विज्ञापन

गजब 'फंस' गई इंदौर MGM मेडिकल कॉलेज की नर्सिंग छात्राएं ! दो साल से न नौकरी मिली न सुनवाई

इंदौर के MGM मेडिकल कॉलेज से नर्सिंग की पढ़ाई कर चुकी छात्राएं सिस्टम की बेरुखी का शिकार हुई हैं. हालत ये है कि वे मरीज नहीं बल्कि खुद की जिंदगी का इलाज करने के लिए मजबूर हो गई हैं. जब उन्होंने कॉलेज में एडमिशन लिया था तब सरकार ने उन्हें नौकरी का वादा करके बॉन्ड साइन करवाया था लेकिन इतने सालों बाद भी 130 में से 121 छात्राएं बेरोजगार बैठी हैं.

गजब 'फंस' गई इंदौर MGM मेडिकल कॉलेज की नर्सिंग छात्राएं ! दो साल से न नौकरी मिली न सुनवाई

Indore Nursing Students: देश के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेजों में शुमार इंदौर के MGM मेडिकल कॉलेज से नर्सिंग की पढ़ाई कर चुकी छात्राएं सिस्टम की बेरुखी का शिकार हुई हैं. हालत ये है कि वे मरीज नहीं बल्कि खुद की जिंदगी का इलाज करने के लिए मजबूर हो गई हैं. जब उन्होंने कॉलेज में एडमिशन लिया था तब सरकार ने उन्हें नौकरी का वादा करके बॉन्ड साइन करवाया था लेकिन इतने सालों बाद भी 130 में से 121 छात्राएं बेरोजगार बैठी हैं. ऐसा लगता है जैसे कि उनके मामले में सरकार की याददाश्त ही चली गई है. बॉन्ड भरने की वजह से वे कहीं और नौकरी भी नहीं कर सकती लिहाजा अब वे सड़क पर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. कुल मिलाकर इंदौर के एमजीएम कॉलेज की इन छात्राओं के सपनों को आज इलाज की जरूरत है. पहले मामले को ग्राफिक्स के जरिए समझने की कोशिश करते हैं फिर केस स्टडी पर बात करेंगे.  

Latest and Breaking News on NDTV

दरअसल प्रदर्शन कर रहीं ये नर्सिंग की वो छात्राएं हैं, जिन्होंने पढ़ाई पूरी की, बॉन्ड साइन किया, सरकार के कहे अनुसार काम करने को तैयार हैं — लेकिन अब सरकार चुप है, और ये सड़क पर हैं. सरकार न उन्हें नौकरी दे रही है और न ही उनका बॉन्ड ही खत्म कर रही है. NDTV ने इन्हीं पीड़ितों में से कईयों के दर्द का जायजा लिया. इन्हीं में से एक हैं सुनीता पटेल. वो अपने 8 महीने के बच्चे को लेकर रोज पीतमपुर से इंदौर धरना-प्रदर्शन में भाग लेने आती हैं.

वो बताती हैं कि उनकी शादी यही बोलकर हुई थी कि 2 महीने में उनकी सरकारी नौकरी लग जाएगी. अब शादी के बाद बच्चा भी हो गया लेकिन अभी तक उन्हें नौकरी नहीं मिली. अब वो शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरीके से प्रताड़ित हो रही हैं. उनकी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द उन्हें नौकरी दे.

इसी तरह का केस साक्षी का भी है. उनके पिता का सपना था कि वो नर्स बनें. पढ़ाई के दौरान उन्हें गवर्नमेंट हॉस्टल मिला था लेकिन जैसे ही नर्सिंग की पढ़ाई खत्म हुई तो उन्हें किराए का कमरे लेना पड़ा है. अब वो एक  10x10 के कमरे में रह रही हैं. वो बताती हैं कि बीते दो साल से घर से पैसे लेकर यहां रह रही हूं लेकिन सरकार ने हमें प्राइवेट जॉब करने दे रही है और न ही सरकारी नौकरी ही मिल रही है. कुछ ऐसा ही हाल सागर की रहने वाली आस्था का भी है. वो भी इंदौर में किराए के कमरे में रहती हैं. उसी कमरे में खाना बनाती है, सोती है और पढ़ाई करती हैं. उनके पिता नहीं हैं लिहाजा घर चलाने की जिम्मेदारी भी उन पर ही है. छोटा भाई अभी स्कूल में है. वे भी सरकार से गुहार लगा रही हैं कि नौकरी दी जाए. 
 बता दें कि एनडीटीवी ने लगातार नर्सिंग घोटाले का मुद्दा उठाया था. जिसके बाद विपक्ष ने सदन में आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश देश में एक मात्र राज्य है जहां 2020 से 2025 के बीच में एक भी नर्सिंग छात्र ग्रेजुएट नहीं हो पाया. 
ये हालात तब हैं जब स्वास्थ्य के कई मानकों पर मध्यप्रदेश पिछड़ा है, नर्सिंग स्टाफ तो कम हैं ही, राज्य में डॉक्टरों की भी बहुत कमी है. 

Latest and Breaking News on NDTV

बहरहाल नर्सिंग के इन छात्रों की स्थिति पर NDTV ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ला से भी बात की. उन्होंने कहा- मैन पावर की कमी राज्य के हर सेक्टर में है और उसे दूर करने की हम हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं. अगर कहीं वेकैंसी नहीं है तो हम इनकी बहाली कैसे कर सकते हैं. जहां भी वेकैंसी निकलेगी वहां हम इनकी भर्ती करेंगे. जाहिर है फिलहाल तो इन नर्सिंग छात्राओं की समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा है. 

ये भी पढ़ें: CM डॉ मोहन यादव का बड़ा ऐलान; युवाओं को ₹5000 प्रोत्साहन, लाडली बहनों को भाई दूज पर शगुन

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close