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MP से फिर आई शर्मसार करने वाली खबर, मासूम का शव गोद में लेकर घंटों शव वाहन के लिए गुहार लगता रहा आदिवासी परिवार

Sheopur News: श्योपुर में एक बार फिर से  मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आई है. श्योपुर के जिला अस्पताल में एक आदिवासी परिवार अपने मासूम बच्चे के शव को गांव तक ले जाने के लिए शव वाहन के लिए जिम्मेदारों के सामने गिड़गिड़ाता रहा. इस दौरान एक बेबस और मजबूर मां अपने मासूम की लाश को कई घंटे तक गोद में लेकर जिला अस्पताल की दहलीज पर शव वाहन के लिए बैठी रही.

MP से फिर आई शर्मसार करने वाली खबर, मासूम का शव गोद में लेकर घंटों शव वाहन के लिए गुहार लगता रहा आदिवासी परिवार

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के श्योपुर जिला अस्पताल (Sheopur District Hospital) की दहलीज पर मासूम बेटे का शव गोद में रख कर शव वाहन के लिए कई घंटे तक  जिम्मेदारों से आदिवासी परिवार गुहार लगाता रहा. लेकिन, किसी ने उनकी नहीं सुनी. जब सामाजिक कार्यकर्ता ने अस्पताल पहुंचकर अफसरों से बात की, तब जाकर मासूम के शव के लिए शव वाहन उपलब्ध कराया गया.

श्योपुर में एक बार फिर से  मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आई है. श्योपुर के जिला अस्पताल में एक आदिवासी परिवार अपने मासूम बच्चे के शव को गांव तक ले जाने के लिए शव वाहन के लिए जिम्मेदारों के सामने गिड़गिड़ाता रहा. इस दौरान एक बेबस और मजबूर मां अपने मासूम की लाश को कई घंटे तक गोद में लेकर जिला अस्पताल की दहलीज पर शव वाहन के लिए बैठी रही, लेकिन जिम्मेदार मजबूर परिवार की गुहार तक सुनने को तैयार नहीं थे.

डॉक्टरों ने नहीं सुनी परिवार की गुहार

इस दौरान कई घंटे तक मां की गोद में मासूम के शव को देखकर अस्पताल में आने जाने वाले लोग भी अंधे और बहरे बने  सरकारी सिस्टम को कोसते रहे, लेकिन सरकारी सिस्टम का कोई भी जिम्मेदार आदिवासी परिवार की मदद के लिए आगे नहीं आया. दरअसल, रतोदान गांव के रहने बाले आदिवासी परिवार की सुनीता ने  7 दिन पहले श्योपुर के जिला अस्पताल में एक नवजात बच्चे को जन्म दिया था और जिसे डॉक्टरो ने  SNCU में भर्ती किया था, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी और मासूम के शव को गांव तक पहुंचने के लिए शव वाहन दिलाने के लिए ये आदिवासी परिवार अस्पताल के डॉक्टरों से मदद मांगी, तो जिम्मेदार नगर पालिका की जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ते रहे. वहीं, नगर पालिका के जिम्मेदार फोन नहीं उठा रहे थे. इस दौरान पीड़ित आदिवासी परिवार घंटों तक शव वाहन के लिए इधर से उधर भटकता रहा, लेकिन शव वाहन नहीं मिला. वहीं, शव वाहन के इंतजार में घंटों तक आदिवासी परिवार मासूम के शव को गोद में रखे रहा.

सामाजिक कार्यकर्ता की मदद

सरकारी सिस्टम की गुहार नहीं सुनने पर लोगों ने सामाजिक कार्यकर्ता को मामले की जानकारी दी. इसके बाद अस्पताल में लोगों की मदद करने बाले सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश पीड़ित परिवार के लिए खड़े हुए और जिला प्रसाशन के अफसरों से बात की. तब जाकर शव वाहन को मासूम का शव गांव तक पहुंचने के लिए अस्पताल भेजा गया. तब कही जाकर परिजन मासूम का शव अपने गांव ले कर पहुंचे.

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इस पूरे मामले में सरकारी सिस्टम के जिम्मेदारों से सवाल पूछने की कोशिश की गई, तो कोई भी जिम्मेदार इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ. ऐसे में श्योपुर में सरकारी सिस्टम की मानवता को शर्मसार करने वाली ये कोई पहली तस्वीर नहीं है. इससे पहले भी इस तरह की कई तस्वीरें सामने आ चुकी है. 

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