौकरी की राह देख रहे छात्रों का सवाल है कि उनका दोष क्या है? आरक्षण के फेर में उन्हें सरकारी नौकरियों से वंचित क्यों किया जा रहा है.
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