
Pitru Paksha in Ujjain: श्राद्ध पक्ष (पितृपक्ष) रविवार से शुरु हो गया. श्राद्ध कर्म मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन में करने का विशेष महत्व माना जाता है. इसी कारण से देश - विदेश से श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए यहां पहुंच रहे हैं. कुछ पंडित ऑनलाइन तर्पण करने का दावा कर रहे हैं, तो कुछ ऑनलाइन श्राद्ध को शास्त्र विरोधी बता रहे हैं. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. साथ ही, पितृपक्ष 2025 (Pitru Paksha 2025) की सभी तिथियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी देते हैं.
क्यों है 15 दिनों के श्राद्ध?
पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि इस बार श्राद्ध पक्ष में एक तिथि क्षय होने से कुल 15 दिन के श्राद्ध होंगे. 7 सितंबर 2025, रविवार को कुंभ राशि में चंद्रमा की उपस्थिति में पूर्णिमा से श्राद्ध का आरंभ हुआ. इसी दिन रात्रि में चंद्र ग्रहण भी है, जिसका सूतक काल दोपहर 12:58 बजे से शुरू हो गया. इसलिए पूर्णिमा का श्राद्ध इसी समय तक ही किया गया.
उज्जैन में कब से कब तक चलेगा श्राद्ध 2025?
उज्जैन में 7 से 21 सितंबर तक श्राद्ध पक्ष चलेगा. इस दौरान रामघाट, सिद्धवट और गया कोटा पर हजारों श्रद्धालु पहुंचकर पिंडदान, तर्पण और जल-दान करेंगे.
उज्जैन में तर्पण की इतनी खास मान्यता क्यों?
श्राद्धकर्म करने पूरे देश से श्रद्धालु उज्जैन आते है. इसकी वजह उज्जैन को "उत्तर भारत का गया" भी कहा जाता है. मान्यता है कि कोटा में भगवान श्रीकृष्ण ने तर्पण किया था. भगवान राम, लक्ष्मण और सीता ने वनवास के दौरान राजा दशरथ का तर्पण उज्जैन में किया था. माता पार्वती ने सिद्धवट पर वटवृक्ष लगाया था, इसलिए यहां वटवृक्ष पर दूध चढ़ाने की परंपरा है. श्रद्धालु गया कोटा, रामघाट और सिद्धवट पर पिंडदान व तर्पण करने आते हैं.
ऑनलाइन कर्मकांड
श्राद्ध करने कई श्रद्धालु समय अभाव के कारण नहीं आ पाते. ऐसे में ऑनलाइन तर्पण की भी सुविधा है. पंडित राजेश त्रिवेदी ने बताया कि कई श्रद्धालु उज्जैन नहीं आ पा रहे हैं, उनके लिए ऑनलाइन तर्पण की व्यवस्था की गई है. श्राद्ध पक्ष के पहले दिन बुलंदशहर (UP) से सुरेंद्र शर्मा और गाजियाबाद से अमर उपाध्याय ने ऑनलाइन तर्पण कर ऑनलाइन दक्षिणा भी दी.
ऑनलाइन श्राद्ध से मुक्ति नहीं - पं. डब्बावाला
पं.अमर डब्बावाला के अनुसार, श्राद्ध के लिए शास्त्र धर्म की परंपरा का पालन करें. वर्तमान में हो रही ऑनलाइन श्राद्ध परंपरा पर कुठाराघात है. यह पद्धति सनातन धर्म की संस्कृति का भाग नहीं है. इस पद्धति से की पूजा का मनचाहा फल नहीं मिलता है. इसलिए तीर्थ स्थान, मंदिर जाए आपको लगेगा कोई पूजा की है. अन्यथा यह एक कर्तव्य था, इसलिए कर दिया यह सोच आपको संतुष्ट नहीं कर सकेगी.
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पितृपक्ष 2025 की सभी तिथि और दिन
शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध पक्ष 2025 का शुभारंभ 7 सितंबर 2025 की सुबह 6 बजे से हो गया है. 18 सितंबर 2025 को पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग रहेगा. इस दिन किया गया श्राद्ध सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला माना जाता है और यह योग पितरों को मोक्ष देने वाला होता है. इस साल के श्राद्ध की तिथियां निम्न रूप से हैं :-
- 7 सितंबर (रविवार) – दिन में 12:58 बजे तक पूर्णिमा का श्राद्ध, इसके बाद चंद्रग्रहण का सूतक शुरू
- 8 सितंबर (सोमवार) – प्रतिपदा का श्राद्ध
- 9 सितंबर (मंगलवार) – द्वितीया का श्राद्ध
- 10 सितंबर (बुधवार) – तृतीया का श्राद्ध
- 11 सितंबर (गुरुवार) – चतुर्थी का श्राद्ध और कुमार पंचमी का पार्वण श्राद्ध
- 12 सितंबर (शुक्रवार) – षष्ठी का श्राद्ध
- 13 सितंबर (शनिवार) – सप्तमी का श्राद्ध
- 14 सितंबर (रविवार) – अष्टमी का श्राद्ध
- 15 सितंबर (सोमवार) – नवमी का श्राद्ध
- 16 सितंबर (मंगलवार) – दशमी का श्राद्ध
- 17 सितंबर (बुधवार) – एकादशी का श्राद्ध
- 18 सितंबर (गुरुवार) – द्वादशी का श्राद्ध (यह संन्यासियों का श्राद्ध भी माना जाता है)
- 19 सितंबर (शुक्रवार)– त्रयोदशी का श्राद्ध (प्रदोष तिथि, मघा श्राद्ध)
- 20 सितंबर (शनिवार) – चतुर्दशी का श्राद्ध (यह श्राद्ध अपघात या अकाल मृत्यु से मृत व्यक्तियों के लिए किया जाता है)
- 21 सितंबर (रविवार) – सर्वपितृ अमावस्या – पितृपक्ष का अंतिम दिन
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