
MP High Court: जबलपुर में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के अनुपयुक्त पाए गए नर्सिंग कॉलेजों में अध्ययनरत करीब पांच हजार छात्रों को बड़ी राहत दी है. प्रशासनिक न्यायाधीश अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति प्रदीप मित्तल की युगलपीठ ने उन नियमों को आंशिक रूप से शिथिल कर दिया है, जिनके तहत विद्यार्थियों को सिर्फ उसी जिले के दूसरे कॉलेज में स्थानांतरित किया जा सकता था. अब इन छात्रों को प्रदेश स्तर पर किसी भी उपयुक्त कॉलेज में शिफ्ट किया जा सकेगा. यह सुविधा केवल वर्तमान शैक्षणिक सत्र के लिए लागू होगी.
800 नर्सिंग कॉलेजों की जांच
ला स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से दायर जनहित याचिका में निजी नर्सिंग कालेजों में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया गया था. कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने प्रदेश के 800 नर्सिंग कालेजों की जांच की थी, जिसमें से केवल 200 संस्थान ही मानकों पर खरे पाए गए थे. शेष कालेजों को अनुपयुक्त घोषित कर दिया गया था.
अध्ययनरत छात्रों को अन्य कॉलेजों में शिफ्ट करने के दिए थे निर्देश
9 मई 2025 को हाईकोर्ट ने अनुपयुक्त कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों को अन्य कॉलेजों में शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे. हालांकि राज्य सरकार ने दलील दी थी कि 2018 के नियमों के चलते छात्रों को अन्य जिलों में शिफ्ट करना संभव नहीं है, क्योंकि जिलेवार सीटों का अनुपात पर्याप्त नहीं है. इस पर कोर्ट ने छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए नियमों को अस्थायी रूप से शिथिल करने का निर्णय लिया.
विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर नहीं लग सकता- HC
अब बीएससी, पीबीएससी और एमएससी कोर्स के वर्ष 2021-22 और 2022-23 के छात्रों को उपयुक्त नर्सिंग कालेजों में प्रवेश दिलाया जाएगा. कोर्ट ने साफ कहा कि विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर नहीं लग सकता. मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी.
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