
MP Sports Academies: पढ़ोगे लिखोगे बनगो नवाब, खेलोगे कूदोगे को बनोगे खराब वाली कहावत मध्य प्रदेश में एक बार चरित्रार्थ होती दिख रही है, जहां करोड़ों खर्च होने के बावजूद अच्छे खिलाड़ी नहीं मिल रहे हैं, इसके चलते प्रदेश की तीन और स्पोर्ट्स अकादमियों का शटर डाउन हो सकता है.
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पहले से ही बंद के कगार पर ग्वालियर में चल रही बैडमिंटन अकादमी
खेल एवं युवा कल्याण विभाग की मानें तो बैडमिंटन अकादमी ग्वालियर, गर्ल्स क्रिकेट अकादमी शिवपुरी और तीरंदाजी अकादमी जबलपुर पर गाज गिर सकती है, क्योंकि तीनों अकादमियां परफॉर्मेंस नहीं दे पा रही हैं. इनमें ग्वालियर में चल रही बैडमिंटन अकादमी पहले से ही बंद के कगार है.
प्रदेश में फिलहाल 18 स्पोर्ट्स अकादमियां है, सबसे मंहगी है शूटिंग
मध्य प्रदेश में फिलहाल 18 स्पोर्ट्स अकादमियां है. इनमें राजधानी भोपाल में शूटिंग, घुड़सवारी, हॉकी, सेलिंग, सलालम, रोइंग, बॉक्सिंग, तलवारबाजी, कराते, ताइक्वांडो, जूडो, कुश्ती, एथलेटिक्स, कयाकिंग-केनोइंग, ग्वालियर में बैडमिंटन, गर्ल्स हॉकी, जबलपुर में आर्चरी और शिवपुरी में गर्ल्स क्रिकेट प्रमुख हैं.
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18 अकादमियों पर हर साल करीब 66 करोड़ रुपए खर्च करता है विभाग
गौरतलब है खेल विभाग मौजूदा सभी 18 अकादमियों पर हर साल करीब 66 करोड़ खर्च करता है, लेकिन अकादमियों से अच्छे खिलाड़ी और अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने की वजह से खेल विभाग को उक्त कदम उठाने पड़ रहे हैं. बताया जाता है खेल विभाग पिछले कई महीनों से प्रदेश की सभी स्पोर्ट्स अकादमियों के परफॉरमेंस की रिव्यू करवा रही है.
'जिनकी परफॉर्मेस नहीं आ रही है, उनके बारे में विचार किया जाएगा'
प्रदेश खेल मंत्री विश्वास सारंग शीर्ष खेल अधिकारियों के साथ सभी 18 अकादमियों का रिव्यू कर रहे हैं. उनका कहना है कि सभी खेल अकादमियों का रिव्यू कराने से जहां कमियां दिखेगी उसे ठीक किया जाएगा और जिन अकादमी की परफॉर्मेस नहीं आ रही है, उनको उनके बारे में विचार किया जाएगा.
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विभागीय रिव्यू तय करेंगी प्रदेश में संचालित हो रही सभी अकादमियों का भविष्य
घुड़सवारी और वॉटर स्पोर्ट्स अकादमी दूसरी सबसे महंगी अकादमी है. शूटिंग में एक खिलाड़ी प्रतिदिन 100 राउंड गोली चलाता है. घुड़सवारी में एक घोड़े और घुड़सवार का खर्च भी शूटर के बराबर है. हालांकि दोनों अकादमियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. अब विभागीय रिव्यू इनका भविष्य तय करेंगी.
स्पोर्ट्स अकादमियां ऐसे बंद होने लगी तो मध्य प्रदेश में नहीं बचेगा खेल विभाग
सवाल यह है कि अगर ऐसे ही स्पोर्ट्स अकादमियां बंद होने लगी तो वह दिन दूर नहीं होगा जब खेलोगे-कूदोग बनोगे खराब वाली कहावत सच हो जाएगी. जब कहा जा रहा था कि केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से खेलोग-कूदोगे बनोगे खराब की कहावत को बदलकर खेलोगे-कूदोगे बनोगे लाजबाव कर दिया गया था. खेलो इंडिया इसका बड़ा उदाहरण है.
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