MP Petrol-Diesel Price Hike: बीते दिनों सरकार ने पूरे देश में पेट्रोल और डीजल के उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाते हुए इनके भाव में लगभग दो रुपए की कमी कर दी. इसके बाद से सभी राहत की सांस ले रहे हैं. लेकिन, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खंडवा और बुरहानपुर जिलों में पेट्रोल और डीजल की कीमत कम होने के (Petrol and Diesel Price Hike) बाद भी लोगों को बढ़े हुए दामों पर ही पेट्रोल-डीजल खरीदना पड़ रहा है. इससे दोनों जिलों के लोगों पर हर महीने 6 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ रहा है. ऐसा केवल पेट्रोलियम कंपनियों (Petroleum Company) की मनमानी के कारण हो रहा है.
इन दो जिलों में कम नहीं हुए दाम
खंडवा और बुरहानपुर जिलों में बढ़े हुए दामों पर ही पेट्रोल-डीजल खरीदना पड़ रहा है. इस सब के पीछे की वजह पेट्रोलियम कंपनियों की मनमानी है. दरअसल, बारिश के दिनों में नर्मदा नदी पर बना पुल कुछ क्षतिग्रस्त हो गया था. इससे भारी वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया गया था. इसी के चलते पेट्रोलियम कंपनियों को लंबा रास्ता तय करके खंडवा और बुरहानपुर जिलों में पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति करनी पड़ रही थी. लेकिन, अब इस पुल को फिर से चालू कर दिया गया है फिर भी पेट्रोल कंपनियों ने अपने दामों में कमी नहीं की.
प्रशासन से लगा रहे हैं गुहार
पूरे देश में पेट्रोल-डीजल के दाम कम हुए लेकिन खंडवा और बुरहानपुर के पेट्रोल पंपों पर अब भी बड़े हुए दामों पर लोगों को पेट्रोल और डीजल खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है. बढ़े हुए दामों को लेकर खंडवा और बुरहानपुर के लोगों को अपनी जेब पर पड़ रहे अतिरिक्त भार का डर सताने लगा है. ऐसे में ये प्रशासन के आगे गुहार लगाते नजर आ रहे हैं कि पेट्रोल और डीजल के दामों पर नियंत्रण किया जाए. इतना ही नहीं, समाज सेवी संगठन और वकील इसे लेकर न्यायालय की शरण में भी जाने के के लिए तैयार है.
आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं लोग
एक अनुमान के अनुसार, खंडवा और बुरहानपुर में लगभग 10 लाख ऐसे उपभोक्ता हैं जो हर दिन पेट्रोल और डीजल का उपयोग करते हैं. दोनों ही जिलों में लगभग 10 से 15 लाख लीटर पेट्रोल-डीजल का उपयोग प्रतिदिन किया जाता है. वर्तमान में खंडवा में पेट्रोल 109 रुपये 7 पैसे और डीजल 94 रुपये 25 पैसे मिल रहा है. देखा जाए तो यह लगभग 2 रुपये से ज्यादा प्रति लीटर प्रति उपभोक्ता को देना पड़ रहा है. इस हिसाब से 15 से 20 लाख रुपए रोज दोनों ही जिलों के उपभोक्ताओं के अतिरिक्त खर्च हो रहे हैं. एक महीने में देखें तो यह आंकड़ा 6 करोड़ के आसपास हो जाता है.
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प्रशासन दिख रहा है बेबस
पूरे मामले को लेकर दोनों जिलों का प्रशासन पेट्रोलियम कंपनियों के आगे पूरी तरह बेबस नजर आ रहा है. प्रशासनिक अधिकारी कह रहे हैं कि पेट्रोलियम कंपनियों को आदेश भी दिए गए हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें एनएचएआई से लिखित में चाहिए. प्रशासनिक अधिकारी बताते हैं कि एनएचएआई ने उन्हें लिखित में भी दे दिया है, लेकिन पेट्रोलियम कंपनियां कुछ अलग चाहती हैं. इस संबंध में पेट्रोलियम कंपनियों से लगातार बात की जा रही है.
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