विज्ञापन

मध्य प्रदेश कांग्रेस में हार पर मंथन शुरू,विधानसभा और लोकसभा चुनाव में औंधे मुंह घिरी थी पार्टी

Local Leadership: पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश में गड़बड़ाए क्षेत्रीय संतुलन और नेतृत्व ने कांग्रेस को प्रदेश में लगातार कमजोर किया है. पार्टी के भीतर ही क्षेत्रीय नेतृत्व को दोबारा मजबूत करने की कवायद शुरू कर रही है.

मध्य प्रदेश कांग्रेस में हार पर मंथन शुरू,विधानसभा और लोकसभा चुनाव में औंधे मुंह घिरी थी पार्टी

MP Congress: लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2023 में हार से हताश मध्य प्रदेश कांग्रेस ने हार पर मंथन शुरू कर दिया है और मध्य प्रदेश में उसकी सबसे बड़ी ताकत रही क्षेत्रीय नेतृत्व पर दोबारा फोकस कर रही है. अभी हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मध्य प्रदेश को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था.

पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश में गड़बड़ाए क्षेत्रीय संतुलन और नेतृत्व ने कांग्रेस को प्रदेश में लगातार कमजोर किया है. पार्टी के भीतर ही क्षेत्रीय नेतृत्व को दोबारा मजबूत करने की कवायद शुरू कर रही है.

कांग्रेस में क्षेत्रीय क्षत्रपों का बोलबाला रहा है

गौरतलब है राज्य की सियासत पर गौर करें तो कांग्रेस में क्षेत्रीय क्षत्रपों का बोलबाला रहा है. क्षेत्रीय नेता अपने-अपने इलाके में पार्टी के साथ अपने समर्थकों को मजबूत करने की मुहिम में लगे रहते थे, लेकिन प्रदेश में धीरे-धीरे यह क्षेत्रीय नेतृत्व लगातार कमजोर होता गया और कई नेताओं ने राष्ट्रीय राजनीति की तरफ रुख कर लिया, जिसका असर यह हुआ कि इन नेताओं का अपने-अपने क्षेत्र में प्रभाव पहले जैसा नहीं रहा.

क्षेत्रीय क्षत्रपों से खाली हुआ प्रदेश नेतृत्व

कांग्रेस में एक दौर था जब ग्वालियर-चंबल इलाके में सिंधिया परिवार, इसी क्षेत्र में दिग्विजय सिंह परिवार, मालवा निमाड़ में अरुण यादव के परिवार, महाकौशल में कमलनाथ, विंध्य में अजय सिंह के परिवार और बुंदेलखंड में चतुर्वेदी परिवार का प्रभाव हुआ करता था, लेकिन अब वह दौर खत्म हो गया है.

 ग्वालियर में खत्म हुआ कांग्रेस का प्रभाव

ग्वालियर-चंबल के प्रभावशाली नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी और भाजपा में गए तो वहां कांग्रेस का प्रभाव बहुत कम हो गया. इसी तरह दिग्विजय सिंह का राष्ट्रीय राजनीति में दखल बढ़ गया. वहीं, महाकौशल में पूर्व सीएम कमलनाथ का भी प्रभाव कम हो चला है.

बुंदेलखंड से नाता रखने वाले सत्यव्रत चतुर्वेदी राजनीति से संन्यास ले चुके है. विंध्य में अजय सिंह सक्रिय हैं तो मालवा निमाड़ में अरुण यादव, लेकिन इन दोनों नेताओं को पार्टी उनकी हैसियत के मुताबिक जिम्मेदारी नहीं सौंप रही है.

फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने नेताओं से संवाद किया

बीते दो दिन में राजधानी भोपाल में पार्टी के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा रहा. पार्टी हाईकमान की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने नेताओं से संवाद किया. इस दौरान एक बात खुलकर सामने आई कि पार्टी में क्षेत्रीय नेतृत्व लगातार कमजोर हो रहा है और इसी के चलते जनाधार खिसक रहा है.

क्षेत्रीय नेतृत्व को फिर मजबूत करेगी रणनीति

प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार हैं.दोनों नेता मालवा निमाड़ से आते हैं. पूर्व में युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया भी इसी क्षेत्र से थे. हाल ही में युवा कांग्रेस का अध्यक्ष ग्वालियर-चंबल के मितेंद्र सिंह यादव को बनाया गया है. विंध्य, बुंदेलखंड और महाकौशल के किसी नेता के पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है. पार्टी अब क्षेत्रीय नेतृत्व को एक बार फिर मजबूत बनाने की रणनीति पर काम करने जा रही है.

ये भी पढ़ें-FB LIVE:नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अपने फेसबुक पेज से किया विधानसभा की कार्यवाही का लाइव टेलीकॉस्ट

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Previous Article
MP News: एमपीईबी के जूनियर इंजीनियर ले रहा था एक लाख की रिश्वत, भ्रष्टों को लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों दबोचा
मध्य प्रदेश कांग्रेस में हार पर मंथन शुरू,विधानसभा और लोकसभा चुनाव में औंधे मुंह घिरी थी पार्टी
Indian Railways New Advance ticket booking rules know the notification of railways
Next Article
Advance Ticket Booking: समय सीमा को किया गया 6 महीने से 2 महीने, तो लोगों ने दी ऐसी प्रतिक्रिया
Close