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दमोह में अब गजब का फर्जीवाड़ा ! दस्तावेजों में 'मुड़ा' को किया 'मुंडा' और हासिल कर ली बड़ी-बड़ी सरकारी नौकरियां

Fake ST Certificate: मुड़ा जाति के लोगों द्वारा आदिवासी सरनेम मुंडा जनजाति वाले फर्जी दस्तावेज की मदद से आरक्षित कोटे की नौकरी हासिल कर ली गई. जबलपुर के पाटन की मुख्य नगर पालिका अधिकारी जय श्री मुड़ा, भाई विक्रम मुड़ा और कलेक्ट्रेट में क्लर्क जयदीप मुड़ा के नाम प्रमुख हैं.

दमोह में अब गजब का फर्जीवाड़ा ! दस्तावेजों में 'मुड़ा' को किया 'मुंडा' और हासिल कर ली बड़ी-बड़ी सरकारी नौकरियां
Big Fraud Revealed Grabbing Government Job in Damoh MP

Fake Document Jobs: दमोह में इस बार गजब का फर्जीवाड़ा सामने आया है. यहां कई लोगों ने सिर्फ बिंदी का गलत इस्तेमाल करके सरकारी नौकरियां हासिल कर लीं. चौंकिए नहीं...हुआ ये है कि यहां के मुड़ा जाति के लोगों ने अपने दस्तावेजों में मुड़ा को मुंडा बना दिया और मुख्य नगर पालिका अधिकारी, कलेक्ट्रेट में क्लर्क और आर्मी की व्हीकल फैक्ट्री जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती हासिल कर ली. मुंडा इसलिए क्योंकि ये आदिवासी सरनेम है और जनजाति वर्ग में शामिल हैं. फिलहाल जिले के कलेक्टर ने ऐसी सभी नियुक्तियों की जांच के आदेश दिए हैं.  ये सब तब है जबकि हाल ही में दमोह में ही फर्जी सर्जन का मामला सामने आया था जिसने कई लोगों के हार्ट का ऑपरेशन किया था जिसमें से 7 लोगों की मौत हो गई थी. 

दमोह में मुड़ा जाति के लोगों द्वारा आदिवासी सरनेम मुंडा जनजाति वाले फर्जी दस्तावेज की मदद से आरक्षित कोटे की नौकरी हासिल कर ली गई. इसमें जबलपुर के पाटन की मुख्य नगर पालिका अधिकारी जय श्री मुड़ा, भाई विक्रम मुड़ा और कलेक्ट्रेट में क्लर्क जयदीप मुड़ा के नाम प्रमुख हैं.

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जनजाति विभाग ने कहा था- दमोह में नहीं है मुंडा जाति के लोग

गौरतलब है दमोह का जनजाति विभाग ने कुछ वक्त पहले जारी एक नोटिफिकेशन में साफ कर दिया था कि दमोह जिले में मुंडा जाति का कोई शख्स निवास नहीं करता., फिर भी यहां के सैकड़ों लोग दस्तावेज में मुंडा जाति बदलकर सरकारी नौकरी कर रहे हैं. एक शिकायतकर्ता ने बताया कि फर्जी दस्तावेजों की फेहरिस्त लेकर लोगों ने दमोह कलेक्टर से मामले की शिकायत की है.

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दिलचस्प यह भी है कि मुड़ा जाति के लोगों का कहना है कि फर्जी दस्तावेज के आधार सरकारी नौकरी रहे लोगों पर कार्रवाई की जाए वरना उनके बच्चों को भी मुंडा जाति का लाभ दिया जाए. आंदोलन कर रहे अरविंद ने बताया कि फर्जीवाड़े के प्रमाणित दस्तावेज कलेक्टर के सामने रखे गए हैं.

कलेक्टर ने दिए दस्तावेजों के परीक्षण करने के आदेश 

शिकायतकर्ता ने बताया कि दमोह कलेक्टर ने मुंडा जाति के नाम से बनवाए गए फर्जी दस्तावेजों के परीक्षण करने के आदेश दिये हैं. उन्होंने बताया कि कलेक्टर ये बात मानते हैं कि सरकार के नोटिफिकेशन में साफ है कि दमोह में कोई मुंडा जाति का व्यक्ति नहीं है, फिर भी लोग मुड़ा से मुंडा बनकर कैसे सरकारी नौकरी कर रहे है, इसकी जांच पूरी गंभीरता से की जाए. गौरतलब है दमोह में अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से दस्तावेजों के मिलान में चूक का दंश दमोह बड़े पैमाने पर भुगत रहा है, अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले को दमोह प्रशासन कितनी गंभीरता से लेता है. हालांकि फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने गंभीरता से जांच का आश्वासन जरूर दिया है.

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