Madhya Pradesh Patwari Bharti: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में पटवारी भर्ती (Patwari Bharti) रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों के विरोध पर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी (Jeetu Patwari) ने भी खुलकर उनका समर्थन कर दिया है, और बीजेपी सरकार के ऊपर कई तरह के सवाल उठा दिए हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार अभ्यर्थियों की मांग को अनसुना क्यों कर रही है? पटवारी ने कहा भोपाल में प्रदर्शन के लिए जुटे अभ्यर्थी भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच एसआईटी से चाहते हैं, लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. यही वजह है कि बेरोजगार छात्र अब दिल्ली में प्रदर्शन के लिए जुटने की तैयारी कर रहे हैं.
शिवराज सरकार ने जांच रिपोर्ट आने तक लगा दी थी रोक
पटवारी ने बताया कि बुधवार को जब नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (NEYU) के बैनर तले भोपाल में जुटे अभ्यर्थी धरना देने के बाद वल्लभ भवन की ओर कूच कर रहे थे, तब पुलिस ने उन्हें बैरिकेड लगाकर रोक लिया. यदि सरकार भूल रही है तो याद दिला दें कि 30 जून 2023 को पटवारी भर्ती परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद शुरू हुए इस विवाद के बाद तत्कालीन शिवराज सरकार ने जांच होने तक नियुक्ति पर रोक लगा दी थी, 19 जुलाई 2023 में जांच के लिए आयोग गठित हुआ, 8 महीने जांच चली और इसके बाद रिटायर्ड जस्टिस राजेंद्र वर्मा ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी गई और भर्ती परीक्षा को क्लीन चिट मिलने के बाद 15 फरवरी को सरकार ने चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति के आदेश जारी किए.
एनईवाययू की मांग है कि 'सरकार नियुक्तियां रोके और जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करे.' अभ्यर्थियों ने यह भी आरोप लगाया कि बिना जांच रिपोर्ट जारी किए पिछले दरवाजे से 10-15 लाख में पेपर खरीदने वालों को नियुक्ति दी जा रही है. निष्पक्ष जांच होती तो यह तमाम लोग जेल में होते. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सरकार डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नाम पर चंद फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले छात्रों पर कार्रवाई की बात कर रही है, लेकिन, फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वालों पर कार्रवाई नहीं की गई है. एक सदस्य जांच कमेटी के पास जांच के तकनीकी संसाधन नहीं थे. ऐसे में यह जांच केवल बयानों के आधार पर हुई है जबकि एक व्यक्ति का प्रदेश भर में शिकायतों की जांच करना आसान काम नहीं है क्योंकि यह ऑनलाइन परीक्षा है, बिना टेक्निकल एक्सपर्ट के सभी पहलुओं की जांच करना संभव नहीं है.
पटवारी ने उठाए कई सवाल
पटवारी ने सरकार से पूछा कि ग्वालियर के एक परीक्षा केंद्र से 10 में से 7 टॉपर और प्रदेश के केवल 3 परीक्षा केंद्रों में से 50 में से 34 टॉपर कैसे आ गए? क्या टॉपर से बातचीत कर, बयान लिए गए? क्या उनके बीच के आपसी संबंध और कनेक्शन को चेक किया गया? क्या टॉपर की 10वीं, 12वीं की मार्कशीट की जांच की गई? कुछ चयनित अभ्यर्थी ऐसे भी हैं, जिन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा 35% नंबरों से पास की है. कुछ चयनित अभ्यर्थी ऐसे भी हैं, जो वनरक्षक भर्ती परीक्षा में फिट थे, लेकिन पटवारी भर्ती परीक्षा में एयर हैंडिकैप्ड यानी उन्हें कानों से सुनाई नहीं देता? यह कैसे संभव है? टॉपर का लॉग इन टाइम चेक किया जाए, जिससे यह पता चले कि उसने कितने बजे सिस्टम पर लॉगिन किया? क्या टॉपर की कैंडिडेट रेस्पॉन्स लॉग की जांच की गई, जिससे पता चलता है कि छात्र ने कब और कितने समय में कौन सा जवाब दिया? कब उसने जवाब के विकल्प को बदला? क्या पेपर को 03 घंटे में हल किया? या फिर आधे-एक घंटे में ही सारे जवाब फिल कर दिए? मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड यानी ESB के सर्वर की टेक्निकल जांच की गई?
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भाजपा सरकार हो चुकी है निरुत्तर
पटवारी ने कहा कि क्योंकि भाजपा सरकार निरुत्तर हो चुकी है इसीलिए अभ्यर्थी तार्किक सवाल उठाकर अब सरकार से मांग कर रहे हैं कि पटवारी फर्जी नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द की जाए. 6 महीने के अंदर पुन: परीक्षा कराई जाए, जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए, तकनीकी विशेषज्ञों की SIT गठित की जाए तथा फर्जीवाड़े के दोषियों को सजा दी जाए. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश कांग्रेस उनकी इन मांगों का समर्थन करती है.
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