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Raksha Bandhan 2025: बाबा महाकाल को पहली राखी; सवा लाख लड्‌डुओं का भोग, नंदी हाल और गर्भगृह में खास सजावट

Raksha Bandhan: परंपरानुसार किसी भी पर्व की शुरुआत भी महाकाल मंदिर से होती है. इसलिए रक्षाबंधन को देखते हुए नंदी हॉल और गर्भगृह को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जा रहा है. 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व पर तड़के भस्म आरती के दौरान सबसे पहले बाबा महाकाल को राखी बांधी जाएगी.

Raksha Bandhan 2025: बाबा महाकाल को पहली राखी; सवा लाख लड्‌डुओं का भोग, नंदी हाल और गर्भगृह में खास सजावट
Raksha Bandhan: बाबा महाकाल को पहली राखी

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन को लेकर बाजारों में खास चहल-पहल देखने को मिल रही है. राखियों की दुकानों पर भीड़ बढ़ने लगी है. परंपरागत राखियों के साथ-साथ इस बार डिज़ाइनर, कस्टमाइज्ड और इको-फ्रेंडली राखियों की भी मांग बढ़ी है. मिठाइयों, उपहारों और ऑनलाइन गिफ्टिंग सेवाओं में भी तेजी देखी जा रही है. वहीं मध्यप्रदेश के उज्जैन में किसी भी पर्व की शुरुआत विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर के दरबार से होती हैं. यही वजह है कि 9 अगस्त के तड़के रक्षाबंधन पर बाबा महाकाल को पहली राखी बांधी जाएगी और सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया जाएगा.

क्या है परंपरा?

परंपरानुसार किसी भी पर्व की शुरुआत भी महाकाल मंदिर से होती है. इसलिए रक्षाबंधन को देखते हुए नंदी हॉल और गर्भगृह को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जा रहा है. 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व पर तड़के भस्म आरती के दौरान सबसे पहले बाबा महाकाल को राखी बांधी जाएगी. इस दौरान पुजारी सवा लाख लड्डूओ का भोग लगाकर भक्तों को प्रसाद स्वरूप बांटेंगे. यह भगवान को राखी बांधने की परंपरा महाकाल मंदिर के साथ बल्कि शहर के अन्य मंदिरों में भी निभाई जाती है.

पुजारी परिवार बनाता है राखी

रक्षाबंधन पर बाबा महाकाल के लिए पुजारी परिवार की महिलाएं आकर्षक राखी बनाती हैं. जिसे पुजारी भस्मारती में बाबा को अर्पित करते है. वहीं भगवान को भोग लगाने के लिए पुजारी राखी से तीन दिन पहले से शुद्ध देसी घी, बेसन, शक्कर और ड्रायफ्रूट्स से लड्डू बनवाते हैं. मंदिर के पुजारी महेश शर्मा का कहना है कि सावन मास खत्म होने पर जो लोग व्रत रखते हैं वह इस प्रसाद से व्रत खोलते हैं.

कब है मुहूर्त? Raksha Bandhan Muhurat

भाई-बहन के अटूट प्रेम और सुरक्षा के संकल्प का पर्व रक्षाबंधन इस वर्ष 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा. हिन्दू पंचांग के अनुसार यह त्योहार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनके सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं, जबकि भाई बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं.

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. इस दौरान कुल 7 घंटे 37 मिनट तक रक्षाबंधन का श्रेष्ठ काल रहेगा. इसके बाद भद्रा काल लगने की आशंका जताई गई है, जिसमें राखी बांधना वर्जित माना जाता है.

पंडितों का कहना है कि शुभ मुहूर्त में राखी बांधने से रिश्तों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है. रक्षाबंधन के दिन घरों में विशेष पूजा-अर्चना के साथ मिठाइयों का वितरण और भाई-बहन के प्रेम को दर्शाते पारंपरिक आयोजन होते हैं.

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