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जबलपुर में हवाई सेवाओं की अनिश्चितता को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने 4 एयरलाइंस को भेजा नोटिस

MP High Court News: एमपी हाईकोर्ट ने हवाई सेवाओं की अनिश्चितता को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए देश की चार एयरलाइंस को नोटिस भेजने का आदेश दिया है. इसके साथ ही इन एयरलाइंस कंपनियों को मामले में पक्षकार भी बनाया गया है.

जबलपुर में हवाई सेवाओं की अनिश्चितता को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने 4 एयरलाइंस को भेजा नोटिस
प्रतीकात्मक फोटो

MP High Court Verdict: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान देश की चार एयरलाइंस (Indian Airlines Companies) को भी पक्षकार बनाया है. इसी के साथ इन चारों एयरलाइंस को नोटिस भेजने के निर्देश भी दिए गए हैं. जबलपुर (Jabalpur) में हवाई सेवाओं की अनिश्चितता को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए एमपी हाईकोर्ट (MP High Court) के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा (Acting CJ Sanjeev Sachdeva) और जस्टिस विनय सराफ (Justice Vinay Saraf) की डबल बेंच ने यह आदेश दिए हैं. कोर्ट ने एयर इंडिया (Air India), इंडिगो (Indigo), स्पाइसजेट (Spicejet) और आकासा (Akasa) एयरलाइंस को ई-मेल से नोटिस भेजने को कहा है.

बता दें कि जबलपुर में हवाई सेवाओं की अनिश्चितता को लेकर भेदभाव का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि मध्य प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में कम फ्लाइट होना जबलपुर के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का हनन है.

पहले इन शहरों के समान थी जबलपुर की एयर कनेक्टिविटी

याचिकाकर्ता और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि मध्य प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में जबलपुर में कम फ्लाइट हैं. इससे पहले में जबलपुर से मुंबई, पुणे, कोलकाता, बेंगलुरु आदि शहरों के लिए फ्लाइट संचालित होती थीं. जबलपुर की एयर कनेक्टिविटी मध्य प्रदेश के इंदौर, ग्वालियर और भोपाल के समान थी, लेकिन लगातार जबलपुर में फ्लाइट बंद होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

फ्लाइट्स की संख्या घटकर हुई पांच

याचिका में कहा गया कि पूर्व में जबलपुर से औसतन 15 फ्लाइट संचालित होती थीं. वर्तमान में इनकी संख्या घटकर महज पांच हो गई है, जिससे जबलपुर का विकास रुक हो रहा है. जनहित याचिका में प्रारंभिक रूप से केंद्रीय उड्डयन विभाग, डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को पक्षकार बनाया गया था. हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब एयरलाइंस कंपनियों को भी पक्षकार बनाया गया है.

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