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Sangeet Shikshak Bharti MP: संगीत शिक्षक भर्ती कब होगी सरकार! DPI में अभ्यर्थियों की गुहार, परीक्षा का इंतजार

Sangeet Shikshak Bharti: विद्यार्थियों का कहना है कि उन्होंने संगीत शिक्षक पद हेतु मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा आयोजित कठिन पात्रता एवं चयन परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर चार वर्षों से इंतजार किया हैं, और अब दस्तावेज सत्यापन या डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के अंतिम चरण में मान्यता पर प्रश्न उठना न्यायोचित नहीं है. यह न केवल गैर-न्यायिक है, बल्कि सैकड़ों विद्यार्थियों के भविष्य के साथ गंभीर खिलवाड़ भी है.

Sangeet Shikshak Bharti MP: संगीत शिक्षक भर्ती कब होगी सरकार! DPI में अभ्यर्थियों की गुहार, परीक्षा का इंतजार
Sangeet Shikshak Bharti MP: संगीत शिक्षक भर्ती कब होगी सरकार! DPI में अभ्यर्थियों की गुहार, परीक्षा का इंतजार

Music Teacher Recruitment: मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए लगभग 100 अभ्यर्थियों ने मंगलवार को लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) भोपाल में पहुंचकर संगीत शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद और प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ की डिग्रियों की मान्यता को लेकर स्पष्टीकरण और न्याय की मांग की. अभ्यर्थियों का कहना है कि इन संस्थानों द्वारा प्रदत्त संगीत प्रभाकर और संगीत विशारद जैसी पारंपरिक उपाधियां देश के कई राज्यों में हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, सीबीएसई और अन्य शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मान्य रही हैं. यहां तक कि मध्य प्रदेश शासन ने 1974 में आदेश जारी कर इन उपाधियों को संगीत शिक्षक नियुक्ति के लिए मान्य माना था.

डिग्रियों की वैधता पर सवाल

अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि दस्तावेज़ सत्यापन के अंतिम चरण में डीपीआई ने इन डिग्रियों की वैधता पर सवाल उठाए हैं, जबकि वे चार वर्षों से चयन प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह न केवल न्याय संगत अपेक्षा और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि सैकड़ों अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ गंभीर खिलवाड़ भी है.

भोपाल में डीपीआई अधिकारियों को अभ्यर्थियों ने 62 पृष्ठों का दस्तावेज़ी प्रमाण सौंपा, जिसमें विभिन्न न्यायालयों और संस्थानों के निर्णय शामिल थे. अधिकारियों ने शीघ्र न्यायोचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया.

विद्यार्थियों का कहना है कि उन्होंने संगीत शिक्षक पद हेतु मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा आयोजित कठिन पात्रता एवं चयन परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर चार वर्षों से इंतजार किया हैं, और अब दस्तावेज सत्यापन या डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के अंतिम चरण में मान्यता पर प्रश्न उठना न्यायोचित नहीं है. यह लेजिटिमेट एक्सपेक्टेशन या न्याय संगत अपेक्षा तथा नेचुरल जस्टिस के विरुद्ध है साथ ही यह न केवल गैर-न्यायिक है, बल्कि सैकड़ों विद्यार्थियों के भविष्य के साथ गंभीर खिलवाड़ भी है. नोटिफिकेशन प्रदान किए जाने के दौरान इस प्रकार की कोई बात सामने नहीं आई और अब इच्छानुसार अनेक नए शब्द जोड़कर परिवर्तन किए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश शासन में अनेक अतिथि शिक्षक प्रभाकर व विशारद के आधार पर 3 वर्षों से अधिक शिक्षण का कार्य कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में 4 दिसंबर को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रयाग संगीत समिति के पक्ष में निर्णय देते हुए केंद्रीय विद्यालय के खिलाफ भैरवी कुमारी को नियुक्त करने का आदेश दिया था, जो इन उपाधियों की वैधता को पुनः पुष्ट करता है.
अभ्यर्थियों ने मांग की है कि डीपीआई सभी न्यायिक निर्णयों और साक्ष्यों के आधार पर जल्द स्पष्ट निर्णय लेकर उनके भविष्य को सुरक्षित करे.

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