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MP High Court ने कांग्रेस MLA की याचिका ठुकरायी, विधानसभा चुनाव को लेकर दी थी ये चुनौती

Jabalpur News: कोर्ट ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की एक खास याचिका को खारिज कर दिया. उन्होंने 2023 विधानसभा चुनावों में भाजपा नेता की एक याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया था.

MP High Court ने कांग्रेस MLA की याचिका ठुकरायी, विधानसभा चुनाव को लेकर दी थी ये चुनौती
जबलपुर हाई कोर्ट ने कांग्रेस नेता की याचिका कर दी खारिज

Vidhan Sabha 2023 Elections MP: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) की जबलपुर (Jabalpur) बेंच ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद (Aarif Masood) की एक याचिका को खारिज कर दिया. बता दें कि उन्होंने 2023 राज्य विधानसभा चुनावों (MP Vidhan Sabha Elections 2023) में उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली भाजपा नेता की याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया था. इसको न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल (Vivek Aggarwal) की एकल पीठ ने पूरी तरह से खारिज कर दिया.

चुनाव में भ्रष्ट होने का लगा था आरोप

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ध्रुव नारायण सिंह ने याचिका में मसूद पर पिछले साल चुनावों के दौरान भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाया था. इसके खिलाफ भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने याचिका दायर की थी. इसको लेकर जबलपुर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया. यह आदेश 14 अगस्त को पारित किया गया.

मसूद ने दायर की थी ये याचिका

कांग्रेस विधायक मसूद ने अपनी अर्जी में कहा कि भाजपा नेता ने चुनाव याचिका पर अपने हस्ताक्षर करने के बजाय उसकी फोटोकॉपी प्रस्तुत की और अपने आरोप का समर्थन करने वाले अनिवार्य हलफनामे को शामिल नहीं किया. पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनावों में मसूद से हारने वाले सिंह ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि चुनाव आयोग को चुनाव से पहले सौंपे गए हलफनामे में मसूद ने ऋण के बारे में जानकारी छिपाई थी.

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दलीलों के आधार पर कोर्ट ने सुनाया फैसला

एमपी हाई कोर्ट ने कहा, 'मौजूदा मामले में प्रतिवादी (मसूद) के खिलाफ याचिकाकर्ता का आरोप है कि वह कर्ज में डूबा हुआ है, वह एक राष्ट्रीयकृत बैंक का डिफॉल्टर है, और उसके खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित किया गया है. वह गलत आंकड़े देकर बैंक के प्रति अपनी देनदारी की सीमा का खुलासा करने में विफल रहा.' एकल पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया, याचिका को केवल साधारण तरीके से पढ़ना ही इसे खारिज करने के लिए पर्याप्त नहीं है. आदेश में कहा गया है कि मसूद की याचिका को दलीलों और गिनाई गई खामियों के आधार पर खारिज किया जाता है.

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