
Pitra Paksha in Dewas: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास जिले के भौंरासा नगर में बाबा भवंरनाथ जी मंदिर (Baba Bawarnath Ji Mandir) प्रांगण में श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों को याद करते हुए सभी समाज के लोगों ने सामूहिक पिंडदान किया. यह पिंडदान अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तीन, पांच या सात वर्ष में अपनी श्रद्धा अनुसार किया जाता है. मान्यता है कि इसमें लोगों को अपने पूर्वजों के प्रति आस्था और संस्कृति के अनुरूप यह कार्य करना पड़ता है. पुरानी मान्यताओं व परम्पराओं के अनुसार, श्राद्ध पक्ष अपने पितरों की याद में 16 दिन तक लोग उन्हें धूप, ध्यान, पूजा और पाठ कर प्रसन्न करने के लिए करते हैं और मान्यता रखते है कि उनके पूर्वज प्रसन्न होकर उन पर दया-दृष्टि बनाये रखें.
पंडित ने बताई खास मान्यता
इसी में एक पुरानी मान्यता बताते हुए पंडित मनोज जोशी ने बताया कि जब दानवीर कर्ण की मृत्यु हुई थी, तो उन्हें नर्क लोक भेजा गया था. तब उन्होंने भगवान से पूछा कि मैंने मेरी जिंदगी भर दान किया है, मुझसे बड़ा दानवीर धरती पर कोई नहीं. फिर भी मुझे नर्क लोक क्यों भेजा गया. तब भगवान ने उन्हें बताया था कि तूने तेरी जिंदगी में सभी को दान दिया है, सभी की सेवा की है, लेकिन तूने अपने पितरों की सेवा नहीं की है और ना उनकी पूजन की. इसी चलते आज नर्क लोक में स्थान मिला है.
पिंडदान के लिए वापस धरती पर आया था कर्ण
पंडित जी ने बताया कि तब भगवान ने कर्ण को धरती पर वापस भेजा और 16 दिन कर्ण ने पूर्वजों की सेवा करने के साथ दान पुण्य किया. तब जाकर कर्ण को मुक्ति मिली थी. यह कथा भी श्राद्ध का महत्व बखूबी बताती है. पुराने लोगों के अनुसार, पितृ पक्ष के इन 16 दिनों में शुभ कार्य नहीं किए जातें हैं. अपने-अपने अनुसार इन दिनों में लोगों द्वारा अपने घरों में ब्राह्मणों को भोज कराया जाता है.
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बाबा भंवरनाथ मंदिर पर कई खास संगम
भौरासा नगर परिषद अध्यक्ष और नगर परसाई संजय जोशी का कहना है कि बाबा भवंरनाथ जी मंदिर पर सामूहिक पिंडदान का आयोजन इसलिए किया जाता है क्योंकि यहां पर कई प्रकार का संगम है. बाबा भवंरनाथ जी महाराज की जीवित समाधि और प्राचीन पीपल व बढ़ का वृक्ष रानी दमयंति तालाब एवं पास स्थित अति प्राचीन कुंड आदि का विशेष संगम होने की वजह से यहां हर साल श्राद्ध पक्ष की पूर्णिमा पर पितरों को तर्पण का कार्य किया जाता है.
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