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Sihawal Assembly Seat: प्रियंका गांधी ने सिहावल में लगाई दौड़, फिर भी नहीं जीत पाई कांग्रेस

Sihawal Assembly Seat: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सीधी-सिंगरौली की सात सीटों के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं. लेकिन उनकी जनसभा का असर यहां की सीटों पर देखने को नहीं मिला.

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Sihawal Assembly Seat: प्रियंका गांधी ने सिहावल में लगाई दौड़, फिर भी नहीं जीत पाई कांग्रेस
जनसभा करने आई प्रियंका गांधी ने देरी होने पर दौड़कर पहुंची थीं.

Sihawal Assembly Seat Result: सीधी संसदीय क्षेत्र की सीधी, सिहावल, चुरहट, धौहनी, देवसर चितरंगी और सिंगरौली सीट से कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने जनसभा की थी. प्रियंका की ये जनसभा सिहावल विधानसभा क्षेत्र (Sihawal Assembly Constituency) के बहरी में आयोजित हुई थी. इस दौरान जनसभा के लिए पहुंचने में देरी होने पर प्रियंका ने दौड़ लगाकर पहुंचने की कोशिश की थी, लेकिन इस क्षेत्र में प्रियंका गांधी के दौड़ वाली सभा का कोई खास असर देखने को नहीं मिला है. क्षेत्र की 7 सीटों में से 6 सीटें बीजेपी की झोली में गई. जबकि चुरहट विधानसभा सीट अजय सिंह राहुल स्वयं अपने व्यक्तित्व और चुनावी रणनीति के चलते जीतने में सफल रहे. सिहावल विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल (Congress candidate Kamleshwar Patel), बीजेपी प्रत्याशी विश्वामित्र पाठक (BJP candidate Vishwamitra Pathak) से 16,488 वोटों से चुनाव हार गए हैं.

प्रियंका की रैली के बावजूद हार गए कमलेश्वर पटेल

सिहावल से विधायक रहे कमलेश्वर पटेल (कमलेश्वर इंद्रजीत कुमार) का गांधी परिवार से सीधा ताल्लुक है. राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी से सीधा संपर्क होने के कारण सीधी संसदीय क्षेत्र के सिहावल विधानसभा क्षेत्र के बहरी में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन यानी 15 नवंबर को प्रियंका गांधी एक सभा को संबोधित करने पहुंची थी. जनसभा के दौरान प्रियंका ने कांग्रेस की योजनाओं की खूब तारीफ की, जबकि बीजेपी को हरिजन, आदिवासी एवं महिलाओं की विरोधी सरकार बताया. फिर भी चुनावी नतीजे में कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल को एकतरफा हार का सामना करना पड़ा है. उन्हें बीजेपी प्रत्याशी विश्वामित्र पाठक ने  16,478 मतों से हराया. विश्वामित्र पाठक को 87,085 वोट मिले थे, जबकि कमलेश्वर इंद्रजीत कुमार को 70,607 वोटों से संतुष्ट करना पड़ा.

पिछले विधानसभा चुनाव, यानी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल मिलाकर 225248 मतदाता थे, जिन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी कमलेश्वर इंद्रजीत कुमार को 63918 वोट देकर जिताया था. उधर, बीजेपी उम्मीदवार शिव बहादुर सिंह चंदेल को 32412 वोट हासिल हो सके थे, और वह 31506 वोटों से हार गए थे.

निर्दलीय ताल ठोक दिया था विश्वामित्र ने

यहां बीजेपी ने विश्वामित्र पाठक को तीन बार टिकट दिया है वह पार्टी के विश्वास पर खरा उतरे हैं. वर्ष 2008 में मध्य प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे इंद्रजीत कुमार को इसी सीट पर चुनाव हराकर पहली बार विधायक निर्वाचित हुए. हालांकि दूसरी बार वर्ष 2013 में इंद्रजीत कुमार के पुत्र कमलेश्वर पटेल से विश्वामित्र को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. तीसरी बार वर्ष 2018 में बीजेपी से टिकट न मिलने पर विश्वामित्र बगावत की राह पर चल पड़े और बतौर निर्दलीय प्रत्याशी 27000 से अधिक मत प्राप्त कर अपनी ताकत का परिचय दिया था. बीजेपी यहां 32000 मत तक सीमित रही थी. 

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले विश्वामित्र पाठक ने फिर से बीजेपी का दामन थाम लिया और क्षेत्र में जनसंपर्क में जुट गए. विश्वामित्र के मजबूत दावेदारी के चलते भारतीय जनता पार्टी के द्वारा उनको सिहावल से टिकट देनी पड़ा और उस टिकट पर विश्वामित्र पाठक ने 16488 मतो के अंतर से चुनाव जीत दर्ज कर फिर से एक बार सिहावल की सीट पर बीजेपी का झंडा लहरा दिया है. 

सीडब्ल्यूसी मेंबर है कमलेश्वर पटेल

सिहावल कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. कांग्रेस से पूर्व मंत्री एवं विधायक कमलेश्वर पटेल को गत माह पहले अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी में सदस्य बनाया गया. लेकिन, चुनाव में बीजेपी उन्हें उनके ही घर में मात देने में सफल रही. बीजेपी और कांग्रेस के अलावा यहां तीसरे किसी दल का विशेष प्रभाव नहीं रहा.

मुख्यमंत्री की सभा का दिखा असर 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव प्रचार के दौरान सिहावल विधानसभा क्षेत्र के कोदौरा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि विकास के लिए कमल को खिलना जरूरी है. यदि यहां भाजपा का विधायक होता तो विकास भी कुछ अलग तरीके से होता. उस सभा का असर यहां पर परिवर्तन के रूप में देखने को मिला. 10 साल से विधायक रहे और कांग्रेस सरकार में 18 महीने के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में कार्य करने वाले कमलेश्वर पटेल को यहां की जनता ने नकार दिया. 

जातीय समीकरण भी रहा विशेष

सिहावल विधानसभा क्षेत्र में बिजौरा, कोलकटी और कनपुरा तीन ऐसे क्षेत्र हैं जो ब्राह्मण बहुल क्षेत्र है. इसी क्षेत्र से जीत-हार का निर्णय होता है. बिजौरा में बीजेपी प्रत्याशी विश्वामित्र पाठक का निवास स्थान भी है, जो सिंगरौली जिले के बॉर्डर से लगा हुआ है. वहीं कनपुरा में सिहावल विधायक कमलेश्वर पटेल का निवास है, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के रीवा जिले के बॉर्डर को छूता है. यहां कमलेश्वर पटेल अपने क्षेत्र में बढ़त नहीं बना सके. लेकिन, विश्वामित्र पाठक अपने निवास क्षेत्र बिजौरा एवं कोलकटी में बढ़त बनाने में सफल रहे. इसका असर यह हुआ की विश्वामित्र पाठक ब्राह्मण वर्ग के साथ-साथ अन्य वर्गों को भी साधने में सफल रहे, जिसके चलते इस बार सिहावल में कमल खिला.

सिहावल में कांग्रेस की बात करें तो इंद्रजीत कुमार के बाद उनके पुत्र कमलेश्वर पटेल के अलावा कोई ऐसा और चेहरा नहीं है जो चुनाव में कांग्रेस को मजबूती दे सके. कांग्रेस में रहने वाले लोग भी सिर्फ नाम मात्र ही पार्टी के लिए काम करते रहे, जबकि उनका पूरा जोर बीजेपी की तरफ रहा. कांग्रेस की हार का बड़ा कारण भितरघात को भी माना जा रहा है.

लाडली बहन का भी दिखा असर

सिहावल विधानसभा क्षेत्र में पुरुषों की अपेक्षा करीब 13 प्रतिशत महिलाओं ने अधिक मतदान किया है. माना जा रहा है कि लाडली बहना योजना का सीधा असर यहां देखने को मिला है. कांग्रेस के वादे को जनता ने नकारते हुए बीजेपी की लाडली बहना योजना, आवास योजना सहित तमाम अन्य योजनाएं हैं जिससे प्रभावित होकर मतदाताओं ने बीजेपी के पक्ष में मतदान किया और विश्वामित्र पाठक को जिताया.

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