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Malnutrition in MP: विदिशा में कुपोषण का कलंक बरकरार, जिले में आज भी 7793 बच्चे कुपोषित

Malnutrition children in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में लगातार कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ते जा रही है. दरअसल, बीते दिन जिला अस्पताल में 20 से अधिक अति कुपोषित बच्चे को भर्ती कराया गया.

Malnutrition in MP: विदिशा में कुपोषण का कलंक बरकरार, जिले में आज भी 7793 बच्चे कुपोषित

Malnourished in Vidisha: मध्य प्रदेश में भले ही लाखों करोड़ों रुपये खर्च कर हर जिले को कुपोषण से मुक्त कराने का सरकार और सिस्टम दावा करती रही है, लेकिन जमीनीं हकीकत कुछ और हीं बयां कर रही है. दरअसल, आज भी कुपोषण के कलंक से प्रदेश आजाद नहीं हो पाया है. इन्हीं में से एक विदिशा जिला भी शामिल है, जो आजादी के 76 साल बाद भी कुपोषण का दंश झेल रहा है. जिले भर में 2375 आगनवाड़ी केंद्र हैं, इनमें से 1.55 लाख बच्चों पर रोजाना 13 लाख रुपये से ज्यादा राशि खर्च की जाती है, लेकिन इन तमाम खर्चों के बावजूद भी वर्तमान में 7793 बच्चे कुपोषित हैं.

20 अति कुपोषित बच्चों को कराया गया भर्ती 

यह आंकड़ा तब सामने आया जब अति कुपोषित बच्चों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. सबसे हैरानी की बात तो यह है इन 20 बच्चों में से 10 की उम्र महज एक साल है और इन बच्चों का वजन लगभग 15 फीसदी ही है. वहीं कुछ बच्चों का वजन 1790 ग्राम दर्ज किया गया है, जबकि स्वास्थ विभाग के अनुसार एक स्वस्थ बच्चे का वजन जन्म के दौरान लगभग 3 से 4 किलोग्राम तक होना चाहिए.

ग्रामीण बच्चे कुपोषण का अधिक हो रहे शिकार 

शहर के मुकाबले दूर दराज के ग्रामीण अंचल के बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चों में दर्ज की गई है. दरअसल, इन कुपोषित में अधिकतर एनआरसी सेंटर से आने वाले बच्चे ग्रामीण है, जिनका इलाज कराया जा रहा है. ग्राम की महिला बताती है कि उन्हें अपने बच्चे को एक माह पूर्व भर्ती कराया था. एक माह से बच्चा भर्ती है, जितना वजन बढ़ना चाहिए था अभी उतना नहीं बढ़ा है, इसलिए आज भी इलाज जारी है. 

गंजबासोदा तहसील में कुपोषिण बच्चो की संख्या अधिक

जिले की तहसील गंजबासोदा में पत्थरों में काम करने वाला मजदूर का बड़ा तबका निवास करता है और इसी इलाके के बच्चे ज्यादा कुपोषण का शिकार हुए हैं. बता दें कि इन मजदूरों की बस्ती में न तो सरकारी योजनाएं पहुंच पाई है और न ही आंगनवाड़ी की कार्यकर्त्ता यहां तक पहुंची हैं. यही वजह है कि जिले में कुपोषण का आंकड़ा बढ़ाता ही जा रहा है.

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कई आंगनवाड़ी केंद्र भगवान भरोसे चल रहे

जिले के कई आंगनवाड़ी केंद्र भगवान भरोसे चल रहे हैं. केंद्रों पर आज भी बच्चों को पर्याप्त पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है. दरअसल, विभाग द्वारा ठेकेदार को पोषण आहार का ठेका दिया जाता है, जो मनमानी कर पोषण आहार का सप्लाई करते हैं. कुछ केंद्रों पर तो सालों से दलिया और सत्तू ही सप्लाई हो रहा है तो कुछ आंगनवाड़ी केंद्रों का खाना इतना खराब है की बच्चे खाना खाने ही नहीं पहुंचते हैं.

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