
Bhopal Latest News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल के बाणगंगा की तंग गलियों में 24 जुलाई को अचानक जय श्रीराम के नारे गूंजे, भगवा झंडे लहराए और रामधुन के बीच हिंदू पलायन की बातें उड़ने लगीं... विश्व हिंदू परिषद और कुछ कथित हिन्दू संगठनों ने दावा किया कि इलाके में मुस्लिमों से तंग आकर हिंदू परिवार अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं. NDTV की टीम जब इस प्रदर्शन के अगले दिन इन्हीं गलियों में पहुंची, तो वहां का शोर थम चुका था. लेकिन एक ठहराव था. ऐसा ठहराव, जो बहुत कुछ कह रहा था. चेहरे भले शांत थे, लेकिन आंखों में अब भी बेचैनी थी और बातचीत में एक अनकहा डर था. पड़ताल में जो सच सामने आया, वो नारों की गूंज से बिल्कुल अलग था. यह कोई मजहबी लड़ाई नहीं थी, यह एक निजी दरार थी, जिसे धीरे-धीरे धर्म की शक्ल दे दी गई थी. विवाद को इस तरह हवा दी गई, जैसे किसी समुदाय की आस्था पर सवाल खड़े हो गए हों और नतीजा ये हुआ कि वह मोहल्ला, जो बरसों से साथ जीता था, अब भीतर से दो हिस्सों में बंटने की कगार पर था.
हमें रोकना पड़ता है... - स्थानीय
यहां राधा यादव रहती हैं, जिनके घर पर एक दिन पहले ही एक पोस्टर चिपका था… लिखा था-"मुस्लिम वर्ग के लोगों से परेशान होकर घर बेचना है." लेकिन, आज वो पोस्टर गायब है. राधा इस मोहल्ले में महज 9 महीने पहले आई थीं. एक नई शुरुआत की उम्मीद के साथ, लेकिन अब उनके चेहरे पर डर भी साफ नजर आ रहा है. उन्होंने बताया कि 21 जुलाई को कुछ लड़कों ने उनके घर के पास खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की. जब राधा ने सबका वीडियो बनाने की कोशिश की, तो उनके हाथ पर मारा गया और उनके बेटे को भी पीटा गया. उनकी आवाज भर्रा जाती है, जब वो बताती हैं कि हर रात उनके घर के सामने चौराहे पर भीड़ जुटती है, शोर होता है, गालियां दी जाती हैं...
कभी अचानक केक काटने जैसे जश्न मनाए जाते हैं और जब वो एतराज जताती हैं, तो जवाब में धमकी और बहस मिलती है. पुलिस से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक उन्होंने शिकायतें कीं, लेकिन जब कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो आखिरकार उन्होंने हार मानकर अपने घर पर वो पोस्टर चिपका दिया “घर बेचना है.”
राधा यादव की बहन शांति कनौजिया, जो बगल के ही घर में रहती हैं, उनका भी दावा है कि लड़कों ने उनके घर के सामने गाड़ी खड़ी कर दी, गालियां दीं, और विरोध करने पर गला दबा दिया. शांति कहती हैं कि पुलिस ने उल्टा उन्हें ही कठघरे में खड़ा कर दिया. स्थानीय लोगों का मानना है ये मोहल्ले का झगड़ा था, मजहबी नहीं. लेकिन, कुछ लोगों ने इसे प्रचार का मंच बना लिया.
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'सिर्फ माहौल बनाया जा रहा'
मोहल्ले में रह रही बेटियां, बहुएं, बुज़ुर्ग और बचपन यहां गुज़ारने वाले लोग एक सुर में बोले ये हमारे मोहल्ले का झगड़ा नहीं है, सिर्फ माहौल बनाया जा रहा है. कभी गणेश स्थापना में मुस्लिम शामिल होते हैं, कभी मोहर्रम की सवारी हिंदू के घर से उठती है, लेकिन कुछ संगठन 10 मिनट के लिए आते हैं, नारे लगाते हैं, पोस्टर चिपकाते हैं और फिर खबर बना कर निकल जाते हैं. मोहल्ले की एक तकरार को हिंदू-मुस्लिम संघर्ष बनाकर भुनाने की कोशिश की गई.
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