Rose Cultivation in Dhar: आज के युवा किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नए प्रयोग के जरिए अधिक मुनाफा कमाने वाले फसलों की खेती कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के इंदौर में एक किसान कश्मीर की केसर उगा रहे हैं, तो वहीं नीमच में एक किसान बांस की खेती से 36 लाख रुपये तक सलाना कमाई कर रहे हैं. इधर, छिंदवाड़ा में एक किसान पथरीली जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की और अब इससे 80 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. ऐसा ही मध्य प्रदेश के धार जिले में एक किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नए प्रयोग से गुलाब की खेती की है. अब इससे वो लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.
जिप्सोफिला फूल की खेती
धार जिले की बदनावर तहसील के रूपाखेड़ा के रहने वाले युवा किसान मोहनलाल पाटीदार ने नए प्रयोग से गुलाब की खेती कर रहे हैं. मोहनलाल की खेत की गुलाब अब देश के कई राज्यों में भेजा जा रहा है. मोहनलाल अपनी 3 एकड़ जमीन में डच टॉप सीक्रेट गुलाब की खेती कर रहे हैं. युवा किसान पुणे से गुलाब के प्लांट मंगवाते हैं और एक एकड़ जमीन में 35 हजार प्लांट लगाते हैं. इसके अलावा किसान ने गुलदस्ते में लगने वाला सफेद फूल जिप्सोफिला की भी खेती कर रहे हैं.
गुलाब से 21 लाख तक हो रहा मुनाफा
परंपरागत खेती को छोड़ किसान मोहनलाल पाटीदार ने नए प्रयोग किए हैं. उनके प्रयोग से प्रेरणा लेकर रूपाखेड़ा गांव के 100 से ज्यादा किसानों ने गुलाब की खेती शुरू कर दी है. अब यह गांव गुलाब की खेती से पहचाना जाने लगा है. इसके अलावा किसान मोहनलाल शिमला मिर्च, खीरा, अमरूद की खेती से लाखों रुपये का सालाना कमाई कर रहे हैं.
डच गुलाब का एक प्लांट दस रुपये का आता है. एक एकड़ में 35 हजार प्लांट लगाए जाते हैं. गुलाब की फसल तैयार होने के बाद मौजूदा कीमत के हिसाब से फूलों को बेचा जाता है. एक एकड़ में किसान को 5 से 7 लाख रुपये तक का मुनाफा हो रहा है.
15 से बीस लोगों को दे रहे रोजगार
गुलाब की खेती करने वाले किसान मोहनलाल पिछले कई साल से गुलाब, जिप्सो वेला, अमरूद, खीरा, शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं. जिसकी वजह से आसपास के करीब बीस से पच्चीस मजदूरों को रोजगार भी मिलता है.
किसान को मिल चुका है पुरस्कार
किसान मोहनलाल को खेती में नए प्रयोग और गुलाब की अच्छी पैदावार के लिए साल 2021 में आत्म परियोजना की ओर से 25 हजार रुपये का पुरस्कार भी दिया गया है.
किसान मोहनलाल बताते हैं कि उनके दोस्त बंसी लाल पॉली हाउस लगाकर गुलाब की खेती करते हैं. उनके आइडिया पर ही मैंने 03 एकड़ खेत में पॉली हाउस बनाकर गुलाब की खेती शुरू की. पुणे से प्लांट मंगवाकर गुलाब के पौधे लगाए हैं. करीब 80 लाख की लागत से खेत में चार पॉली हाउस तैयार किए हैं. इसमें सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत सब्सिडी मिली है.
गुलाब गांव से हुआ फेमस
खेती में किसान मोहन लाल का नया प्रयोग क्षेत्र के अन्य किसानों को भी रास आया है. ज्यादा मुनाफा मिलने पर रूपाखेड़ा में कई किसान गुलाब के गुलदस्ते तैयार कर बेचते हैं. ये गुलदस्ते 200 से 300 रुपये में बिकते हैं. सीजन में भी एक गुलदस्ता 100 रुपये में बिकता है. रूपखेड़ा का गुलाब देश के कई राज्यों में अपनी महक फैला रहा है.
महज 3 एकड़ जमीन पर किया
युवा किसान बताता हैं कि गुलाब की खेती करना काफी मुश्किल काम है. देख रेख ओर मेहनत के साथ अनुभव और कुशलता भी जरूरी है. जब पौधा विकास की अवस्था को प्राप्त कर लेता है तो मदर शूट को पथ की दिशा की ओर झुकाया जाता है. कुछ ही दिनों में मदर शूट को झुकने के बाद गुलाब का पौधा अंकुरित हो सकता है. इनका उपयोग पौधे की संरचना के लिए किया जाता है. संरचना जितनी अच्छी होगी पौधे की पैदावार उतनी ही अधिक होगी. इस काम के लिए कुशल और अनुभवी मजदूरों की जरूरत होती है.
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