
भोपाल : मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव दहलीज पर हैं. सभी राजनीतिक दलों और राजनेताओं ने अपनी-अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. इस बार के चुनाव में प्रदेश के युवा मतदाता अहम भूमिका निभाने वाले हैं. इस बार मध्यप्रदेश में युवा वोटर विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा तय करेंगे. पिछली बार की तुलना में इस बार इनकी संख्या काफी बढ़ गई है. 2018 विधानसभा चुनाव की तुलना में युवा मतदाताओं की संख्या करीब चार गुना तक बढ़ गई है.
यही कारण है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों युवा वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने कहा, 'इस बार करीब 50 लाख नए वोटर मतदाता सूची से जुड़े हैं. हर साल करीब 10 लाख वोटर इस लिस्ट में शामिल हुए हैं.' उन्होंने कहा, 'हमने अभियान चला कर युवाओं को इसे लेकर जागरूक करने की कोशिश की है. QR कोड के माध्यम से भी अब मतदाता आसानी से जुड़ सकेंगे.
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मध्य प्रदेश में रोजगार का हाल
सवाल यह है कि पहली बार ईवीएम का बटन दबाने वाले इन युवाओं की आखिर क्या मांगें हैं?
लेकिन मध्य प्रदेश में रोजगार हाल काफी निराशाजनक है.

बीजेपी या कांग्रेस... युवाओं की हितैषी कौन?
युवाओं को साधने के लिए बीजेपी और कांग्रेस में होड़ लगी हुई है. एक तरफ जहां बीजेपी युवाओं के लिए 'सीखो कमाओ योजना' लेकर आई है तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी युवाओं को छल रही है. कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि बीजेपी ने युवाओं को छलने का काम किया है. प्रदेश का युवा बेरोजगारी से जूझ रहा है. 'युवाओं की सच्ची हितैषी कांग्रेस सरकार है'. वहीं बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, 'कांग्रेस को यह कहने का कोई हक नहीं है.'
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युवा देंगे विकास का साथ
उन्होंने कहा, 'बीजेपी युवाओं के लिए सबसे बड़ी योजना लेकर आई है. प्रदेश में 'सीखो कमाओ योजना' को लेकर उत्साह है.' विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाएगी तो वहीं बीजेपी युवाओं को लेकर अपनी योजनाओं को भुनाएगी लेकिन युवा भी इस बार उसी के साथ जाएंगे जो विकास की ओर लेकर जाएगा.