
Ujjain News: महाकाल की नगरी उज्जैन (Ujjain) में एक अनोखी मिसाल देखने को मिली. यहां के हिंदू, मुस्लिम और जैन समुदाय के लोगों ने क्षिप्रा नदी को जाने वाले रास्ते के चौड़करण के लिए अपने धार्मिक स्थल, अपने मकान खुद ही पीछे कर लिए. आपको बता दे महाकाल की नगरी उज्जैन 2028 के सिंहस्थ के लिए तैयार हो रहा है. उम्मीद है कि इस दौरान यहां करीब 14 करोड़ श्रद्धालु क्षिप्रा नदी (Shipra Nadi) में आस्था की डुबकी लगाएंगे.
इस दौरान यहां बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है. केडी मार्ग इस मंजिल का एक रास्ता है. आने वाले सिंहस्थ को देखते हुए इस रास्ते को चौड़ा करने की बहुत जरूरत थी. इस रोड की लम्बाई डेढ़ किलोमीटर से ज़्यादा बताई जा रही है. जिसको चौड़ा करने के लिए यहां के निवासियों ने काफी सहयोग किया.
शहर के बीचोबीच काम में आती है दिक्कत
अमूमन शहर के बीचों बीच ऐसे काम में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. क्योंकि यहां मकान के साथ-साथ पुराने धार्मिक स्थल भी स्थित हैं. यहां 18 धार्मिक स्थान और कुछ घरों को हटाने से ही इस रास्ते का चौड़ीकरण संभव था. धार्मिक स्थलों को हटाने अपनेआप में टेढ़ी खीर होता है, क्योंकि इन जगहोंं से बड़ी संख्या में लोगों की भावनाएं, आस्थाएं जुड़ी होती है. लेकिन हर धर्म के लोगों के सामंजस्य और समन्वय से ये बड़ी मुश्किल काफी आसान हो गई.

2028 में सिंहस्थ के लिए हो रहा है तैयार
क्षिप्रा नदी (Shipra Nadi) के तट पर बसा उज्जैन (Ujjain) द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक है. ये महाकाल की नगरी (Mahakal ki Nagri) है. जिसे मोक्षदा कहा गया और भक्ति-मुक्ति भी कहा गया है. ये भी कहा जाता है कि काल गणना के इस शहर में ज्योतिष की शुरुआत और विकास हुआ था.
उज्जैन को होता दिख रहा है बड़ा फायदा
संवाद स्थापित करना रहा सबसे अहम
धार्मिक स्थलों को हटाने से पहले और काम के बीच में संवाद सबसे अहम रहा. सबसे चर्चा की गई और समन्वय बनाया गया. किसी भी धर्म की धार्मिक भावना आहत ना हो इस बात का विशेष ध्यान रखा गया. डेढ़ किलोमीटर के रास्ते में कई घर भी हैं. नयापुरा मोहल्ले के इन घरों में जैन ,हिन्दू और मुस्लिम धर्म के लोग रहते हैं. 20 से अधिक घरों का कुछ हिस्सा आगे बढ़ाया गया था. जिसे लोगों ने खुद ही तोड़ दिया.
हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए है आस्था का शहर
उज्जैन एक काफी पुराना शहर है. इस शहर ने ही दुनिया को समय की गणना सिखाई. कालिदास, वराहमिहिर, बाणभट्ट, शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, भर्तृहरि, कात्यायन और बाण जैसे महान विद्वानों का उज्जैन से जुड़ाव था. कालिदास के काव्य में उज्जैन स्वर्ग का एक गिरा हुआ भाग नजर आता है. वैसे 5000 साल पुराने इस शहर को धर्मनगरी भी कहा जाता है. ये शहर सिर्फ ना हिंदुओं के लिए बल्कि जैन और बुद्ध धर्म के लिए भी आस्था का केन्द्र है.
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