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This Article is From Feb 25, 2024

एमपी गजब है: यहां एक ही बिल्डिंग में चलते हैं 5 सरकारी स्कूल, शिक्षकों की मौज और बच्चों की...

Jabalpur News in Hindi: जबलपुर के टेलीग्राफ फैक्ट्री की गेट नंबर 2 के पास प्राथमिक शाला सुभाष नगर के भवन में एक साथ पांच शालाएं चलाई जा रही हैं. यहां पर प्राथमिक शाला रानी ताल, प्राथमिक शाला संजय नगर, प्राथमिक शाला कस्तूरबा गांधी और एवं माध्यमिक शाला कमला नेहरू का संचालन एक साथ हो रहा है.

एमपी गजब है: यहां एक ही बिल्डिंग में चलते हैं 5 सरकारी स्कूल, शिक्षकों की मौज और बच्चों की...

मध्य प्रदेश के जबलपुर से शिक्षा विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. दरअसल, यहां सुभाष नगर स्थित एक भवन में एक साथ 5 स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिसका खामियाजा बच्चों को उठाना पड़ रहा है. ये स्कूल तय स्थान पर न होकर एक स्थान और एक भवन में चलाने के इन स्कूलों के मूल स्थानों के बच्चों को लंबी दूरी तय कर यहां आना पड़ता है, जिससे स्कूल में बच्चों की संख्या भी कम रहती है.

टेलीग्राफ फैक्ट्री की गेट नंबर 2 के पास प्राथमिक शाला सुभाष नगर के भवन में एक साथ पांच शालाएं चलाई जा रही हैं. यहां पर प्राथमिक शाला रानी ताल, प्राथमिक शाला संजय नगर, प्राथमिक शाला कस्तूरबा गांधी और एवं माध्यमिक शाला कमला नेहरू का संचालन एक साथ हो रहा है.

नियमों की खुलेआम हो रही है अनदेखी

Jabalpur News MP: स्कूल शिक्षा विभाग (MP School Education Department) के 2018 में बनाये गए नियम एक परिसर एक शाला का पालन नहीं हो रहा है, बल्कि एक ही भवन में 5 स्कूलों का संचालन हो रहा है. यह शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ये जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने विभाग के हर नियमों का पालन कराए, पर यहां पर इसका उल्टा ही होता हुआ दिखाई दे रहा है.

छात्र हो रहे परेशान और शिक्षकों को है आराम

यहां पढ़ने वाले कुछ छात्रों को बहुत ही लंबी दूरी तय कर आना पड़ता है, क्योंकि उनके नजदीक में जो स्कूल था बह बंद कर दिया गया है. घर से दूर इनका स्कूल एक ऐसे भवन में लगाया जा रहा है, जहां पर एक साथ पांच स्कूल चल रहे हैं. ऐसे में उन्हें लंबी दूरी तय करके स्कूल जाना पड़ता है, जिसकी वजह से स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या पर भी असर पड़ रहा है. बहुत से बच्चों के घरों से स्कूल की दूरी 5 से 10 किलोमीटर दूर है, जिसकी वजह से कई बच्चों ने पढ़ाई ही छोड़ दी है. वहीं, दूसरी तरफ शिक्षकों की मौज है. दरअसल, यहां पर सभी स्कूलों को मिलाकर अलग-अलग कक्षाओं में छात्रों को बैठा कर पढ़ाया जा रहा है और एक क्लास में दो-दो शिक्षकों की नियुक्ति की गई है या उन शिक्षकों ने खुद ही कर ली है, जिसकी वजह से यहां शिक्षकों की संख्या आवश्यकता से ज्यादा हो गई है. हालत ये है कि लगभग आधे शिक्षक यहां पर बस समय काट रहे हैं. इन्हें उन स्कूल में भेजा जा सकता था, जहां पर शिक्षक नहीं है. अगर इस नियम का पालन ठीक तरह से होता तो 193 छात्रों को पढ़ने के लिए 6 से 8 शिक्षक इस स्कूल में पर्याप्त थे पर अभी यहां पर 16 शिक्षक हैं, जो मजे से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं.

भोजन सहायक की भी मौज

हर स्कूल के लिए अलग-अलग भोजन सहायक भी हैं, जिनकी संख्या 5 है. इनका कार्य एक ही भोजन सहायक अच्छे से कर लेता है, सिर्फ समय काटने की सैलरी ले रहे हैं. स्कूल परिसर में सिर्फ पांच स्कूल ही नहीं, बल्कि जिला ग्रंथालय भी चल रहा है. तीन वर्षों से बेकार पड़ी स्कूल के बच्चों को बांटी जाने वाली किताबों का भंडारा भी इसी को बनाया गया है. वहीं, इस पूरे मामले पर जब जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी से एनडीटीवी के संवाददाता ने बात कि तो उन्होंने ने एनडीटीवी को बताया कि इस वर्ष इन सभी स्कूलों को एकीकृत कर दिया जाएगा.

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जानिए-किस स्कूल में हैं कितने बच्चे और शिक्षक

प्राथमिक शाला सुभाष नगर में 70 छात्र और 4 शिक्षक हैं
प्राथमिक शाला रानी ताल में 33 छात्र एवं 2 शिक्षक हैं
प्राथमिक शाला संजय नगर में 26 छात्र और 3 शिक्षक हैं
प्राथमिक शाला कस्तूरबा गांधी में 11 छात्र एवं 2 शिक्षक हैं
माध्यमिक शाला कमला नेहरू से 53 छात्र और 5 शिक्षक हैं
5 स्कूल के कुल 193 छात्र और 16 शिक्षक हैं

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