
Madhya Pradesh News Aaj ki: मध्य प्रदेश के खरगोन में बेटियों की सुरक्षा से खिलवाड़ का एक बहुत ही गंभीर मामला सामने आया है. केंद्र और राज्य सरकारें जहां बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ योजना पर करोड़ों खर्च कर रही है. वहीं, कुछ लोग सरकार की इस योजना पर पलीता लगाते नजर आ रहे हैं.
ऐसा ही एक मामला खरगोन जिले के बड़वाह स्थित शासकीय महाविद्यालय से सामने आया है. यहां की 50 छात्राओं को मुराल्ला में लगाए गए NSS के सात दिवसीय कैंप में छोटे लोडिंग वाहन में भरकर भेड़-बकरियों की तरह खड़े कर ले जाया गया. छात्राओं के इस तरह ले जाने का वीडियो सामने आने के बाद अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है. इस घटना के बाद छात्र संगठनों की ओर से इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य को ज्ञापन सौंपा गया है. वहीं, कांग्रेस नेता सोनू पहलवान ने भी इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की है.
NSS के सात दिवसीय कैंप में 50 छात्राओं को छोटे लोडिंग वाहन में भेड़ बकरियों की तरह खड़े कर ले जाने का मामला बुधवार को काफी गर्मा गया.
पूरी खबर पढ़ें : https://t.co/1UeVECvw9G#ndtvmpcg #khargaun #MadhyaPradesh pic.twitter.com/lcGuhkbSrCयोजना से जुड़े पदों से हटाए गए दो प्रोफेसर
मामले की गंभीरता को देखते हुए जनभागीदारी समिति ने ताबड़तोड़ बैठकें की. समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सुराणा ने कहा कि इस घटनाक्रम में जिम्मेदारों की गलती स्पष्ठ दिखाई दे रही है. चूंकि छात्राओं की सुरक्षा का मामला हैं, इसके चलते इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. लिहाजा, देर तक चली बैठक के बाद समिति के सदस्यों ने राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर गोविंद वास्केल और महिला इकाई की प्रोफेसर रजनी खेड़ेकर को योजना के पदों से हटाने की अनुशंसा की है. इसके बाद प्राचार्य डॉ. मंगला ठाकुर ने दोनों ही प्रोफेसरों को योजना की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है.
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छात्र नेता ने कार्रवाई को बताया दिखावा
इस मामले को सामने लाने वाले छात्र नेता विशाल वर्मा ने इस कार्रवाई को मात्र औपचारिकता वाली कार्रवाई बताया है. उनका कहना था कि बहुत ही गंभीर और संवेदनशील मामले में बहुत ही हल्कापन दिखाया है. आयोजन के प्रभार से पद मुक्त कर उनको एक मामूली सजा दी गई है. उन्होंने कहा कि जनभागीदारी अध्यक्ष को चाहिए था कि वह उच्च शिक्षा विभाग या मुख्यमंत्री को अनुशंसा कर संस्था प्रमुख प्राचार्य और स्टाफ के प्रति कार्रवाई की मांग की जानी चाहिए थी, लेकिन उनका महिलाओं के प्रति दुर्भाग्य पूर्ण रवैया बेहद निराशाजनक है. उन्होंने कहा कि हम प्रशासन से मांग करते हैं कि इस घटना को लेकर निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
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